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पेट्रोल और डीजल के क्यों बढ़ रहे हैं दाम? सस्ते क्रूड के बाद भी तेल कंपनियां नहीं दे रही हैं राहत

देश की तेल कंपनियों में लंबे समय तक पॉज रखने के बाद एक बार फिर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी शुरू कर दी है.

देश की तेल कंपनियों में लंबे समय तक पॉज रखने के बाद एक बार फिर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी शुरू कर दी है.

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Sushil Tripathi
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देश की तेल कंपनियों में लंबे समय तक पॉज रखने के बाद एक बार फिर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी शुरू कर दी है.

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देश की तेल कंपनियों में लंबे समय तक पॉज रखने के बाद एक बार फिर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी शुरू कर दी है. पिछले 6 दिनों की बात करें तो पेट्रोल के भाव में 3.31 रुपये प्रति लीटर और डीजल में 3.42 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हो चुका है. जबकि पिछले दिनों लॉकडाउन के चलते ब्रेंट क्रूड 20 डॉलर के नीचे आ गया था. जिससे तेल कंपनियों को बेहद सस्ते में क्रूड खरीदने का मौका मिला. उसके बाद भी आखिर कोरोना संकट के बीच ग्राहकों को क्यों राहत नहीं मिल रही है.

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आज यानी शुक्रवार को भी पेट्रोल में प्रति लीटर 57 पैसे और डीजल में प्रति लीटर 59 पैसे की बए़ोत्तरी हुई है. इंडियन आयल की वेबसाइट के अनुसार दिल्ली में पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर 74.57 रुपये जबकि डीजल की कीमत 72.81 रुपये हो गई है. कोलकाता में 76.48 रुपसे प्रति लीटर, मुबई में 81.53 रुपये प्रति लीटर और चेन्नई में 78.47 रुपये प्रति लीटर हो गई है. जबकि इन शहरों में डीजल का भाव 68.70 रुपये, 71.48 रुपये और 71.14 रुपये प्रति लीटर है.

क्यों बढ़ रही है कीमत

एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करंसी), अनुज गुप्ता का कहना है कि पेट्रोल और डीजल कारण हैं. इसमें सबसे पहला कारण यह है कि मार्च में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइड ड्यूटी में 3 रुपये प्रति लीटर का इजाफा कर दिया था. लेकिन तेल कंपनियों ने इसे ग्राहकों पर पास आन नहीं किया. दूसरा लॉकडाउन में ढील के बाद अचानक से पेट्रोल और डीजल की डिमांड बढ़ी है. रुपये में गिरावट से भी तेल कंपनियों की चिंता बढ़ी है. लॉकडाउन के बीच तेल कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा था, अब वे इसकी भरपाइ करना चाहेंगी.

डिमांड बढ़ी

तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के आंकड़ों के मुताबिक, मई में तेल की कुल खपत 1.465 करोड़ टन रही, जो अप्रैल के मुकाबले 47.4 फीसदी ज्यादा है. हालांकि लेकिन पिछले साल की समान अवधि की तुलना में यह मांग 23.3 फीसदी कम है.

दूसरी ओर इंडियन क्रूड बॉस्केट यानी भारत के लिए कच्चे तेल की जो लागत होती है वह अप्रैल के 19.90 डॉलर प्रति बैरल के मुकाबले मई में 30.60 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई.

21 अप्रैल के बाद क्रूड का दाम डबल

21 अप्रैल को जो क्रूड 17.51 डॉलर प्रति बैरल पर था, अब वह बढ़कर 38.34 डॉलर पर आ गया है. यानी क्रूड की कीमतों में 2 महीने से भी कम समय में 100 फीसदी से ज्यादा तेजी आई है. वहीं, ओपेक देश आगे प्रोडक्शन कट और बढ़ाने की बात कह रहे हैं, जिससे तेल कंपनियां सतर्क हैं.

रुपये ने बढ़ाई चिंता

आज के कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 76.10 के आस पास आ गया है. पिछले दिनों रुपये में गिरावट देखी गई है. मई में रुपये का भाव डॉलर के मुकाबले 75 के आस पास था. इससे भी तेल कंपनियों की चिंता बढ़ी है. रुपये में गिरावट का मतलब है कि उन्हें तेल खरीदने के लिए डॉलर के रूप में ज्यादा खर्च करना पड़ेगा.

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