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विलफुल डिफॉल्टर्स को UPA सरकार में मिला 'फोन बैंकिंग' का लाभ- वित्त मंत्री का कांग्रेस पर पलटवार

कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में टॉप 50 डिफाल्टरों का 68,607 करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाते में डालकर माफ कर दिया.

कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में टॉप 50 डिफाल्टरों का 68,607 करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाते में डालकर माफ कर दिया.

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FE Online
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Wilful defaulters beneficiaries of 'phone banking' under UPA regime FM Nirmala Sitharaman hits out at Congress party Rahul Gandhi वित्त मंत्री ने बताया कि 2009-10 और 2013-14 के बीच कॉमर्शियल बैंकों ने 1,45,226 करोड़ रुपये के लोन बट्टे खाते में डाले.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बैंकों का कर्ज नहीं लौटाने वालों के बकाये को बट्टे खाते में डाले जाने के मुद्दे पर कांग्रेस पर पलटवार किया है. वित्त मंत्री ने कहा है कि जानबूझकर बैंकों का कर्ज नहीं लौटाने वाले जितने भी डिफाल्टर है उन सभी को कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के समय में ‘फोन बैंकिंग’ का लाभ मिला था, जबकि मोदी सरकार बकाए की वसूली के लिए उनकी धरपकड़ में लगी है. सीतारमण ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए यह बात कही है. विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार ने पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वाले शीर्ष 50 डिफाल्टरों का करीब 68,607 करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाते में डालकर एक तरह से माफ कर दिया.

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वित्तमंत्री ने मंगलवार देर रात एक के बाद एक कई ट्वीट कर विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस लोगों को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है. सीतारमण ने कहा, ‘‘राहुल गांधी और कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. वह कांग्रेस के मूल चरित्र की तरह बिना किसी संदर्भ के तथ्यों को सनसनी बनाकर पेश कर रहे हैं.’’

पूर्व PM मनमोहन सिंह से भी सवाल पूछे राहुल गांधी

वित्त मंत्री ने कहा कि 2009-10 और 2013-14 के बीच वाणिज्यिक बैंकों ने 1,45,226 करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले. उन्होंने कहा, ‘‘काश! गांधी (राहुल) ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से पूछ लिया होता कि राशि को बट्टे खाते में डालना क्या होता है.’’ उन्होंने उन मीडिया रपटों का भी हवाला दिया जिनमें रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था कि अधिकतर फंसे कर्ज 2006-2008 के दौरान बांटे गए. ‘‘अधिकतर कर्ज उन प्रमोटर्स को दिए गए जिनका जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने का इतिहास रहा है.’’

सीतारमण ने कहा, ‘‘ऋण लेने वाले ऐसे लोग जो ऋण चुकाने की क्षमता रखते हुए भी ऋण नहीं चुकाते, कोष की हेरा-फेरी करते हैं और बैंक की अनुमति के बिना सुरक्षित परिसंपत्तियों का निपटान कर देते हैं, उन्हें डिफॉल्टर कहते हैं. यह सभी ऐसे प्रवर्तक की कंपनियां रहीं जिन्हें संप्रग (कांग्रेस नीत पूर्ववती गठबंधन सरकार) की ‘फोन बैंकिंग’ का लाभ मिला.’’

राहुल गांधी ने लगाया कर्ज माफी का आरोप

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि उन्होंने संसद में 50 ऋण चूककर्ताओं के नाम पूछे थे, लेकिन वित्त मंत्री ने उसका जवाब नहीं दिया. गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘अब रिजर्व बैंक ने नीरव मोदी, मेहूल चौकसी जैसे अन्य कई भाजपा के मित्रों के नाम दिए हैं जो बैंक के साथ धोखाधड़ी करने वालों की सूची में शामिल है. यह सच संसद से क्यों छिपाया गया.’’ कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि 2014 से सितंबर 2019 तक सरकार ने बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वालों का 6.66 लाख करोड़ रुपये का ऋण माफ कर किया.

वित्त मंत्री ने दिए डिफॉल्टर्स पर एक्शन की डिटेल

सीतारमण ने कहा कि कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने बकाया ऋण की वसूली के लिए डिफॉल्टरों के खिलाफ 9,967 वसूली मुकदमे दायर किए हैं. 3,515 प्राथमिकियां दर्ज कराई गई हैं. इनके मामलों में भगोड़ा संशोधन कानून के तहत कार्रवाई चल रही है. नीरव मोदी, मेहूल चौकसी और विजय माल्या की जब्त परिसंपत्तियों का कुल मूल्य 18,332.7 करोड़ रुपये है. सीतारमण ने इन तीनों के खिलाफ की जारी कार्रवाई का पूरा ब्यौरा दिया है.

बता दें, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मंगलवार को इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जवाब देने को कहा था. उन्होंने कहा कि देश कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है.सरकार के पास राज्यों को देने के लिये पैसा नहीं है लेकिन वह डिफाल्टरों का 68,607 करोड़ रुपये का बैंक कर्ज माफ कर सकती है.

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