/financial-express-hindi/media/post_banners/jR9zsvt7P63YLOa1Zb5j.jpg)
अदार पूनावाला सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ 2011 में बने. (Image- PTI)
दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन मैनुफैक्चरर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला को 'एशियन ऑफ द इयर' चुना गया है. सिंगापुर के प्रमुख अखबार ड स्ट्रेट टाइम्स ने कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाने के कारण अदार पूनावाला को उन छह लोगों में रखा है जिन्हें इस साल का 'एशियन ऑफ द इयर 'चुना गया है. इन सभी को कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका के कारण इस सूची में रखा गया है.
पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश स्वीडिश फॉर्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी किया है. एसआईआई कोविशील्ड की ट्रायल भारत में कर रही है.
यह भी पढ़ें- भारत दुनिया में कोरोना वैक्सीन का सबसे बड़ा खरीदार, देश की आबादी का 60% होगा कवर
पूनावाला के अलावा 5 अन्य भी सूची में
पूनावाला के अलावा सूची में अन्य पांच लोगों को भी रखा गया है. चाइनीज रिसर्चर झांग योंगझेन ने सबसे पहले सार्स-कोवि-2 का पूरा जीनोम प्रकाशित किया था. चीन के मेजर जनरल चेन वी, जापान के डॉ राइउची मोरीशिता और सिंगापुर के प्रोफेसर ओइइ इंग इओंग को सूची में कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए रखा गया है. इसके अलावा दक्षिण कोरिया के कारोबारी सियो जंग-जिन को इस सूची में रखा गया है क्योंकि उनकी कंपनी वैक्सीन तैयार करने व इसे दूसरे देशों को भेजने के अलावा कोरोना से संबंधित ट्रीटमेंट उपलब्ध कराएगी. इन सभी को 'वायरस बस्टर्स' नाम दिया गया है क्योंकि इन सभी लोगों ने दुनिया भर में उम्मीद जगाई है.
स्ट्रे्ट टाइम्सका कहना है कि इस साल एक भी दिन ऐसा नहीं गया, जब महामारी से जुड़ी खबर न आई हो. ऐसे में इस महामारी से निपटने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वालों से बेहतर एशियन ऑफ द इयर कोई नहीं हो सकता था.
इंस्टीट्यूट में लगाई 1845 करोड़ की निजी संपत्ति
सीरम इंस्टीट्यूट की स्थापना अदार पूनावाला के पिता सायरस पूनावाला ने 1966 में की थी. अदार ने इस इंस्टीट्यूट को 2001 में जॉइन किया था और 2011 में वह इसके सीईओ बने थे. पूनावाला का कहना है कि इंस्टीट्यूट की मैनुफैक्चरिंग कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए उन्होंने अपनी पारिवारिक संपत्ति से 25 करोड़ डॉलर (1845 करोड़ रुपये) लगाए हैं. उनका कहना है कि वे गरीब और मध्यम आय वाले देशों को वैक्सीन की आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे