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दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे में आठ लेन हैं लेकिन ट्रैफिक के मुताबिक इसे 12 लेन तक बढ़ाया जा सकता है.
World's Longest Expressway: दिल्ली से मुंबई के बीच का दुनिया का सबसे बड़ा एक्सप्रेस-वे (Delhi-Mumbai Expressway) मार्च 2023 तक आम लोगों के लिए खुल सकता है. 1380 किमी लंबे इस आठ लेन वाली एक्सप्रेस-वे के जरिए कुछ शहरों के बीच की दूरियां कम हो जाएंगी और पहले जो दूरी तय करने में 24 घंटे लगते थे, उसे महज 12-12.5 घंटे में ही तय किया जा सकेगा. यह एशिया का पहला और दुनिया का दूसरा एक्सप्रेसवे होगा जहां बिनी किसी रिस्ट्रिक्शन के लिए वाइल्डलाइफ मूवमेंट जारी रहेगा.
इस एक्सप्रेस-वे का केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को दो-दिनी रिव्यू खत्म किया. इस दौरान कार्यों का जायजा लेने के लिए उन्होंने दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और मध्य प्रदेश का दौरा किया. इस प्रोजेक्ट की पूरी लागत करीब 98 हजार करोड़ रुपये है और इसे मार्च 2023 तक पूरा किया जाना है. हालांकि अगले साल मार्च 2022 तक दिल्ली-जयपुर (दौसा)-लालसोट और वडोदरा-अंकलेश्वर मार्ग खुल सकता है.
विभिन्न इकोनॉमिक हब के बीच बेहतर होगा आवागमन
इस हाईवे प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी और इसके तहत फाउंडेशन स्टोन 9 मार्च 2019 को रखा गया. प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद इस एक्सप्रेस-वे के चलते जयपुर, अजमेर, किशनगढ़, चित्तौड़गढ़, कोटा, उददयपुर, उज्जैन, भोपाल, इंदौर, वडोदरा, अहमदाबाद और सूरत जैसे देश के कई इकोनॉमिक हब के बीच आागगमन बेहतर होगा. यह एक्सप्रेस-वे 1380 किमी लंबा है जिसमें से 1200 किमी से अधिक के लिए कांट्रैक्ट अवार्ड हो चुके हैं और काम जारी है. इसके कंसट्रक्शन के लिए राज्यों में 15 हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन हासिल की जा चुकी है.
Delhi-Mumbai ExpressWay के फीचर्स
- अभी इस एक्सप्रेस-वे में आठ लेन हैं लेकिन ट्रैफिक के मुताबिक इसे 12 लेन तक बढ़ाया जा सकता है.
- इस एक्सप्रेस-वे के किनारे रिजॉर्ट्स, फूड कोर्ट्स, रेस्तरां, फ्यूल स्टेशंस, लॉजिस्टिक पार्क और ट्रक वालों के लिए फैसिलिटीज जैसी सुविधाएं रहेंगी.
- कोई एक्सीडेंट होने पर हेलीकॉप्टर एंबुलेंस सर्विस की सुविधा रहेगा और यहां हेलीपोर्ट भी रहेगा जो बिजनेस के लिए ड्रोन सर्विसेज का प्रयोग करेंगी.
- हाईवे पर 20 लाख से अधिक पेड़ों व झाड़ियों को भी लगाए जाने की योजना है.
- यह एशिया का पहला और दूसरा हाईवे प्रोजेक्ट है जिसमें जानवरों के लिए भी रास्ते बनाए जा रहे हैं ताकि वाइल्डलाइफ मूवमेंट पर असर न पड़े.
- प्रोजेक्ट के तहत आआठ लेन वाली दो आइकॉनिक सुरंग का भी निर्माण किया जाएगा.
- हाईवे के चलते सालाना 32 लाख लीटर से अधिक तेल की बचत होगी और कॉर्बन डाई ऑक्साइड उत्सजर्न में भी 85 करोड़ किग्रा की कमी आएगी.
- प्रोजेक्ट के तहत 12 लाख टन स्टील का इस्तेमाल होगा जिससे 50 हावड़ा ब्रिज बनाए जा सकते हैं.
- प्रोजेक्ट के तहत 80 लाख टन स्टीन की खपत होगी जो देश में सालाना सीमेंट उत्पादन का करीब 2 फीसदी है.
- इस एक्सप्रेस-वे के चलते 50 लाख से अधिक दिनों के काम के साथ हजारों प्रशिक्षित सिविल इंजीनियरों को रोजगार मिला है.
(Article: Devanjana Nag)