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UP Assembly Election 2022: दस साल बाद सत्ता वापसी के लिए बसपा ने बदली रणनीति, 'जय भीम, जय भारत, जय परशुराम' के साथ चल रही चुनावी तैयारी

UP Assembly Election 2022: देश के सबसे बड़े प्रदेश यूपी की चार बार बागडोर संभाल चुकी मायावती ने दस साल बाद सत्ता में वापसी के लिए अपनी चुनावी रणनीति में अहम बदलाव किया है.

UP Assembly Election 2022: देश के सबसे बड़े प्रदेश यूपी की चार बार बागडोर संभाल चुकी मायावती ने दस साल बाद सत्ता में वापसी के लिए अपनी चुनावी रणनीति में अहम बदलाव किया है.

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FE Online
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मायावती ने अपनी चुनावी रणनीति में अहम बदलाव किया है.

UP Assembly Election 2022: देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की चार बार बागडोर संभाल चुकी मायावती (Mayavati) ने दस साल बाद सत्ता में वापसी के लिए अपनी चुनावी रणनीति में अहम बदलाव किया है. युवाओं व महिलाओं को आकर्षित करने के लिए समारोह हो रहे हैं, सोशल मीडिया में उपस्थिति बढ़ाई जा रही है, पार्टी प्रमुख मायावती के अलावा पार्टी के अन्य नेताओं को भी सामने लाया जा रहा है और एक नजर अयोध्या पर है. इन सबके जरिए मायावती एक बार फिर यूपी की सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने की कोशिश कर रही हैं.

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10 साल बाद वापसी के लिए बदली चुनावी रणनीति

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  • मायावती की पार्टी बसपा ने अपनी चुनावी रणनीति में अहम बदलाव किया है. पार्टी के राष्ट्रीय जनरल सेक्रेटरी और राज्य सभा सांसद सतीश चंद्र मिश्र व उनके परिवार के सदस्य बदली रणनीति पर काम कर रहे हैं.
  • पिछले महीने सतीश चंद्र मिश्र के बेटे कपिल मिश्र ने बीएसपी युवा सम्वाद कार्यक्रम के तहत युवाओं को सीधे अपनी पार्टी से जोड़ने के लक्ष्य के साथ बैठकें की. इन बैठकों में कपिल मिश्र ने मायावती सरकार की उपलब्धियां गिनाईं. इन बैठकों में कई जिलों से बुलाए गए प्रतिनिधियों ने भी अपनी बातें सामने रखीं.
  • मिश्र की पत्नी कल्पना ब्राह्मण और दलित समुदाय की महिलाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए प्रबुद्ध महिला विचार गोष्ठी और बीएसपी महिला सम्मेलन के तहत बैठकें आयोजित कर रही हैं.

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  • उत्तर प्रदेश में दलित व ब्राह्मण समुदाय के करीब 36 फीसदी वोट हैं. इन्हें अपनी पार्टी से जोड़ने के लिए मिश्र दलित-ब्राह्मण गठजोड़ फॉर्मूले के तहत बैठकें आयोजित किया जा रहा है. बसपा इससे पहले इस फॉर्मूले के तहत पहले भी सत्ता में आ चुकी है. हालांकि इस बार स्लोगन नया तैयार किया गया है- 'जय भीम, जय भारत, जय परशुराम'.
  • पिछले तीन वर्षों में बसपा सोशल मीडिया में भी अपनी उपस्थिति बढ़ा रही है. पार्टी प्रमुख मायावती वर्ष 2018 से ट्विटर पर सक्रिय हुई थी और सतीश चंद्र मिश्र इस साल जुलाई 2021 में इससे जुड़े. मिश्र ने ब्राह्मणों को पार्टी से जोड़ने के लिए फेसबुक पर प्रबुद्ध वर्ग विशाल गोष्ठी की बैठकों की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू कर दिया है.
  • बसपा की चुनावी रणनीति में सबसे अहम बदलाव यह हुआ कि पहले पार्टी के नेता मीडिया से बातचीत नहीं करते थे, अब पार्टी ने प्रवक्ताओं को नियुक्ति की है. बीएसपी के प्रवक्ता फैजान खान के मुताबिक उनकी पार्टी समाज के हर तबके के लोगों से जुड़ रही है. खान के मुताबिक सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को पार्टी से जोड़ा जा रहा है लेकिन पार्टी जमीन पर भी काम कर रही है.

    (सोर्स: इंडियन एक्सप्रेस)