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Covid-19 Vaccine: वैक्सीन की 2 डोज में देरी इम्यून सिस्टम के लिए बेहतर! 300% तक बढ़ सकती है एंटीबॉडीज

Covid-19 Vaccine 2nd Dose Gap: एक नई स्टडी का दावा है कि वैक्सीन के दूसरे डोज में अंतराल लंबा होने से 300 फीसदी ज्यादा एंटीबॉडीज तैयार हो सकती हैं.

Covid-19 Vaccine 2nd Dose Gap: एक नई स्टडी का दावा है कि वैक्सीन के दूसरे डोज में अंतराल लंबा होने से 300 फीसदी ज्यादा एंटीबॉडीज तैयार हो सकती हैं.

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Covid-19 Vaccine 2nd Dose Gap

Covid-19 Vaccine 2nd Dose Gap: एक नई स्टडी का दावा है कि वैक्सीन के दूसरे डोज में अंतराल लंबा होने से 300 फीसदी ज्यादा एंटीबॉडीज तैयार हो सकती हैं.

Covid-19 Vaccine 2nd Dose Gap: भारत सहित ज्यादातर देशों में कोरोना वायरस को कंट्रोल करने के लिए लगातार वैक्सीनेशन किया जा रहा है. ज्यादातर देशों में इसके लिए वैक्सीन की 2 डोज जरूरी की गई है. लेकिन दोनों डोज के बीच गैप को लेकरा लगातार गाइडलाइंस आ रही हैं. हाल ही में भारत में भी कोविशील्ड की 2 डोज के बीच गैप बढ़ा दिया गया है. अब सवाल उठते हैं कि 2 डोज के बीच गैप बढ़ाने का क्या फायदा है. इस बारे में एक नई स्टडी का दावा है कि अगर वैक्सीन के दूसरे डोज में अंतराल लंबा हो, तो 300 फीसदी ज्यादा एंटीबॉडीज (Antibodies) तैयार हो सकती हैं. यह रिपोर्ट ब्लूमबर्ग में प्रकाशित हुई है.

रिसर्च से पता चला है कि वैक्सीन का पहला डोज इम्यून सिस्टम को तैयार करता है और वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाना शुरू करता है. ऐसे में इस प्रतिक्रिया को जितना ज्यादा समय मिलेगा, उतनी ही बेहतर प्रतिक्रिया दूसरे डोज की होगी. डोज में लंबे अंतराल के फायदे को सभी वैक्सीन में देखा गया है.

इम्यून सिस्टम बढ़ता है

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ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, वैक्सीन के दूसरे डोज में देरी सप्लाई और इम्यून सिस्टम दोनों के लिए फायदेमंद है. रिसर्च में पता चला है कि अगर वैक्सीन का दूसरा डोज देरी से प्राप्त हो, तो वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडीज का स्तर 20 फीसदी से 300 फीसदी तक बढ़ सकता है. ऐसे में यह नई खोज सिंगापुर और भारत समेत कई देशों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.

सप्लाई की दिक्कत भी होगी दूर

सिंगापुर में एक बार फिर मामलों में मामूली इजाफा देखा जा रहा है. जिसके चलते यहां दो डोज के बीच गैप को 4-6 हफ्ते कर दिया गया है. इससे पहले यह अंतराल 3-4 सप्ताह का था. वहीं, भारत में भी कोविशील्ड की 2 डोज के बीच गैप को बढ़ाकर 12-16 हफ्ते किया गया है. गैप बढ़ने से वैक्सीन की सप्लाई साइड में भी हो रही दिक्कतें दूर हो सकती हैं. संभावना जताई जा रही है कि कम वैक्सीन डोज और ज्यादा जनसंख्या वाले देश इसी नीति पर काम कर सकते हैं.

वैक्सीन की दो डोज क्यों है जरूरी

वैक्सीन की दो डोज क्यों जरूरी है. इसे ऐसे समझिए कि पहली डोज अगर अगर आपके शरीर में एंटीबॉडी पैदा करती है, तो दूसरी डोज एंटीबॉडी को मजबूत बनाती है. दोनों काम सही तरीके से होने पर ही हमारा शरीर किसी बीमारी से लड़ने के लायक बनता है. यही वजह है कि कोरोना के खिलाफ डबल डोज वैक्सीन तैयार करने वाली कंपनियों का टीका ले रहे हैं तो दोनों टीका जरूरी है.

लेकिन गैप ज्यादा न हो

अगर दोनों डोज के बीच अंतराल ज्यादा होगा, तो देशों को आबादी को सुरक्षित करने में ज्यादा समय लगेगा. क्योंकि, वैक्सीन के पहले डोज से कुछ सुरक्षा जरूर मिलती है, लेकिन दूसरा डोज लगने के कई हफ्तों बाद तक भी इससे व्यक्ति को पूरी तरह इम्युनाइज्ड नहीं समझा जा सकता. इसके अलावा अगर कम असरदार वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा या ज्यादा वायरस के अधिक संक्रामक वैरिएंट्स फैल रहे हैं, तो दो डोज के बीच अंतराल ज्यादा होना भी खतरनाक हो सकता है.

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