scorecardresearch

Afghanistan crisis: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में घुसा तालिबान, कहा- बल से लेने की योजना नहीं

Afghanistan Crisis Updates: तालिबान के उग्रवादी रविवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के बाहरी इलाकों में घुस आए.

Afghanistan Crisis Updates: तालिबान के उग्रवादी रविवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के बाहरी इलाकों में घुस आए.

author-image
FE Online
एडिट
New Update
Afghanistan crisis taliban enters kabul know latest updates in hindi

तालिबान के उग्रवादी रविवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के बाहरी इलाकों में घुस आए. (Image: Reuters)

Afghanistan crisis latest updates: तालिबान के उग्रवादी रविवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के बाहरी इलाकों में घुस आए. और उन्होंने कहा कि वे शहर के शांतिपूर्ण हस्तांतरण का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने बयान भी जारी किया, जिसमें कहा गया है कि उनकी काबुल को बल से लेने की कोई योजना नहीं है. देश की राजधानी से गोलियों की आवाजें भी सुनाई दीं.

अफगानिस्तान को पाकिस्तान से जोड़ने वाली सड़कों पर भी कब्जा

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि अब तक कोई लड़ाई नहीं हुई. तालिबान के उग्रवादी कलाकान, काराबाग और पघमान के जिलों में थे. रविवार को अफगानिस्तान के सरकार के अधिकार में आने वाला क्षेत्र और कम हो गया. इससे पहले आज देश के पूर्व में जलालाबाद शहर बिना लड़ाई के उनके कब्जे में आ गया. तालिबान ने अफगानिस्तान को पाकिस्तान से जोड़ने वाली सड़कों को भी अपने कब्जे में ले लिया है.

Advertisment

अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने कहा कि तालिबान के काबुल पर नहीं कब्जा लेने वाले बयान को देखते हुए, पुलिस स्पेशल यूनिट्स को विभिन्न काबुल शहर के जिलों को अवसरवादी लोगों से रक्षा करने के लिए लगाया गया है और पुलिस को गोली चलाने की इजाजत है.

Crypto Hacking का दुनिया में सबसे बड़ा मामला, हैकर्स ने उड़ाए 4500 करोड़ और अगले ही दिन लौटा दिया कुछ हिस्सा

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, बीते एक महीने में अफगानिस्तान में एक हजार से ज्यादा आम नागरिकों की की मौत हुई है. बीबीसी न्यूज के मुताबिक तालिबान ने पिछले कुछ दिनों में मीडिया चीफ समेत कई राजनीतिक हत्याओं को भी अंजाम दिया है. अभी तक ढाई लोग अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर हो चुके हैं. अमेरिकी सेना 20 साल बाद देश छोड़कर जा रही है, जिसके कारण तालिबान का दबदबा बढ़ रहा है और आशंका जताई जा रही है कि साल 2001 में सेना के आने के बाद मानवाधिकारों को लेकर जो सुधार हुए थे, वो सब खत्म हो जाएंगे.

Kabul