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Ayman al-Zawahiri Killed: अल-जवाहिरी का मारा जाना भारत के लिए क्यों है अहम? जानिए 4 बड़ी वजहें

आतंकी नेटवर्क अल-कायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी का मारा जाना पूरी दुनिया के लिए बड़ी खबर है. यहां हमने बताया है कि जवाहिरी का अंत भारत के लिए भी बेहद अहम क्यों है.

आतंकी नेटवर्क अल-कायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी का मारा जाना पूरी दुनिया के लिए बड़ी खबर है. यहां हमने बताया है कि जवाहिरी का अंत भारत के लिए भी बेहद अहम क्यों है.

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Viplav Rahi
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Ayman al-Zawahiri’s killing

दुनिया भर में दहशत फैलाने वाले आतंकी नेटवर्क अल-कायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी को बीती रात अमेरिका ने मार गिराया.

Ayman al-Zawahiri Killed: दुनिया भर में दहशत फैलाने वाले आतंकी नेटवर्क अल-कायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी को बीती रात अमेरिका ने मार गिराया. ऑपरेशन के वक्त वह अफगानिस्तान के एक शहरी इलाके में आराम से रह रहा था. ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद से अल-कायदा की कमान अल-जवाहिरी ही संभाल रहा था. अमेरिका में हुए 9/11 के हमले में उसका हाथ माना जाता था. जाहिर है इस आतंकी सरगना का मारा जाना पूरी दुनिया के लिए बड़ी खबर है. साथ ही जवाहिरी का अंत इन 4 कारणों के चलते भारत के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है:

1. हिजाब विवाद में अल-जवाहिरी ने बढ़ाई थी भारत की चिंता

कर्नाटक में हिजाब विवाद के दौरान अल-जवाहिरी का एक वीडियो आया था, जिसमें उसने मौके का फायदा उठाते हुए भारत के अल्पसंख्यकों को भड़काने की नाकाम कोशिश की थी. इस वीडियो में उसने चर्चा में आई छात्रा मुस्कान की तारीफ करते हुए पूरे विवाद को धार्मिक ध्रुवीकरण का हथियार बनाने और भारतीय मुसलमानों को उकसाने की कोशिश की थी. उस इन कोशिशों ने भारतीय एजेंसियों को उसके गंदे इरादों के प्रति अलर्ट कर दिया था.

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2. भारत में अलकायदा को फैलाना चाहता था अल-जवाहिरी

हिजाब विवाद में अल-जवाहिरी जिस तरह कूद पड़ा था, वह भारत में पांव फैलाने की उसके इरादों का संकेत था. कई जानकारों का मानना है कि दुनिया के बड़े इलाकों में अल-कायदा के कमजोर पड़ने के चलते अल-जवाहिरी भारत में पांव पसारने की फिराक में था. उसने भारत के बारे में जिस तरह की बातें कही थीं, उससे साफ था कि वो भारतीय अल्पसंख्यकों को बरगलाकर अपने झांसे में फंसाने की कोशिश कर रहा था. जाहिर है उसके मारे जाने से इन नापाक इरादों को धक्का लगेगा, जो भारत के लिए अच्छी खबर है.  

3. अफगानिस्तान की नई सरकार पर अल-कायदा का प्रभाव 

साल 2020 में अमेरिका के साथ हुए एक शांति समझौते में तालिबान के नेताओं वादा किया था कि वे अल-कायदा को न तो पनाह देंगे और न ही उससे हाथ मिलाएंगे. लेकिन अल-जवाहिरी जिस तरह  अफगानिस्तान में रह रहा था, उससे साफ है कि अफगानिस्तान की नई तालिबानी सरकार इस वादे से मुकर चुकी है. इससे पहले जून में आई यूएन की एक रिपोर्ट में भी कहा गया था कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने अलकायदा को काफी छूट दे दी है. इस यूएन रिपोर्ट में भारत और पड़ोसी देशों में मौजूद अल-कायदा के गुट AQIS (al-Qaeda in the Indian Subcontinent) का जिक्र भी किया गया था. रिपोर्ट में बताया गया था कि AQIS इलाके में अल-कायदा के 180 से 400 आतंकवादी हैं, जिनमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार के अलावा कुछ भारतीय नागरिकों के शामिल होने की भी आशंका है. जाहिर है अल-जवाहिरी इस पूरे इलाके में अपनी पकड़ बढ़ाने में लगा था. ऐसे में अल-जवाहिरी का मारा जाना अल-कायदा के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है. 

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4. नई अफगान सरकार को लेकर क्या हो भारत का रुख?

भारत मानवता के नाते अफगानिस्तान की मदद कर रहा है और वह भविष्य में भी मदद जारी रख सकता है. लेकिन अल-जवाहिरी के अफगानिस्तान में मारे जाने से अल-कायदा और तालिबान के जिस नजदीकी रिश्ते के संकेत मिले हैं. इतना ही नहीं, ऐसी खबरें भी आती रही हैं कि भारत में आतंकवादी वारदातों को अंजाम देने वाले लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन भी अफगानिस्तान में आतंकवादी कैम्प चला रहे हैं. इन तथ्यों को देखते हुए भारत को आपसी संबंधों पर फिर से विचार करने की जरूरत पड़ सकती है.

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