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Bank of England ने 27 साल में सबसे अधिक बढ़ाई ब्याज दर, Recession की चेतावनी भी दी, क्या और बढ़ेगा मंदी का खतरा?

Bank of England ने गुरुवार को ब्याज दरों को 1.25% से बढ़ाकर 1.75% कर दिया. यह 1995 के बाद से अब तक ब्याज दर में की गई सबसे बड़ी बढ़ोतरी है, जो मंदी (recession) की आशंका के बीच हुई है.

Bank of England ने गुरुवार को ब्याज दरों को 1.25% से बढ़ाकर 1.75% कर दिया. यह 1995 के बाद से अब तक ब्याज दर में की गई सबसे बड़ी बढ़ोतरी है, जो मंदी (recession) की आशंका के बीच हुई है.

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Viplav Rahi
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Bank of England raises rates by most since 1995

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने कहा है कि 2022 की चौथी तिमाही तक देश में मंदी आने वाली है.

Bank of England raises interest rates by 50 bps: बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट यानी आधा फीसदी की जबरदस्त बढ़ोतरी करने का एलान किया है. बैंक ऑफ इंग्लैंड (BoE) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की गुरुवार को हुई बैठक में बैंक रेट बढ़ाने को 1.25 फीसदी से बढ़ाकर 1.75% करने का प्रस्ताव पेश किया गया, जिसे 8 के मुकाबले 1 वोट से पारित कर दिया गया. यह इंग्लैंड में 1995 के बाद से अब तक यानी पिछले 27 सालों के दौरान ब्याज दर में की गई सबसे बड़ी बढ़ोतरी है. बैंक ने यह कदम देश में आसमान छूती महंगाई पर काबू पाने के लिए किया है, क्योंकि वहां महंगाई दर (Inflation) बढ़कर 13% के पार चले जाने की आशंका जाहिर की जा रही है.

BoE ने यह फैसला भले ही महंगाई पर काबू पाने के मकसद से किया है, लेकिन इस हकीकत को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि उसने ब्याज दरें ऐसे वक्त में बढ़ाई हैं, जब यूरोप में लंबे समय के लिए मंदी (recession) जैसे हालात बनने की चेतावनी लगातार दी जा रही है. ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि कहीं बैंक ऑफ इंग्लैंड के इस फैसले की वजह से मंदी का खतरा और बढ़ तो नहीं जाएगा? 

2022 की चौथी तिमाही तक आएगी मंदी : BoE

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मंदी के खतरे के बीच ब्याज दरें बढ़ाए जाने पर उठ रहे सवाल इसलिए और भी प्रासंगिक हैं, क्योंकि बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरें बढ़ाने के साथ ही साथ खुद ही कह दिया कि साल 2022 की चौथी तिमाही तक देश में मंदी आने वाली है. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) पहले ही कह चुका है कि यूरोप समेत दुनिया के बड़े हिस्से पर मंदी के काले बादल मंडरा रहे हैं. 

बाजार की प्रतिक्रिया 

BoE के ब्याज दरें बढ़ाने के एलान के बाद ब्रिटेन के शेयर बाजार में करीब आधा फीसदी (0.5%) की बढ़त देखने को मिली. बैंकिंग शेयर्स में भी उछाल के बाद कंसॉलिडेशन देखने को मिला. ब्रिटेन के विदेशी मुद्रा (FOREX) बाजार में पहले तो पाउंड स्टर्लिंग में तेजी आई, लेकिन BoE का साल 2022 की चौथी तिमाही में मंदी आने वाला बयान जैसे ही सामने आया, उसमें गिरावट आ गई. 

बैंक ऑफ इंग्लैंड के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए सैंटेंडर यूके के चीफ इकॉनमिस्ट (Santander UK Chief Economist) फ्रैंसेस हक़ (Frances Haque) ने कहा, “ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला ऐसे वक्त में हुआ है, जब एक तरफ ग्रोथ रेट में गिरावट आ रही है और दूसरी तरफ अक्टूबर में महंगाई दर नई ऊंचाई पर पहुंचने की आशंका है. ऐसे में ब्रिटेन की इक़ॉनमी का भविष्य अंधेरे में घिरा हुआ नजर आ रहा है. MPC का कहना है कि उनके इस फैसले का मकसद महंगाई दर को कम करना है. लेकिन सवाल यह है कि इसके लिए MPC को अभी और किस हद तक जाना पड़ सकता है?”

महंगाई और मंदी के दो पाटों में फंसी इकॉनमी

महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने का ये पहला मामला नहीं है. फिलहाल दुनिया के ज्यादातर देशों में इसी तरह के हालात बन रहे हैं. जिसमें यूक्रेन पर रूस के हमले से पैदा परिस्थितियों का काफी बड़ा हाथ है. यूरोपीय यूनियन से लेकर अमेरिका और भारत तक, तमाम देश ऊंची महंगाई दर पर लगाम कसने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने की राह पर चल रहे है. ऐसे में सारी दुनिया के साम मंदी और महंगाई के दोहरे खतरे से जूझने की चुनौती लगातार बढ़ती जा रही है.

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