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Russia-Ukraine Conflict: ब्रेंट Crude 8 साल के हाई पर, कीमतें 100 डॉलर के पार, आप पर क्या होगा असर?

यूक्रेन पर रूस के सैन्य एक्शन के चलते क्रूड में जोरदार तेजी आई और यह 8 साल बाद पहली बार 100 डॉलर प्रति के पार निकल गया है.

यूक्रेन पर रूस के सैन्य एक्शन के चलते क्रूड में जोरदार तेजी आई और यह 8 साल बाद पहली बार 100 डॉलर प्रति के पार निकल गया है.

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Sushil Tripathi
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Russia-Ukraine Conflict: ब्रेंट Crude 8 साल के हाई पर, कीमतें 100 डॉलर के पार, आप पर क्या होगा असर?

रूस और यूक्रेन के बीच संकट के चलते कच्चे तेज यानी क्रूड की कीमतों में उबाल जारी है. (reuters)

Crude Oil Latest Prices: रूस और यूक्रेन के बीच संकट के चलते कच्चे तेज यानी क्रूड की कीमतों में उबाल जारी है. वहीं यूक्रेन पर रूस के सैन्य एक्शन के चलते क्रूड में जोरदार तेजी आई और यह 8 साल बाद पहली बार 100 डॉलर प्रति के पार निकल गया है. क्रूड कल के बंद भाव से 4.66 फीसदी बए़कर 101.35 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है. एक्सपर्ट का कहना है कि रूस के एक्शन के बाद ग्लोबल एक्शन का इंतजार है. फिलहाल अभी कुछ दिन क्रूड में यह तेजी जारी रहने वाली है. क्रूड मौजूदा लेवल से 4 से 5 फीसदी और महंगा हो सकता है. क्रूड में तेजी जहां महंगाई बढ़ाएगी, वहीं इकोनॉमिक ग्रोथ पर असर डाल सकता है.

2022 में क्रूड 31 फीसदी महंगा

साल 2022 के शुरू से ही क्रूड में तेजी देखने को मिल रही है. पहले जहां इकोनॉमी ओपेन होने से बढ़े डिमांड के चलते क्रूड में तेजी बनी. वहीं पिछले कुड दिनों से रूस और यूक्रेन के संकट के चलते इसमें उबाल जारी है. फिलहाल इस साल अबतक क्रूड 31 फीसदी महंगा हो चुका है. वहीं बीते 1 साल में ​क्रूड में 66 फीसदी के करीब तेजी आई है और यह 65 डॉलर प्रति बैरल से 101 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है. इसके पहले साल 2014 में ब्रेंट क्रूड ने 100 डॉलर का भाव टच किया था.

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बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई का एलान किया है. साथ में दुनिया के तमाम देशों को इससे दूर रहने की हिदायत भी दी है.

क्रूड और होगा महंगा

IIFL सिक्योरिटीज के VP (रिसर्च) अनुज गुप्ता का कहना है कि क्रूड ने 8 साल बाद 100 डॉलर प्रति बैरल का लेवल तोड़ दिया है. यह वार आगे खिंचा तो तेल की सप्लाई पर असर होगा और क्रूड शॉर्ठग्शॉ टर्म में 105 डॉलर प्रति बैरल का लेवल टच कर सकता है. उनका कहना है कि अभी भी सप्लाई में डिस्टर्बेंस है, आगे यह दिक्कत और बढ़ सकती है. mcx पर कच्चा तेल 7500 से 7800 का लेवल टच कर सकता है.

इकोनॉमिक ग्रोथ पर होगा असर

क्रूड की कीमतों में ज्यादा तेजी आने का मतलब है कि जो देश क्रूड का इंपोर्ट करते हैं, उनका इंपोर्ट बिल बढ़ेगा, जिससे बैलेंसशीट बिगड़ेगी. इन देशों का चालू खाता और राजकोषीय घाटा बढ़ेगा. इन देशों की करंसी कमजोर होंगी. इससे इन देश में महंगाई बढ़ने का खतरा भी बढ़ेगा. भारत सबसे बड़े क्रूड खरीदारों में हैं. ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था पर असर हो सकता है. अगर क्रूड का भाव 100 डॉलर के पार बना रहता है तो पेट्रोल और डीजल भी महंगे होने के आसार हैं. इससे महंगाई बढ़ेगी.

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