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भारत दुनिया भर की जरूरत का 85-90 फीसदी कैस्टर ऑयल और उसके उत्पादों की आपूर्ति करता है.
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव के दौरान कारोबारी मुद्दे पर एक और नया मामला सामने आया है. सॉल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) का आरोप है कि चीन इस समय भारत से कैस्टर सीड (अरंडी के बीज) की बहुत अधिक मात्रा में खरीदारी कर रहा है. एसईए का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में अपना रिजर्व बढ़ाने के लिए कमोडिटीज की खरीदारी कर रहा है. इसके अलावा वह भारत से कैस्टर सीड की बहुत अधिक मात्रा में खरीदारी कर रहा है.
परंपरागत रूप से चीन पहले भी भारत से कैस्टर ऑयल और उसके अन्य उत्पाद खरीदता रहा है लेकिन इस बार चीन आश्चर्यजनक रूप से बहुत अधिक मात्रा में खरीदारी कर रहा है. एसईए का मानना है कि इसका भारतीय उद्योगों पर गहरा असर पड़ेगा. इसे लेकर एसोसिएशन ने केंद्रीय वाणिज्यिक और औद्योगिक मंत्री पीयूष गोयल को पत्र भी लिखा है.
प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को भारी नुकसान की संभावना
केंद्रीय मंत्री को लिखे गए पत्र में एसोसिएसन ने लिखा है कि भारत दुनिया भर की जरूरत का 85-90 फीसदी कैस्टर ऑयल और उसके उत्पादों की आपूर्ति करता है और इसे लेकर देश में बेहतर तरीके से विकसित प्रोसेसिंग इंडस्ट्री है. हर साल 6 हजार टन कैस्टर ऑयल का निर्यात होता है. प्रोसेसिंग इंडस्ट्री प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बहुत से लोगों को रोजगार उपलब्ध कराती है. एसईए की शिकायत है कि इस समय चीन जिस तरह से खरीदारी कर रहा है, उससे प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बहुत नुकसान पहुंच सकता है.
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एक्सपोर्ट कम करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आग्रह
एसईए के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता का कहना है कि देश के भीतर वैल्यू एडीशन मुख्य फोकस होना चाहिए और कच्चे माल (कैस्टर सीड) के निर्यात को निरुत्साहित किया जाना चाहिए. एसोसिएशन ने इसके निर्यात को निरुत्साहित करने के लिए मंत्रालय से जरूरी कदम उठाने का आग्रह किया है, जैसे कि न्यूनतम निर्यात भाव (एमईपी) तय कर या कैस्टर सीड पर एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाकर.
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