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पिछले दो साल में कोरोना महामारी के चलते भारत में 4.81 लाख नहीं बल्कि 47.4 लाख लोगों की मौत हुई है. यह दावा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है.
Covid Death Row: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के चलते पिछले दो साल वर्ष 2020 और 2021 में 47.4 लाख लोगों की मौत हुई थी. वहीं भारत सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक यह आंकड़ा 4.81 लाख है जो कि डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों से करीब दस गुना कम है. भारत सरकार ने डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसके आकलन के तरीके पर सवाल उठाए हैं. वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने इस रिपोर्ट को लेकर सरकार पर निशाना साधा है और सभी प्रभावित परिवारों को चार लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है.
डब्ल्यूएचओ की यह रिपोर्ट भारत द्वारा वर्ष 2020 के जन्म व मृत्यु के रजिस्ट्रेशन का सालाना आंकड़ा जारी करने के दिन बाद आई है. सरकार के सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) में पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले वर्ष 2020 में 4.75 लाख अधिक मौतें दर्ज हुई हैं जोकि पिछले कुछ वर्षों में मौतों के आंकड़ों के ट्रेंड के मुताबिक ही है. सीआरएस किसी खास वजह से हुई मौत के आंकड़े नहीं स्टोर करता है. 2021 का डेटा अगले साल 2023 में रिलीज होगा.
सरकार ने उठाए WHO के तरीकों पर सवाल
डब्ल्यूएचओ के एक्सेस डेथ के आंकड़े जुटाने के तरीकों को लेकर सरकार ने लगातार आपत्ति जताई है और कम से कम दस पत्र भेजे थे. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) के सीआरएस द्वारा जारी प्रमाणित आंकड़े जब उपलब्ध हैं तो भारत में कितने लोगों की अधिक मौत हुई, इसे लेकर गणितीय मॉडल नहीं इस्तेमाल करना चाहिए. इंडियन एक्सप्रेस को मंत्रालय के एक सूत्र ने जानकारी दी कि डब्ल्यूएचओ को यह डेटा उसी दिन भेज दिया गया था जिस दिन 3 मई को यह प्रकाशित हुआ था. वहीं डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक उसके और भारत के ऑफिशियल आंकड़े में फर्क की वजह डेटा और डब्ल्यूएचओ के तरीकों की वजह से है.
ये है आपत्तियां
डब्ल्यूएचओ ने 17 भारतीय राज्यों के डेटा कुछ वेबसाइट्स और मीडिया रिपोर्ट्स से लिए और इसका अपने गणितीय मॉडल में इस्तेमाल किया, इस तरीके को लेकर भारत सरकार ने आपत्ति जताई है. मंत्रालय के एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस से आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि जब सरकारी डेटा उपलब्ध है तो किसी अन्य स्रोत से आंकड़े क्यों जुटाना और क्यों सिर्फ 17 राज्य चुने गए. इसके अलावा उन्होंने इस पर भी सवाल उठाए कि मौतों का आंकड़ा पहले 13 लाख से 33 लाख और फिर 63 लाख और फिर 47 लाख हुआ. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या डब्ल्यूएचओ ने यह डेटा किसी टाइम पीरियड में जुटाया या किसी एक महीने के अधिकतम मौतों के आंकड़ों से मॉडल तैयार किया? मंत्रालय इसे गलत मान रहा है और कहा कि अगर केरल या महाराष्ट्र में कोरोना के चलते हुए मौतों के आधार पर पूरे देश के आंकड़े तैयार किए जाएंगे तो यह गलत क्योंकि सबसे अधिक मौतें इन्हीं दोनों राज्यों में हुई हैं. इसके अलावा अगर दूसरी लहर की पीक के आधार पर दो साल के डेटा तैयार किए गए हैं तो यह भी गलत है.
राहुल गांधी ने साधा पीएम मोदी पर निशाना
डब्ल्यूएचओ और भारत सरकार के आंकड़े में भारी अंतर को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. गांधी ने ट्वीट किया है कि विज्ञान झूठ नहीं बोलता है लेकिन मोदी बोलते हैं. उन्होंने ट्वीट में आगे लिखा है कि जिन लोगों ने कोरोना के चलते अपने परिजनों को खोया है, उन्हें 4 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए, उन्हें सहारा दिया जाए.