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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा डेवलप की गई कोरोना वैक्सीन को लेकर एक बड़ी खबर आई है. मानव परीक्षण के बाद यह दावा किया गया है कि यह वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित और इम्यून सिस्टम बढ़ाने वाली है. इसके परीक्षण में किसी भी तरह का नुकसान नहीं पाया गया है. इस बारे में यूके बेस्ड मेडिकल जर्नल ‘The Lancet’ में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. इस दवा को आधिकारिक रूप में AZD1222 के रूप में जाना जाता है और ब्रिटिश-स्वीडिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा तैयार की गई है.
सुरक्षा के साथ इम्यूनिटी भी
लैंसेट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मानव परीक्षण दौरान पता चला कि यह कोरोना वैक्सीन ना केवल इम्यून सिस्टम को बेहतर करत ही बल्कि सुरक्षित भी करती है. इसके ह्यूमन ट्रॉयल में कुल 1,077 वॉलंटियर शामिल थे. इन सभी को कोविड की वैक्सीन देने के बाद पता चला कि टीके ने एंटीबॉडी के साथ-साथ टी-शेल्स भी विकसित किए जो कोरोनोवायरस से लड़ते हैं. ब्रिटेन ने पहले ही इस टीके की 100 मिलियन खुराक का ऑर्डर दिया है.
दोहरी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्होंने 18 साल से 55 साल की उम्र के लोगों के बीच इस वैक्सीन के परीक्षण में पाया कि इससे लोगों में दोहरी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई. यह कम से कम 2 महीने तक चली थी, जिसके बाद वे पूरी तरह से इम्यूनाइज यानी प्रतिरक्षित हो गए थे. मानव परीक्षण के चरण I और II में 1077 लोगों पर वैक्सीन का परीक्षण किया गया था. द लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि वैक्सीनेशन के 14 दिनों के भीतर टी-सेल प्रतिक्रिया और 28 दिनों के भीतर एक एंटीबॉडी प्रतिक्रिया शुरू हो गई. एक टी-सेल प्रतिक्रिया SARS-CoV-2 वायरस से संक्रमित कोशिकाओं पर सफेद रक्त कोशिकाओं के हमले को रेफर करती है.
कोई दुष्प्रभाव नहीं
लैंसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि परीक्षण का हिस्सा बने सैकड़ों लोगों में इस वैक्सीन का कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं देखा गया. बड़े पैमाने पर तीसरे चरण का परीक्षण शुरू हो चुका है और अकेले अमेरिका में कुल 30,000 लोगों पर इसके परीक्षण की उम्मीद है.
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रमुख लेखक एंड्रयू पोलार्ड ने कहा कि हमें उम्मीद है कि यह वैक्सीन लोगों को लंबी अवधि तक सुरक्षित रखेगा. हालांकि, हमें और अधिक रिसर्च की जरूरत है, जिससे हम यह पुष्टि कर सकें कि टीका प्रभावी रूप से SARS-CoV-2 संक्रमण से बचाता है और कितने समय तक कैसे सुरक्षित करता है.
तीसरे चरण का परीक्षण शुरू
वर्तमान में, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में तीसरे चरण के परीक्षण शुरू हो गए हैं. इन देशों को परीक्षणों के लिए चुना गया ताकि वे परीक्षणों में पर्याप्त भागीदारी कर सकें. अध्ययन के चरण 3 में यह आकलन करना शामिल है कि 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में वैक्सीन कैसे काम करता है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने कहा कि इस समूह ने मूल्यांकन की अनुमति दी कि लोगों को कोविड-19 से संक्रमित होने से बचाने के लिए यह वैक्सीन कितना कारगर है.