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कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर में लगभग 2.5 करोड़ नौकरियां जा सकती हैं.
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Coronavirus: कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर में लगभग 2.5 करोड़ नौकरियां जा सकती हैं. संयुक्त राष्ट्र (UN) की एजेंसी के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय समन्वय से नीति वैश्विक बेरोजगारी पर असर कम हो सकता है. अपनी प्रारंभिक मूल्यांकन रिपोर्ट में इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) ने इसके लिए तुरंत, बड़े स्तर पर और आपसी समन्वय से कदम लेने के लिए कहा है. उसके मुताबिक तीन चीजों पर ध्यान दिया जाना चाहिए जिसमें काम करने की जगह में कर्मचारी की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी को प्रोत्साहित करना और नौकरियों और आय को बढ़ावा देना शामिल है.
सामाजिक सुरक्षा देने की जरूरत
ILO ने कहा कि इन कदमों में सामाजिक सुरक्षा देना, एंप्लोयमेंट रिटेंशन को सपोर्ट करना (शॉर्ट टर्म वर्क, पेड लीव, अन्य सब्सिडी), वित्तीय और टैक्स छूट जिसमें छोटे, मध्य और माइक्रो साइज की कंपनियां शामिल हैं.
इसने फिजकल और मॉनेटरी पॉलिसी से जुड़े कदमों का भी प्रस्ताव किया है. इसके साथ ही चुनिंदा सेक्टर के लिए वित्तीय सपोर्ट देने की भी बात कही गई है. ILO ने कहा है कि कोविड-19 से पैदा हुए आर्थिक और श्रम के संकट से वैश्विक बेरोजगारी में 2.5 करोड़ की बढ़ोतरी हो सकती है. इसने साथ में कहा कि हालांकि अगर 2008-09 के वैश्विक आर्थिक संकट की तरह कोई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नितिगत रिस्पॉन्स होता है, तो वैश्विक बेरोजगारी पर असर काफी काम हो सकता है.
अंडर-इंप्लॉयमेंट में होगी बढ़ोतरी
रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना वायरस की वजह से कैसे बेरोजगारी और अंडर-इंप्लॉयमेंट पर कैसे असर होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि अंडर-इंप्लॉयमेंट भी बढ़ेगा क्योंकि वायरस के प्रकोप से काम करने के घंटों और वेतन में कमी आएगी. रिपोर्ट के मुताबिक विकासशील देशों में स्व-रोजगार भी असर को कम नहीं कर सकेगा क्योंकि लोगों और सामान की आवाजाही पर पाबंदियां है.