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Covid-19 Treatment: कोरोना इंफेक्शन को खत्म करने का वैज्ञानिकों ने खोजा नया रास्ता, तीसरी लहर से निपटने में मिल सकती है मदद

अमेरिकी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के एक ऐसे प्रोटीन पॉकेट का पता लगाया है, जिसे टारगेट करके इंफेक्शन को बढ़ने से पहले ही खत्म किया जा सकता है.

अमेरिकी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के एक ऐसे प्रोटीन पॉकेट का पता लगाया है, जिसे टारगेट करके इंफेक्शन को बढ़ने से पहले ही खत्म किया जा सकता है.

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coronavirus scientists find new way to battle covid-19 pandemic can help in third wave

अमेरिकी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के एक ऐसे प्रोटीन पॉकेट का पता लगाया है, जिसे टारगेट करके इंफेक्शन को बढ़ने से पहले ही खत्म किया जा सकता है. (Image: PTI)

Coronavirus Update: कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में दुनिया भर के वैज्ञानिक लगे हैं. अब इसमें एक नई सफलता मिली है. अमेरिकी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के एक ऐसे प्रोटीन का पता लगाया है, जिसे निशाना बनाकर इंफेक्शन को बढ़ने से पहले ही खत्म किया जा सकता है. इस खोज से ऐसी दवा बनाने का रास्ता खुल गया है, जो वायरस को इंफेक्शन के शुरुआती दौर में ही नष्ट कर सकती है.

वैज्ञानिकों की इस नई खोज से कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर से मुकाबला करने में मदद मिलेगी. वैज्ञानिकों को प्रोटीन स्ट्रक्चर में कोरोना वायरस के लिए खास पॉकेट मिला है, जो वायरस को एक जगह बांधे रखता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस पॉकेट को टारगेट करने वाली दवा कोरोना वायरस को इंफेक्शन के शुरुआती दौर में ही समाप्त कर सकती है.

लोगों को बहुत बीमार होने से रोकने में मिलेगी मदद

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कोरोना वायरस के इंसान के शरीर में तेजी से फैलने में मददगार उस खास प्रोटीन को वैज्ञानिकों ने Nsp16 का नाम दिया है, जिसे ड्रग्स में टारगेट किया जा सकता है. अगर इस प्रोटीन को दवा के जरिए निशाना बनाया जाए तो किसी व्यक्ति के वायरस से संक्रमित होने के फौरन बाद ही बीमारी को बढ़ने से रोककर वायरस को खत्म किया जा सकेगा. शोधकर्ताओं ने कहा कि इससे लोगों को बीमारी के शुरुआती दौर में ही ठीक किया जा सकेगा.

अमेरिका में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी Feinberg स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने जिक्र किया कि वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर के लिए तैयार रहना चाहिए. Feinberg स्कूल ऑफ मेडिसिन में माइक्रोबायोलॉजी-इम्यूनोलॉजी की प्रोफेसर Karla Satchell ने कहा कि भगवान न करे, कि इसकी जरूरत न पड़े, लेकिन हम तैयार रहेंगे.

वायरस में पाए जाने वाले इस nsp16 नाम के प्रोटीन के स्ट्रक्चर की मैपिंग भी सबसे पहले वैज्ञानिकों की इसी टीम ने  की थी. यह प्रोटीन सभी कोरोना वायरस में मौजूद होता है, लिहाजा इसे निशाना बनाकर महामारी पर प्रभावी रूप से काबू पाया जा सकता है. साइंस सिग्नलिंग नाम के जरनल में छपी लेटेस्ट स्टडी में इस महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है, जिससे भविष्य के कोरोना वायरस के साथ SARS-CoV-2 के खिलाफ ड्रग के डेवलपमेंट में मदद मिल सकती है.

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Satchell ने कहा कि SARS-CoV-2 या कोविड-19 महामारी और भविष्य के कोरोना वायरस से मुकाबला करने के लिए ड्रग खोजने के नई तरीकों की बेहद जरूरत है. उन्होंने बताया कि इसके पीछे आइडिया संक्रमण को शुरुआती दौर में रोकना है. उन्होंने समझाया कि अगर आपके आस-पास किसी व्यक्ति को कोरोना वायरस से संक्रमण होता है, तो आपको दवाई की दुकान पर जाकर ड्रग को लेना होगा और इसे तीन से चार दिनों तक लेना होगा. अगर आर बीमार हैं, तो आप कम बीमार पड़ेंगे.

(Input: PTI)

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