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SARS-CoV-2, जिसकी वजह से कोरोना वायरस महामारी हुई है, वह व्यक्ति की त्वचा पर नौ घंटे तक रह सकता है.
SARS-CoV-2 जिसकी वजह से कोरोना वायरस महामारी हुई है, वह व्यक्ति की त्वचा पर नौ घंटे तक रह सकता है. जापान के शोधकर्ताओं ने इस बात की जानकारी दी है. यह स्टडी ‘Clinical Infectious Diseases’ जरनल में प्रकाशित की गई है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सही हाथ की स्वच्छता कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए महत्वपूर्ण है.
स्टडी में कहा गया है कि SARS-CoV-2 का इंसान की त्वचा पर स्थिरता का अभी पता नहीं है. उन्होंने एक मॉडल बनाया है जिससे pathogens का व्यक्ति की त्वचा पर आने और वहां उसकी स्थिरता साफ हो पाती है.
सैनिटाइजर में 80 फीसदी अल्कोहल मौजूद होना चाहिए
शोधकर्ताओं ने इंसानी त्वचा की सतह पर SARS-CoV-2 और influenza A वायरस (IAV) की स्थिरता का मूल्यांकन किया. स्वस्थ वॉलेंटियर्स को संक्रमण से बचाने के लिए लैब में प्रयोग को cadaver स्किन का इस्तेमाल करके किया जिसे स्किन ग्राफ्ट्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जहां influenza A वायरस इंसान की त्वचा पर दो घंटे से कम समय के लिए रहा, वहीं नोवल कोरोना वायरस नौ घंटे से ज्यादा के लिए मौजूद था. दोनों हैंड सैनिटाइजर जिसमें 80 फीसदी अल्कोहल मौजूद हो, ऐसे का इस्तेमाल करने पर 15 सेकेंड के अंदर पूरी तरह इनेक्टिव हो गए.
SARS-CoV-2 के नौ घंटे के लिए इंसान की त्वचा पर रहने से IAV की तुलना में कॉन्टैक्ट ट्रांसमिशन का जोखिम बढ़ सकता है, जिससे महामारी फैलने में भी तेजी आ सकती है. स्टडी के निष्कर्ष वाले भाग में कहा गया है कि कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सही तरीके से हाथ की स्वच्छता बनाए रखना महत्वपूर्ण है.
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रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बीच यूएस सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने वर्तमान में अल्कोहल बेस्ड हैंड रब को इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है जिसमें 60 फीसदी से 95 फीसदी अल्कोहल मौजूद हो. या साबुन और पानी के साथ हाथों को पूरी तरह कम से कम 20 सेकेंड के लिए धोया जा सकता है.