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Covid-19 Vaccine Updates: फाइजर ने Covid-19 के शॉट्स के इमरजेंसी प्रयोग की मांगी मंजूरी, जानें क्या है इसका मतलब

Covid-19 Vaccine Updates: एफडीए की मंजूरी मिल जाती है तो अगले महीने से ही इसके शॉट्स लगने शुरू हो जाएंगे.

Covid-19 Vaccine Updates: एफडीए की मंजूरी मिल जाती है तो अगले महीने से ही इसके शॉट्स लगने शुरू हो जाएंगे.

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PTI
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covid 19 vaccine updates Pfizer BioNTech filed for emergency use of COVID-19 shots to US FDA

अमेरिकी कंपनी फाइजर ने अमेरिकी नियामक से वोविड-19 वैक्सीन के आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी मांगी है. (Image-Reuters)

Covid-19 Vaccine Updates: अमेरिकी कंपनी फाइजर ने अमेरिकी नियामक से वोविड-19 वैक्सीन के आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी मांगी है. फाइजर और उसकी जर्मन सहयोगी बॉयोएनटेक ने कुछ दिन पहले घोषणा की थी कि उन्होंने कोरोना से लड़ने के लिए जो टीका तैयार किया है, वह 95 फीसदी प्रभावकारी है. फाइजर ने यह मंजूरी अमेरिकी नियामक फूड एंड ड्रग एडमिनिसट्रेशन (FDA) से मांगा है. अगर एफडीए की मंजूरी मिल जाती है तो अगले महीने से ही इसके शॉट्स लगने शुरू हो जाएंगे.

इन कंपनियों का कहना है कि बचाव और एक सुरक्षा के एक बेहतर रिकॉर्ड का मतलब है कि वैक्सीन को आपात स्थिति में प्रयोग के लिए मंजूरी दी जानी चाहिए. अमेरिकी नियामक से इन कंपनियों ने फाइनल टेस्टिंग से पहले ही मंजूरी लेने के लिए आवेदन कर दिया है. इसके अलावा उन्होंने यूरोप और ब्रिटेन में भी आवेदन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

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मास्क और अन्य सुरक्षा उपायों को छोढ़ना जल्दबाजी

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दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या बढ़ने के कारण नियामकों पर इस समय जल्द से जल्द फैसले लेने का दबाव बना हुआ है. अमेरिका में संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउसी ने फाइजर की घोषणा के एक दिन पहले कहा था कि मदद मिलने वाली है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि अभी मास्क और सुरक्षा के अन्य उपायों को छोड़ना जल्दबाजी होगी. फाउसी ने कहा था कि अभी हमें मदद का इंतजार है, इसलिए लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए दोगुना काम करने की जरूरत है.

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इस साल के अंत तक 5 करोड़ डोज

फाइजर ने एफडीए पास मंजूरी के लिए जो आवेदन किया है, उस पर एफडीए और उसके स्वतंत्र सलाहकारों का कहना है कि अगर वैक्सीन पूरी तरह प्रयोग करने के लिए तैयार हो चुका है तो भी इसके प्रयोग को लेकर सरकारी सदस्यों का एक समूह यह भी दे्खेगा कि इसकी शुरुआती आपूर्ति कितनी है और इसे किस तरह लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा.

फाइजर के पास इस साल के अंत तक वैक्सीन का 5 करोड़ डोज उपलब्ध होगा. इसमें से 2.5 करोड़ डोज अगले महीने अमेरिकियों के लिए उपलब्ध होगा. अमेरिकियों के लिए जनवरी में 3 करोड़ और फरवरी व मार्च में 3.5 करोड़ डोज उपलब्ध होगा. इस टीके की दो डोज लगाई जाएगी और दोनों डोज के बीच तीन हफ्ते का अंतराल होगा. अमेरिका और अन्य कई देशों की सरकारें फाइजर और बॉयोएनटेक के साथ वैक्सीन की डोज के लिए कांट्रैक्ट कर रही हैं और इन्हें मुफ्त में लोगों को उपलब्ध कराने के वादे भी कर रही हैं.

मोडेर्ना भी इमरजेंसी प्रयोग के लिए कर सकती है आवेदन

फाइजर के अलावा एक और अमेरिकी कंपनी मोडेर्ना भी कोरोना वैक्सीन तैयार कर चुकी है. अभी तक के डेटा के मुताबिक उसने जो वैक्सीन तैयार किया है, वह उतना ही शक्तिशाली है जितना फाइजर द्वारा तैयार किया गया वैक्सीन. मोडेर्ना के दावे के मुताबिक उसके द्वारा तैयार की गई वैक्सीन 94.5 फीसदी प्रभावशाली है. ऐसे में अब उम्मीद की जा रही है कि मोडेर्ना भी आपाताकालीन प्रयोग की मंजूरी के लिए कुछ ही हफ्ते में आवेदन कर सकती है.

अब आगे ये प्रक्रियाएं होंगी

पहली बार पता चलेगा दावे की सच्चाई

कोरोना वैक्सीन कितना प्रभावशाली है, अभी तक इसके बारे में आम लोगों को उतना ही पता है जितना फाइजर और बॉयोएनटेक ने बताया है. अगले महीने 10 दिसंबर को पहली बार आम लोगों को पता चलेगा कि उनके दावे कितने मजबूत हैं, जब एफडीए के वैज्ञानिक सलाहकार की सार्वजनिक बैठक होगी. इस बैठक में यह निर्णय लिया जाएगा कि वैक्सीन के प्रयोग की मंजूरी दी जाए या नहीं और अगर इसे मंजूरी दी जाए तो इसके डोज किसे दिए जाएं.

इमरजेंसी यूज को पूर्ण मंजूरी न समझा जाए

एफडीए के वैक्सीन ऑफिस के प्रमुख डॉ मॉरियन ग्रूबर के मुताबिक अगर फाइजर व बॉयोएनटेक को वैक्सीन के इमरजेंसी प्रयोग की मंजूरी मिल जाती है तो इसका मतलब यह नहीं कि इसे पूरी तरह से मंजूरी मिल चुकी है बल्कि इसकी जांच जारी रहती है.

मैनुफैक्चरिंग

एफडीए का फैसला सिर्फ स्टडी डेटा पर नहीं निर्भर करेगा कि वैक्सीन कितनी प्रभावशाली है. वह इस बात पर भी फैसला लेगा कि इसका मैनुफैक्चरिंग किस तरीके से हो रहा है. एफडीए इसकी जांच करेगा कि वैक्सीन को सही तरीके से बनाया जा रहा है. बता दें कि फाइजर-बॉयोएनटेक और मोडेर्ना जो वैक्सीन तैयार कर रही है, उसमें नई तकनीक का प्रयोग किया गया है और उसमें वास्तविक कोरोना वायरस नहीं है. इसकी बजाय वायरस के स्पाइक प्रोटीन के जेनेटिक कोड का प्रयोग कर इसे तैयार किया गया है.

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