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कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन से खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था को जमकर नुकसान पहुंचने की आशंका है.
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कोरोना वायरस महामारी (COVID-19 Pandemic) के चलते दुनियाभर में लॉकडाउन की स्थिति है. इससे पूरी दुनिया में कच्चे तेल यानी क्रूड की डिमांड बेहद कमजोर है और इसकी कीमतें 2 दशक में सबसे निचले स्तर पर आ गई हैं. फिलहाल, इन सबके बीच खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था को जमकर नुकसान पहुंचने की आशंका है. हाल ही में IMF ने भी यह अनुमान जताया है कि मिडिल ईस्ट के देशों को लॉकडाउन के चलते बड़ा नुकसान हो सकता है और उनकी अर्थव्यवस्था में 1.1 फीसदी से 12 फीसदी की रेंज में गिरावट आ सकती है. सिर्फ इजिप्ट ही पॉजिटिव ग्रोथ दिखा सकता है.
तेल की कमाई को लेकर परेशान
असल में कभी दुनियाभर के तमाम देशों को तेल बेचकर शान की जिंदगी जीने वाले अरब देश अब इसी तेल की कमाई को लेकर परेशान हैं. सऊदी अरब, ओमान, UAE, बहरीन और कुवैत जैसे देश सालों से दुनियाभर को तेल बेचकर भारी कमाई कर रहे थे. लेकिन, पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस ने उनका यह तेल का खेल बिगाड़ दिया है. दुनियाभर में लॉकडाउन की वजह से तेल की डिमांड कमजोर है. वहीं स्टोरेज संबंधी अनिश्चितताओं से भी तेल की कीमतों में भारी गिरावट है. इस वजह से ब्रेंट क्रूड 27 डॉलर के करीब आ गई है. एक्सपर्ट इसमें और गिरावट का अनुमान लगा रहे हैं.
कच्चा तेल 7 रु प्रति लीटर के करीब, 21 साल में सबसे सस्ता
क्रूड की कीमतों में गिरावट से पिछले दिनों ओपेक देश और अन्य तेल उत्पादक देशों में क्रूड का प्रोडक्शन 97 लाख बैरल प्रति दिन कम करने पर सहमति बनी थी. लेकिन यह उपाय भी काम नहीं आया और तेल की कीमतें नीचे जाती रहीं. इसी के चलते सउदी अरामको ने एशियाई देशों को सस्ते में क्रूड बेचने का फैसला किया है, जिससे नुकसान कुछ कम हो सके.
बांड बेचकर जुटा रहे हैं पैसे
क्रूड ऑयल की खपत में जबरदस्त गिरावट के कारण तेल उत्पादक देशों और खास तौर से खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था को बड़ा भारी नुकसान पहुंचा है. कच्चे तेल की कीमतों में अभूतपूर्व गिरावट से खाड़ी देशों पर वित्तीय संकट गहराता जा रहा है. हालत यह है कि खाड़ी देशों को बांड बेचकर पैसे जुटाने पड़ रहे हैं. अबुधाबी की ओर से बताया गया है कि उसने बांड बेचकर 700 करोड़ डॉलर जुटाए हैं.
इस महीने यह तीसरी बार है, जब खाड़ी देशों ने बांड बेचकर पैसे जुटाए हैं. अबुधाबी के वित्त विभाग ने एक स्टेटमेंट में कहा कि यह सौदा 3 किश्तों में हुआ है. इस सौदे के अनुसार, 300 करोड़ डॉलर के बांड 30 साल बाद, 200 करोड़ डॉलर के बांड 10 साल बाद और 100 करोड़ डॉलर के बांड 5 साल बाद मेच्योर होंगे.
सऊदी अरब के अलावा कतर ने दो हफ्ते पहले बॉन्ड की बिक्री कर 10 अरब डॉलर जुटाए थे. कतर गैस के मामले में काफी समृद्ध देश समझा जाता है. गौरतलब है कि खाड़ी सहयोग संगठन यानी GCC में अबु धाबी के पास सबसे बड़ा सरकारी संपत्ति भंडार है. यह भंडार काफी हद तक तेल से होने वाली आय पर ही निर्भर रहता है. GCC के छह सदस्य देशों की 65 से 90 फीसद कमाई तेल से ही होती है.