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कोरोना: देश की अर्थव्यवस्था पर कैसे हो रहा है असर, फार्मा-ऑटो सहित ये सेक्टर हो सकते हैं लूजर तो ये विनर

चीन का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर होने के चलते कोरोना वायरस का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी दिख सकता है.

चीन का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर होने के चलते कोरोना वायरस का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी दिख सकता है.

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Sushil Tripathi
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चीन का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर होने के चलते कोरोना वायरस का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी दिख सकता है.

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COVID-19 Impact On Indian Economy: चीन का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर होने के चलते कोरोना वायरस का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी दिख सकता है. चीन में संक्रमण के चलते न सिर्फ भारत में होने वाले आयात बल्कि देश का निर्यात भी प्रभावित हो रहा है. इससे घरेलू कंपनियों को जरूरी प्रोडक्ट बनाने के लिए जहां रॉ मटेरियल की कमी होने लगी है, वहीं चीन की ओर से डिमांड घटने की वजह से भारतीय कंपनियों के प्रोडक्ट का बाजार भी कम हुआ है. फिलहाल कोरोना के चलते जहां कुछ सेक्टर को नुकसान होगा, वहीं कुछ सेक्टर्स के लिए अपना बाजार बढ़ाने का भी मौका मिलेगा. इस बारे में एचडीएफसी बैंक ने अपनी रिपोर्ट भी जारी की है, जिसके आधार पर हम यहां जानकारी दे रहे हैं.

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• COVID-19 का असर 2003 में फैले SARS वायरस की तुलना में ज्यादा रहने वाला है.

• कोरोना के मामले चीन में भले ही कुछ कम हुए हैं, लेकिन दूसरे देशों में अब इसके मामले बढ़ रहे हैं, जिससे इसका सर और व्यापक हो सकता है.

• चीन की Q1 GDP 1.4-1.5 प्वॉइंट गिरने की आशंका है. हालांकि Q2 से इसमें रिकवरी दिख सकती है. अगर वहां मामले जल्द कंट्रोल नहीं हुए तो 2020 के लिए चीन की ग्रोथ 6 फीसदी के नीचे आ सकती है. हालांकि सरकार अगर राहत पैकेज देती है तो ग्रोथ पर निगेटिव असर कम हो सकता है.

• इससे दुनियाभर में टूरिज्म एक्टिविटी प्रभावित हो रही है.

• चीन के ट्रेडिंग पार्टनर देशों का आयात और निर्यात प्रभावित होने से वहां की अर्थव्यवस्था पर भी असर होगा. इसमें एशियाई देशों के अलावा यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देश भी शामिल हैं.

• ग्लोबल GDP में 10 अंकों की गिरावट आ सकती है और यह 2020 में 3.2 फीसदी रह सकता है.

• भारत की बात करें तो चीन का बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर होने के चलते निर्यात और आयात में भारी कमी आ सकती है.

• इंपोर्ट प्रभावित होने से फार्मा, आटो, इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर का डोमेस्टिक प्रोडक्शन प्रभावित होगा, क्यों ये कंपनियां प्रोडक्ट बनाने के लिए कई जरूरी सामानों का आयात करती हैं.

भारत का चीन से होने वाला आयात

फूड एंड ड्रिंक्स: कुल आयात का 8 फीसदी

टेक्सटाइल्स: कुल आयात का 35 फीसदी

केमिकल्स: कुल आयात का 25 फीसदी

रबर एंड प्लास्टिक: कुल आयात का 26 फीसदी

इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइसेज: कुल आयात का 48 फीसदी

इलेक्ट्रिकल्स मशीनरी: कुल आयात का 15 फीसदी

आटो पार्ट: कुल आयात का 21 फीसदी

(Source: OECD, World Bank, FT, Capital economics, HDFC Bank, Media reports)

भारत का चीन से होने वाला ट्रेड

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इंपोर्ट: भारत के कुल आयात का करीब 14 फीसदी हिस्सेदार चीन है और इस मामले में वह देश का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है.

एक्सपोर्ट: एक्सपोर्ट के मामले में चीन, भारत का तीसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है. भारत से होने वाले निर्यात का 5.1 फीसदी चीन को होता है.

कुल ट्रेड: भारत और चीन के बीच मौजूदा ट्रेड 8710 करोड़ डॉलर का है और इस मामले में चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है.

(Source: Ministry of Commerce, CEIC, HDFC Bank)

कौन से सेक्टर होंगे विनर

चीन में कोरोना के चलते भारत की कुछ कंपनियों के पास कस्टमर बढ़ाने के मौके हैं. एक आरे चीन से जहां मांग कम हो रही है, घरेलू टेक्सटाइल्स, होमवेयर और सिरेमिक्स कंपनियां अपना आर्डरबुक मजबूत कर सकती हैं.

कौन से सेक्टर होंगे लूजर

फार्मा, आटो, पावर, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और टूरिज्म

(Source: Ministry of Commerce, Reuters, Media reports, HDFC bank)

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