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Covid-19 Vaccine: रूसी वैक्सीन 'Sputnik V' पर WHO ने मांगे सबूत, 20 देशों की प्री-बुकिंग; क्या भारत भी खरीदेगा?

Covid-19 Vaccine: रूस में कोविड वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद बहुत से देशों ने इसमें इंटरेस्ट दिखाया है.

Covid-19 Vaccine: रूस में कोविड वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद बहुत से देशों ने इसमें इंटरेस्ट दिखाया है.

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FE Online
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Covid-19 Vaccine: रूस में कोविड वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद बहुत से देशों ने इसमें इंटरेस्ट दिखाया है. (Reuters)

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Covid-19 Vaccine India Expectation: रूस में दुनिया की पहली कोविड 19 वैक्सीन को 12 अगस्त को रेगुलेटरी मंजूरी मिल गई है. रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने खुद इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने यह भी बताया कि उनकी एक बेटी को यह टीका लगाया जा चुका है. फिलहाल वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद जहां बहुत से देशों ने इसमें इंटरेस्ट दिखाया है और वे इसे अपने देश में बनाना चाहते हैं या मंगाना चाहते हैं. वहीं इस वैक्सीन की सुरक्षा पर अब सवाल भी उठने लगे हैं. यह सवाल सबसे पहले WHO ने उठाए हैं, उसके बाद अमे​रिकी एक्सपर्ट ने भी शंका जता दी है.

भारत ने दिखाई रूचि

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रूस की ही एक वेबसाइट पर यह दावा किया गया है कि कोरोना वैक्सीन ‘स्पूतनिक वी’ की 20 से अधिक देशों ने मांग की है. रूसी डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) के प्रमुख किरिल मित्रीवे का कहना है कि 20 देशों ने वैक्सीन की करोड़ों डोज की मांग की है. इसमें भारत भी शामिल है. कुछ के साथ डील भी हो गई है. इस वैक्सीन के 20 करोड़ डोज बनाने की तैयारी की जा रही है जिसमें से 3 करोड़ केवल रूसी लोगों के लिए होगी. उन्होंने ये भी बताया कि तीसरे चरण का ट्रायल यूएई और सऊदी अरब समेत अन्य देशों में होगा.

भारत में वैक्सीन में कितना दिन

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में पुणे बेस्ड कंपनी सेरम इंस्टीट्यूट ने आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार की गई वैक्सीन को भारत में बनाने के लिए एग्रीमेंट किया था. रेगुलेटर से इस वैक्सीन के दूसरे और तीसरे फेज के ट्रॉयल को मंजूरी मिली है. यह अगर ट्रॉयल सक्सेज होता है तो यह वैक्सीन इस्तेमाल हो सकेगा. इसी तरह से अगर कोई कंपनी भारत में रूस की वैक्सीन बनाने के लिए एग्रीमेंट हासिल करती है तो उसे यहां इस्तेमाल के पहले फेज 2 और 3 का ट्रॉयल करना होगा. 2 फेज के ट्रॉयल में रूस में 2 महीने से ज्यादा लगे. अगर इसी रफ्तार में यहां भी ट्रॉयल हो तो यह मानकर चलना चाहिए कि भारत में इस वैक्सीन के पहले इस्तेमाल में 3 महीने का समय लग सकता है. लेकिन ध्यान रहे यह तब होगा जब कोई कंपनी यहां वैक्सीन बनाने में इंटरेस्ट दिखाए.

2 साल तक रहेगा वैक्सीन का असर

गामालेया इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो. एलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने मई में कहा था, वे और शोधकर्ता वैक्सीन का परीक्षण खुद पर कर चुके हैं. बता दें कि यह वैक्सीन गामालेया इंस्टीट्यूट क्षरा ही तैयार की गई है. स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुरास्खो ने दावा किया, जिसे टीका लग गया वह 2 साल तक कोरोना से पूरी तरह सुरक्षित रहेगा. उप प्रधानमंत्री तात्याना गोविकोवा ने कहा कि डॉक्टरों को ये वैक्सीन इसी महीने लगनी शुरू हो जाएगी.

WHO ने मांगे सबूत

रूस के वैक्सीन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कई जानकारी मांगी है. WHO का कहना है कि इस वेक्सीन पर जरूरी जानकारियां साझा नहीं की गई हैं. संगठन ने रूसी सरकार से वैक्सीन के बारे में तमाम रिसर्च को जारी करने को कहा है. वहीं WHO ने यह भी कहा कि रेगुलेटरी मंजूरी के पहले क्लीनिकल ट्रायल पूरा नहीं हुआ, इसलिए इसका प्रोडक्शन नहीं होना चाहिए. हालांकि इसका फेज 1 और फेज 2 का ट्रॉयल हो चुका है. लेकिन यह बहुत कम समय में पूरा किया गया.

अमेरिका ने भी उठाए सवाल

अमेरिकी एक्सपर्ट ने भी रूस की वैक्सीन पर सवाल उठाए हैं. वहां के संक्रामक रोग विशेषज्ञ और प्रेजिडेंट ट्रंप के सलाहकार एंथनी फाउची ने कहा कि उन्हें इस बात का शक है कि ये वैक्सीन कोरोना वायरस पर काम करेगी. कई अन्य देश भी जानकारी साझा न करने के चलते इस वैक्सीन पर सवाल उठाए हैं.

​ये कंपनियां तैयार कर रहीं वैक्सीन

भारत में फिलहाल दो कंपनियों की वैक्सीनों को लेकर चर्चा है. भारत बायोटेक और जाइडस कैडिला कोरोना वैक्सीन को लेकर काम कर रही हैं. इसके अलावा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रा जेनेका की संभावित वैक्सीन को लेकर सेरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने भी इंटरेस्ट दिखाया है.