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EU के सभी सदस्य देश अगस्त से मार्च के दौरान वॉलंटरी तौर पर यानी अपनी मर्जी से गैस की खपत में 15% की कटौती करेंगे. (Photo : European Commission Twitter Handle)
Europe's plan to use 15 per cent less gas this winter : यूरोपीय यूनियन (European Union) में शामिल देशों ने अपनी नेचुरल गैस की खपत में 15 फीसदी की कटौती का इमरजेंसी प्लान बनाया है. इन देशों ने ये फैसला सर्दियों के लिए गैस का स्टोरेज बढ़ाने के मकसद से किया है. यूरोपीय देशों के एनर्जी मिनिस्टर्स की बैठक के बाद मंगलवार को इस फैसले का एलान किया गया. रूस की तरफ से गैस की सप्लाई में कई महीने से जारी कटौती के बावजूद यूरोपीय देशों की खपत में अब तक 5 फीसदी की ही कमी आई है. यूरोपीय यूनियन के इस फैसले ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि गैस की खपत में इस कटौती का पहले से मंदी के खतरे का सामना कर रही इकॉनमी पर क्या असर पड़ेगा?
रूस के रुख की वजह से किया फैसला
यूरोपीय देशों को ये फैसला इसलिए करना पड़ा है, क्योंकि उन्हें रूस से होने वाली क्रूड ऑयल और गैस की सप्लाई पर भरोसा नहीं है. यूनियन में शामिल 27 देशों के बीच मंगलवार को इस इमरजेंसी प्लान पर सहमति बन गई है. इन देशों के एनर्जी मिनिस्टर्स की बैठक में सिर्फ हंगरी ने ही खपत में कमी करने के फैसले का विरोध किया. इस प्लान के जरिए यूरोपीय देश सर्दियों के लिए तेल-गैस का ज्यादा से ज्यादा भंडार जमा करना चाहते हैं.
I strongly welcome the endorsement by Council of the regulation to reduce gas demand and prepare for the winter.
— Ursula von der Leyen (@vonderleyen) July 26, 2022
It is a decisive step to face down the threat of a full gas disruption.
Thanks to today’s decision, Europe is now ready to address its energy security, as a Union.
यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस की गैस सप्लाई घटी
दरअसल, यूक्रेन पर रूस के हमले के वक्त से ही कई यूरोपीय देश एनर्जी सप्लाई के मामले में रूस पर निर्भरता को लेकर चिंता में रहे हैं और पिछले दिनों रूस की तरफ से सप्लाई में भारी कटौती किए जाने की वजह से ये चिंताएं और भी बढ़ गई हैं. यूक्रेन पर हमले से पहले यूरोपीय यूनियन में शामिल देशों को तेल-गैस की करीब 40 फीसदी सप्लाई रूस से मिलती थी. लेकिन फरवरी में यूक्रेन पर हमला करने के बाद से ही रूस इसमें कटौती करनी शुरू कर दी और हाल ही में उसने सप्लाई बुरी तरह घटा दी है. इतना ही नहीं, उसने पाइपलाइन से जुड़ी टर्बाइन्स में तकनीकी खराबियों का हवाला देते हुए आने वाले दिनों में सप्लाई और कम करने की बात भी कही है.
सर्दियों में बढ़ जाती है तेल-गैस की जरूरत
यूरोपीय देशों के लिए रूस का ये रुख चिंता बढ़ाने वाला है, क्योंकि सर्दियों के मौसम में उनकी तेल और गैस की जरूरतें काफी बढ़ जाती हैं. जिनके पूरा न होने पर उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. यही वजह है कि इन देशों ने वक्त रहते खपत घटाकर अपने तेल-गैस के भंडार को बढ़ाने का फैसला किया है. हालांकि कुछ देशों और उद्योगों को उनकी विशेष जरूरतों का ख्याल रखते हुए खपत में 15 फीसदी कटौती के दायरे से बाहर भी रखा गया है.
यूरोपीय यूनियन के फैसले की खास बातें
- EU के सभी सदस्य देश अगस्त से मार्च के दौरान वॉलंटरी तौर पर यानी अपनी मर्जी से गैस की खपत में 15% की कटौती करेंगे.
- 15% की ये कटौती साल 2016 से 2021 के 5 सालों की औसत सालाना खपत के मुकाबले होगी.
- सप्लाई के मामले में इमरजेंसी जैसे हालात बने तो कटौती को अनिवार्य या बाध्यकारी (binding) भी किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए ईयू के कम से कम 5 देशों की तरफ से प्रस्ताव आना चाहिए और उस पर 15 देशों की सहमति जरूरी होगी.
- आयरलैंड, माल्टा और बाल्टिक देशों का गैस सप्लाई नेटवर्क ईयू के बाकी देशों से जुड़ा हुआ नहीं है, लिहाजा उन्हें 15 फीसदी की अनिवार्य कटौती के दायरे से बाहर रखा जा सकता है.
- जो देश गैस के स्टोरेज का टार्गेट पूरा कर लेंगे या जिनके पास लक्ष्य से ज्यादा गैस जमा हो जाएगी, उन्हें भी कटौती के दायरे से बाहर रखा जाएगा. मिसाल के तौर पर जर्मनी में अभी गैस का स्टोरेज 66% भरा है, जबकि उसके लिए 1 अगस्त तक का टारगेट 45% ही है.