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रेवेन्यू में लगातार हो रही गिरावट के बाद कंपनी ने 11,000 कर्मचारियों को जॉब से निकालने का फैसला किया है.
Meta layoff : मशहूर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा ने एलान किया है कि वो आने वाले दिनों में अपने 13% कर्मचारियों की छंटनी करने जा रही है. मेटा के रेवेन्यू में लगातार हो रही गिरावट के बाद कंपनी ने 11,000 कर्मचारियों को जॉब से निकालने का फैसला किया है. मेटा के 18 साल के इतिहास में यह पहली बार है, जब कंपनी कर्मचारियों की छंटनी कर रही है. इससे पहले ट्विटर और माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने बड़े पैमाने पर अपने कर्मचारियों में छंटनी की है.
ब्लॉग पोस्ट के जरिए किया एलान
कंपनी के सीईओ और संस्थापक मार्क जुकरबर्ग (Mark Juckerberg) ने अपने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा कि “आज मैं आपके साथ कंपनी के अब तक के इतिहास की सबसे मुश्किल खबर साझा कर रहा हूं कि मेटा कंपनी ने अपने कर्मचारियों में 13 फीसदी तक की कमी करने का फैसला किया है. कंपनी अपने 11 हजार कर्मचारियों की छंटनी करने जा रही है.”
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लागत कम करने की कोशिश
जुकरबर्ग ने बताया कि छंटनी के साथ ही कंपनी अपने खर्च में कटौती करेगी. इसके साथ ही कंपनी में नई हायरिंग को पूरी तरह से फ्रीज कर दिया गया है. मार्क जुकरबर्ग ने मेटा कर्मचारियों से माफी मांगते हुए कहा कि मैं इस फैसले के लिए और हम यहां कैसे पहुंचे, इसके लिए जवाबदेही लेना चाहता हूं. मुझे पता है कि यह सभी के लिए मुश्किल समय है और मुझे विशेष रूप से प्रभावित हुए लोगों के लिए खेद है."
6 महीने तक हेल्थ केयर का खर्च उठाएगी कंपनी
जॉब से निकाले जाने वाले कर्मचारियों को कंपनी की ओर से 16 हफ्ते और उसकी सर्विस के हर साल के हिसाब से दो अतिरिक्त सप्ताह की बेस सैलरी का भुगतान किया जाएगा. इसके साथ ही कंपनी इन कर्मचारियों को 6 महीने तक हेल्थ केयर पर होने वाले सभी खर्चों का भुगतान करेगी. 2004 में फेसबुक की स्थापना के बाद से यह पहला मौका है जब कंपनी में कटौती या छंटनी की जा रही है.
कई चुनौतियों से जूझ रही है कंपनी
कंपनी इस समय सुस्त वैश्विक इकोनॉमिक ग्रोथ, टिकटॉक से मिल रहे कॉम्पिटिशन, एप्पल से प्राइवेसी चेंजेस जैसे कई मुद्दों पर चुनौतियों का सामना कर रही है. साथ ही मेटावर्स पर किया जा रहा भारी भरकम खर्च भी कंपनी के लिए बड़ी परेशानी बना हुआ है.
टेक्नॉलॉजी सेक्टर में जारी है छंटनी का दौर
हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प, ट्विटर इंक और स्नैप इंक समेत कई टेक्नॉलॉजी कंपनियों ने अपने यहां पर नई हायरिंग पर रोक लगा दी है और मौजूदा कर्मचारियों में बड़े पैमाने पर छंटनी की है. इसके लिए उच्च ब्याज दरों, बढ़ती मुद्रास्फीति, यूरोप में ऊर्जा संकट और वैश्विक स्तर पर संभावित आर्थिक मंदी को बड़ा कारण माना जा रहा है.