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रूस और यूक्रेन जंग से दुनिया के कई देशों में खाद्यान्न संकट यानी फूड क्राइसिस की स्थिति बन सकती है. (reuters)
Global Food Supply Chain: रूस और यूक्रेन जंग से दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता जैसी स्थिति है ही, एक और संकट धीरे धीरे बढ़ने लगा है. जैसे जैसे इन देशों में जंग की तारीखें बढ़ती रहेंगी, दुनिया के कई देशों में खाद्यान्न संकट यानी फूड क्राइसिस की स्थिति बन सकती है. पड़ोसी श्रीलंका समेत इसका असर कुछ देशों पर आने भी लगा है. असल में रूस और यूक्रेन दोनों ही कम से कम 13 कमोडिटी के उत्पादन और एक्सपोर्ट में दबदबा रखते हैं. वहीं इन देशों में बड़े पैमाने पर उर्वरक का उत्पादन होता है. लेकिन जंग के चलते जहां सप्लाई चेन टूट रही है, वहीं दोनों ही देशों ने अपने देश में कमी की आशंका के चलते निर्यात पर भी रोक लगा दी है. उर्वरक के प्रोडक्शन पर भी असर पड़ा है. फिलहाल इस संकट में भारत के लिए कुछ चिंता है तो कुछ जगहों पर मौके भी बने हैं.
भारत के लिए कहां है चिंता
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि रूस और यूक्रेन में जंग के बीच भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता एडिबल ऑयल को लेकर है. एडिबल ऑयल की बात करें तो भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से 85 फीसदी इंपोर्ट करता है. लेकिन सप्लाई चेन टूटने से एडिबल आयल लगातार महंगा हो रहा है. बायो फ्यूल के चलते पाम ऑयल में तेजी है तो यूक्रेन से सनफ्लावर ऑयल की सप्लाई भी बाधित हुई है. भारत के लिहाज से ये एक बड़ा कंसर्न है. पाम ऑयल का इस्तेमाल ब्लेंडिंग में भी किया जाता है. एक और कंसर्न यह है कि यूक्रेन और रूस में जौ सहित कई कमोडिटी का बुआई सीजन है. लेकिन जंग के चलते बुआई पर असर होगा. यह असर अगली फसल की बुआई पर भी देखने को मिलेगा. इससे ग्लोबल मार्केट में सप्लाई चेन पर असर होगा.
गेहूं सहित इन कमोडिटी का पर्याप्त स्टॉक
केडिया के अनुसार गेहूं, चावल, दाल, काटन और सरसो जैसे कमोडिटी में भारत के लिए हाल फिलहाल तो चिंता नहीं दिख रही है. भारत की बात करें तो गेहूं का पर्याप्त स्टॉक है. ऐसे में दूसरे देशों की नजर रूस और यूक्रेन की जगह गेहूं के लिए भारत की ओर जा सकती है. बता दें कि रूस और यूक्रेन को गेहूं की कटोरी कहा जाता है. भारत में इस साल गेहूं का रिकॉर्ड एक्सपोर्ट देखने को मिल सकता है. हालांकि भारत को यह ध्यान रखना होगा कि ज्यादा एक्सपोर्ट के फेर में घर में स्टॉक कम न होने पाए. उनका कहना है कि भारत में सोयाबीन, गेहूं, चावल, सरसो, मसाले या कॉटन जैाी कमोडिटी के लिए ज्यादा चिंता नहीं दिख रही है. भारत फूड ग्रेन को लेकर दूसरे देशों पर ज्यादा डिपेंड नहीं है.
भारत के लिए मौके भी
IIFL के VP-रिसर्च, अनुज गुप्ता का कहना है कि भारत के लिए इसमें मौके भी हैं. जैसे भारत गेहूं का एक्सपोर्ट बढ़ा सकता है. वहीं रूस भी भारत से क्रूड के बदले अनाज खरीद सकता है. अभी रूस जो कॉटन अमेरिका से खरीद रहा है, वह भारत से इंपोर्ट कर सकता है. इसी तरह ब्राजील की जगह भारत से शुगर खरीद सकता है. कार्न के मामले में भी भारत को यह फायदा मिल सकता है. हालांकि एडिबल आयल एक बड़ा कंसर्न है.
फूड क्राइसिस की आशंका के पीछे वजह
रूस और यूक्रेन में उर्वरक का डतपादन प्रभावित हो रहा है. इन देशों से भारी पैमाने पर उर्वरक का दूसरे देशों को भी निर्यात होता है. अगर दुनियाभर में उर्वरक की कमी हुई तो खेती पर असर आएगा. वहीं दोनों देशों में कई कमोडिटी के उत्पादन और एक्सपोर्ट पर असर होने की आशंका है. जबकि कुछ कमोडिटी की अपने ही देश में कमी होने के डर के चलते हाल ही में यूक्रेन ने एक्सपोर्ट पर बैन लगाया था. रूस पर भी आर्थिक बैन से कमोडिटी के सप्लाई पर असर होगा.