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सरकार ने एफडीआई से जुड़े नियमों में ढील दी है.
सरकार ने एफडीआई से जुड़े नियमों में ढील दी है.सुस्त चल रही अर्थव्यवस्था को देखते हुए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है और एफडीआई से जुड़े नियमों में ढील दी है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक एक तरह से अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए दूसरे देशों की बड़ी कंपनियों के साथ समझदारी से किया गया बारगेन माना जा रहा है. जिसका सीधा मतलब है कि “Take our billion-plus customers, give us jobs” यानी कि हमारे करोड़ों कस्टमर्स को अपने प्रोडक्ट बेचो और इसके बदले हमारे लिए नौकरियां पैदा करो.
FDI को लेकर क्या हुआ फैसला
केंद्र सरकार ने सिंगल ब्रांड रिटेल सेक्टर में 30 फीसदी लोकल सोर्सिंग के नियमों को सरल करने का फैसला किया गया है. कोल माइनिंग और उसके सेल के लिए 100 फीसदी एफडीआई को देने का भी फैसला किया है. कोयला की ढुलाई आदि में भी 100 फीसदी की एफडीआई को इजाजत दी जाएगी. कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग में 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी दी गई है. अब बाहर के लोग भारत में आकर अपना सामान बनवा सकते हैं. डिजिटल मीडिया में सरकार की स्वीकृति के साथ 26 फीसदी एफडीआई मंजूर की है.
एप्पल जैसी कंपनियों को फायदा
सरकार के इस कदम से एप्पल इंक जैसी कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा होगा. जिसे अब भारत में अपना पहला स्टोर खोलने के लिए 30 फीसदी लोकल प्रॉक्योरमेंट के नियमों को लेकर ज्यादा परेशान नहीें होना पड़ेगा. सरकार के इस कदम के बाद न ही विदेशी कंपनियों के लिए घरेलू सोर्सिंग के 30 सेंट के साथ भारतीय राजस्व के हर डॉलर को वापस करना जरूरी होगा.
कई कंपनियों की पसंद है भारत
आइकिया या एचएंडएम की ग्लोबल स्तर पर स्टोर खोलने के लिए पहले से ही पहली पसंद भारत है. आइकिया ने पहले कहा है कि वह 2020 तक भारत से साज-सामान, फर्नीचर और ट्रिंकेट में 667 मिलियन डॉलर की खरीदारी कर सकती है. नए नियमों के तहत, यह भारत में सालाना 2.2 बिलियन डॉलर का सामान बेच सकती है, भले ही यह सब सामान चीन में बना हो. अगर कंपनी एक्सपेंशन के लिए अधिक हेडरूम चाहती है तो इसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों से और अधिक खरीदना होगा.
इसी तरह एप्पल, जो चेन्नई के पास एक फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप फैक्ट्री में अपने लेटेस्ट iPhone X का परीक्षण करता है, ग्लोबल स्तर पर बिकने वाले अपने अन्य उपकरणों को यहां शामिल करने के लिए इंगेजमेंट को आगे बढ़ा सकता है.
अर्थव्यवस्था पर बड़ा दबाव
बता दें कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर हाल के महीनों पर दबाव बढ़ा है और ग्रोथ में सुस्ती आई है. कंजम्पशन स्टोरी सुस्त है, बाजार में लिक्विडिटी क्राइसिस है. आटोमोबाइल सेक्टर में डिमांड कमजोर पड़ी हुई है. ब्लूमबर्ग द्वारा ट्रैक किए गए 8 हाई फ्रिक्वेंसी इंडिकेटर्स में से 6 की हालत जुलाई में सबसे ज्यादा खराब थी. फाइनेंशियल सेक्टर में भरोसा बिल्कुल खत्म हो चुका है. ग्रामीण क्षेत्रों मेें कंजम्पन की हालत खराब है, वहीं बेरोजगारी पिछले 45 साल में उच्चतम स्तर पर है.
3 एक्सपोर्ट ओरिएंटेड इंडस्ट्रीज जो देश की युवा आबादी के लिए सबसे अधिक रोजगार पैदा कर सकती है, उनमें कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो इंडस्ट्री शामिल हैं. मल्टीनेशनल कंपनियां जो भारत के बाजारों से लाभ लेना चाहती हैं, उनसे कहा गया है कि आप भारत के मिडिल क्लास के लिए पहले अवसर पैदा कीजिए.
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