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कतर ने दोहा में एक सम्मेलन में 1 जनवरी 2019 को संगठन से बाहर होने की अपनी योजना की घोषणा की. (Reuters)
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कतर ने करीब 60 साल तक तेल उत्पादक देशों के समूह (OPEC) का सदस्य रहने के बाद सोमवार को संगठन से अलग होने के अपने इरादे की घोषणा की. कतर ने नेचुरल गैस उत्पादन को बढ़ाने की अपनी योजना पर ध्यान केंद्रित करने को इसका कारण बताया है.
कतर ने दोहा में एक संवाददाता सम्मेलन में 1 जनवरी 2019 को संगठन से बाहर होने की अपनी योजना की घोषणा की, जिसकी पुष्टि कतर पेट्रोलियम ने ट्विटर पर की. कतर पेट्रोलियम तेल और गैस गतिविधियों के लिए जिम्मेदार सरकार के स्वामित्व वाला निगम है.
देश के ऊर्जा मंत्री साद शेरिदा अल काबी ने ट्वीट कर कहा, "संगठन से बाहर होने का फैसला कतर के प्राकृतिक गैस उत्पादन विकसित और उसे बढ़ाने की योजना के अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने की इच्छा को दर्शाता है."
समाचार एजेंसी एफे की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि ओपेक को फैसले के बारे में सूचित कर दिया गया है. कतर 1961 से ओपेक का सदस्य रहा है. अल काबी ने कहा कि यह फैसला कतर के आगामी वर्षो में प्राकृतिक गैस के उत्पादन को सालाना 7.7 करोड़ टन से बढ़ा कर 11 करोड़ टन करने के मकसद को दर्शाता है.
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Expert View: भारत को मिलेगा सस्ता एनर्जी आॅप्शन
एंजल ब्रोकिंग के वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च (कमोडिटी एंड करंसी) ने FE Hindi Online को बताया कि कतर ओपेक से बाहर होता है, तो उस पर ओपेक के नियमों की बाध्यता नहीं रह जाएगी. इससे वह ओपन मार्केट में आ जाएगा. ऐसे में वह अपने हिसाब से भारत जैसे इमर्जिंग मार्केट पर फोकस करेगा. जहां क्रूड और नेचुरल गैस की खपत सबसे ज्यादा है.
गुप्ता ने बताया कि यदि कतर ऐसा करता है तो दूसरे एनर्जी प्रोड्यूसर भी इस राह पर चल सकते हैं. ऐसे में मार्केट में नेचुरल गैस का एक आॅप्शन होगा. नेचुरल गैस क्रूड से सस्ता होता है. ऐसे में भारत के लिए यह एक बड़ा अवसर होगा कि वह अपनी इकोनॉमी को क्रूड की बजाय नेचुरल गैस की तरफ शिफ्ट करे. भारत में यह शुरू भी हो चुका है.
उन्होंने कहा कि नेचुरल गैस का भाव अभी 4 डॉलर प्रति mmbtu है. वहीं, ब्रेंट क्रूड के भाव 62 डॉलर प्रति बैरल पर हैं. भारत से कतर के संबंध अच्छे रहते हैं तो वह क्रूड की बजाय सीधे नेचुरल गैस कम कीमत पर खरीद सकेगा. यानी, भारत का एनर्जी पर निर्भरता क्रूड से नेचुरल गैस पर शिफ्ट होगी.