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US-ईरान टेंशन बनेगा मोदी सरकार की नई मुसीबत! भड़केगी महंगाई, 90 रु/लीटर तक जा सकते हैं पेट्रोल के भाव

मध्य एशिया में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है, जिससे भारत जैसे क्रूड इंपोर्टर देशों की इकोनॉमी पर असर पड़ सकता है.

मध्य एशिया में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है, जिससे भारत जैसे क्रूड इंपोर्टर देशों की इकोनॉमी पर असर पड़ सकता है.

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Sushil Tripathi
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US-Iran Tension Effect On India: पिछले हफ्ते अमेरिका द्वारा हवाई हमले में ईरान के जनरल सुलेमानी की मौत के बाद से मध्य एशिया में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी की जगह लेने वाले नए जनरल इस्माइल घानी ने रविवार को अमेरिका से बदला लेने का संकल्प लिया है. मिडिल ईस्ट में बढ़ रहे तनाव के बीच कच्चे तेल की इंटरनेशनल मार्केट में कीमत 70 डॉलर के पार चली गई है. एक्सपर्ट मान रहे हैं कि यह जियोपॉलिटिकल टेंशन अब लंबा खिंचने की स्थिति में आ गया है. ऐसे में क्रूड वापस सितंबर 2018 के स्तर के करीब जाता दिख रहा है. उनका मानना है कि टेंशन जारी रहा तो क्रूड 78 डॉलर के करीब पहुंच सकता है. जिसका असर सीधे तौर पर भारत में पेट्रोल और डीजल के भाव पर दिखेगा.

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यूएस और ईरान में तनाव चरम पर

ईरान ने 2015 के परमाणु समझौते के बाकि हिस्से को रद्द करने का फैसला किया है. उधर इराक की संसद ने रविवार को देश से अमेरिकी सेना को बाहर करने के पक्ष में मतदान किया. इन तीन घटनाक्रमों के बाद ईरान परमाणु बम बनाने के करीब जा सकता है. अमेरिका के खिलाफ तेहरान के प्रॉक्सी या सैन्य हमले भी देखने को मिल सकते हैं, जिसके बाद इस्लामिक स्टेट समूह के इराक में वापसी की आशंका बढ़ सकती है. इससे मध्य एशिया में अनिश्चितता की स्थिति बन रही है, जहां से पूरी दुनिया को कच्चे तल की भारी मात्रा सप्लाई की जाती है. उधर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इराक की संसद में अपने सैनिकों को वहां से निकाले जाने के पक्ष हुए मतदान को लेकर इराक से अरबों डॉलर के मुआवजे की मांग की है.

78 डॉलर तक जा सकता है क्रूड

केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि यूएस द्वारा ईरान पर हवाई हमले के बाद से मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ रहा है. ईरान की ओर से कुछ जवाबी एक्शन हुए हैं. आगे कुछ और भी एक्शन देखने को मिल सकता है. ऐसा हुआ तो ईरान की ओर से इंटरनेशनल लेवल पर क्रूड की सप्लाई बाधित हो सकती है. वहीं, टेंशन इसी तरह से जारी रहा तो मध्य एशिया के दूसरे देशों पर भी इसका असर आने से इनकार नहीं किया जा सकता है. जहां तक क्रूड की बात है 2019 में क्रूड की कीमतें इंटरनेशनल स्तर पर बैलेंस रही हैं. इस साल अबतक यह 6 फीसदी से ज्यादा महंगा हो चुका है. जियोपॉलिटिकल टेंशन जारी रहा तो क्रूड अगले 2 से 3 महीनों में वापस 78 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है, जो सितंबर लेवल 2018 में देखा गया था.

एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट, कमोडिटी एंड करंसी अनुज गुप्ता का भी मानना है कि क्रूड शॉर्ट टर्म में ही 75 डॉलर के पार जाता दिख रहा है. वहीं यह टेंशन जारी रहा तो यह 78 डॉलर तक जा सकता है. उनका कहना है कि इससे आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा देखने को मिलेगा.

8% तक महंगा होगा पेट्रोल-डीजल

केडिया का कहना है कि क्रूड मौजूदा भाव से 10 फीसदी महंगा हो सकता है. ऐसे में भारत जैसे क्रूड के प्रमुख इंपोर्टर देशों पर इसका निगेटिव असर होगा. अगर क्रूड में 10 से 11 फीसदी तेजी आती है तो देश में पेट्रोल और डीजल के भाव में 8 से 10 फीसदी तेजी देखने को मिल सकती है. इस लिहाज से देखें तो देश के अलग अलग हिस्सों में अभी पेट्रोल 84 रुपये प्रति लीटर (इंदौर, एमपी) और डीजल 72.74 रुपये प्रति लीटर (इंदौर, एमपी) के भाव पर बिक रहा है. 8 फीसदी इजाफे का मतलब है कि पेट्रोल 90 रुपये तक महंगा हो सकता है.

सरकार के प्रयासों को लग सकता है झटका

इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार, क्रूड की कीमतें अब 10 डॉलर बढ़ती हैं तो करंट अकाउंट डेफिसिट 1000 करोड़ डॉलर बढ़ सकता है. वहीं, इससे इकोनॉमिक ग्रोथ में 0.2 से 0.3 फीसदी तक कमी आती है. वहीं, सिंगापुर के DBS बैंकिंग ग्रुप के अनुसार क्रूड की कीमतों में 10 फीसदी बढ़ोत्तरी होने से करंट अकाउंट डेफिसिटी 0.4 फीसदी से 0.5 फीसदी तक बढ़ सकता है. भारत अपनी जरूरतों का करीब 82 फीसदी क्रूड खरीदता है. ऐसे में क्रूड की कीमतें बढ़ने से देश का करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) बढ़ सकता है. ऐसे में क्रूड लंबे समय तक महंगा रहता है तो सरकार द्वारा देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयासों को झटका लग सकता है.

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