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UNHRC में उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार को लेकर कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड आइसलैंड, स्वीडन, यूके और अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों ने चीन के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया था.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत ने चीन के खिलाफ हुई वोटिंग का बहिष्कार किया. भारत ने चीन के खिलाफ हुई वोटिंग को उसका आंतरिक मामला बताते हुए वोटिंग से किनारा करने की बात कही है. UNHRC में कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड आइसलैंड, स्वीडन, यूके और अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों ने चीन के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें चीन पर उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार करने के आरोप लगाये गए थे. UNHRC की बैठक में इस प्रस्ताव जरूरी वोटों नहीं मिलने की वजह से खारिज कर दिया गया. चीन के खिलाफ भारत के वोटिंग नहीं करने को लेकर अलग-अलग तरह की अटलके लगाई जा रही थी, जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन के खिलाफ वोटिंग में शामिल नहीं होने को लेकर आधिकारिक बयान जारी किया है.
मसले का हल बातचीत से निकाला जाना चाहिए
विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत हमेशा से ही मानवाधिकारों का सम्मान करता है. लेकिन भारत का मानना है कि ऐसे मामलों में 'Country-Specific Resolutions' कभी भी मददगार साबित नहीं हो सकते हैं. भारत ऐसे मसलों का हल बातचीत के जरिए निकाले जाने का समर्थन करता है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत को उइगर मुस्लिमों की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी है और वो उनके अधिकारों का सम्मान भी करता है. भारत को उम्मीद है कि चीन और उइगर मुस्लिम इस मसले को बातचीत के जरिए सुलझा लेंगे.
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विपक्ष ने उठाये सवाल
इस बीच कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने UNHRC में चीन के खिलाफ हुई वोटिंग में भारत के शामिल नहीं होने पर सवाल खड़े किये हैं. वहीं शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी मामले को लेकर भारत सरकारी की नीति की आलोचना की. चीन के खिलाफ लाए गए इस प्रस्ताव का तुर्की समेत कुल 17 देशों ने समर्थन किया है. वहीं इस प्रस्ताव के खिलाफ चीन, पाकिस्तान, नेपाल समेत 19 देशों ने वोट दिया, जबकि भारत, ब्राजील, मेक्सिको, यूक्रेन समेत 11 देशों ने वोटिंग का बहिष्कार किया है.