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रूसी कोयले के लिए डॉलर के अलावा अन्य करेंसी में भुगतान का चलन बढ़ सकता है क्योंकि बैंक व अन्य पार्टियां रूस पर सख्ती के बीच सुरक्षित रास्ते की तलाश में हैं. (Image- Pixabay)
Non-Dollar Trade: रूस से कोयले के आयात के लिए भारतीय कंपनियां अधिकतर डॉलर की बजाय एशियाई करेंसी में भुगतान कर रही है. कस्टम से मिले डॉक्यूमेंट्स और इंडस्ट्री सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय कंपनियां एशियाई करेंसी में रूस से कारोबार को प्रमुखता दे रही है और इससे रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों के उल्लघंन का रिस्क भी नहीं रहता है. इससे पहले यह खुलासा हुआ था कि भारत से बड़े कोयले सौदे चीनी युआन में हो रहे हैं लेकिन कस्टम डेटा से यह तय हो गया है कि गैर-डॉलर में कारोबार अब सामान्य बन चुका है.
रूस और यूक्रेन के बीच जब से लड़ाई शुरू हुई है, भारत ने रूस से तेल और कोयले की खरीदारी बढ़ा दिया है. इससे दोनों देशों को फायदा पहुंचा है. रूस को पश्चिमी प्रतिबंधों से राहत मिली है तो भारत को अन्य देशों की तुलना में सस्ते में तेल और कोयला मिल रहा है. पिछले महीने रूस कोयले के मामले में भारत का तीसरा सबसे बड़ा सप्लायर बन गया और भारत में रूस से रिकॉर्ड 20.6 लाख टन कोयला आया.
सबसे अधिक पेमेंट चीनी युआन में
जून महीने में भारतीय कंपनियों ने करीब 7.42 लाख टन कोयले के लिए डॉलर के अलावा अन्य करेंसी में भुगतान किया जो रूस से आयात हुए 17 लाख टन कोयले का करीब 44 फीसदी है. कस्टम डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक भारतीय स्टील और सीमेंट कंपनियों ने रूस से कोयला खरीदने में यूएई की दिरहम, हांग कांग के डॉलर, युआन और यूरो में पेमेंट किया. जून में कोयले की खरीदारी में डॉलर के अलावा अन्य करेंसी में भुगतान की बात करें तो 31 फीसदी हिस्सेदारी चीन के युआन की रही तो हांग कांग के डॉलर की 28 फीसदी और यूरो की 25 फीसदी से कम और दिरहम की सबसे कम हिस्सेदारी लगभग छठवां हिस्सा रही.
नॉन-डॉलर पेमेंट में तेजी के आसार
दो भारतीय कारोबारियों का जो घरेलू ग्राहकों के लिए कोयला खरीदती हैं और रूसी कोयले के कारोबार से जुड़े एक यूरोपीय कारोबारी ने बातचीत में अनुमान जताया कि रूसी कोयले के लिए डॉलर के अलावा अन्य करेंसी में भुगतान का चलन बढ़ सकता है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि बैंक व अन्य पार्टियां रूस पर सख्ती के बीच सुरक्षित रास्ते की तलाश में हैं. नॉन-डॉलर आयात जुलाई में भी जारी रहा.
(Image- Reuters)