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ब्रिटिश कंजर्वेटिव पार्टी की नेता लिज़ ट्रस ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री होंगी.
Liz Truss defeats Rishi Sunak to become UK’s new Prime Minister: ब्रिटिश कंजर्वेटिव पार्टी की नेता लिज़ ट्रस ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री होंगी. अब तक देश के विदेश मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहीं ट्रस ने कंजर्वेटिव पार्टी के अंदरूनी चुनाव में भारतीय मूल के नेता ऋषि सुनक को हरा दिया. लिज़ को इस चुनाव में इस्तीफा देने के बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे बोरिस जॉनसन का खुला समर्थन हासिल था. ऋषि सुनक भारतीय उद्योगपति और इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद हैं.
कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों के मतदान में लिज़ ट्रस की जीत के एलान के साथ ही ब्रिटेन में अब सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. बोरिस जॉनसन ने पिछले महीने जो इस्तीफा दिया था, वो अब प्रभावी हो जाएगा. बताया जा रहा है कि जॉनसन मंगलवार को स्कॉटलैंड जाकर महारानी एलिज़ाबेथ को अपना इस्तीफा सौंप देंगे. इसके फौरन बाद लिज़ ट्रस भी वहां पहुंचेंगी, जिन्हें महारानी सरकार बनाने का न्योता देंगी. लिज़ ट्रस 2015 के संसदीय चुनाव से अब तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का पद संभालने वाली कंजर्वेटिव पार्टी की चौथी नेता होंगी.
लिज़ ट्रस को ऐसे वक्त में देश की कमान संभालनी होगी, जब ब्रिटेन कॉस्ट ऑफ लिविंग क्राइसिस यानी महंगाई के गंभीर संकट से जूझ रहा है. इसके साथ ही देश में औद्योगिक अशांति और आर्थिक मंदी का खतरा भी मंडरा रहा है. ब्रिटेन में इंफ्लेशन यानी महंगाई दर 10 फीसदी से ज्यादा हो चुकी है और देश में लंबे समय तक मंदी बने रहने का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है.
बोरिस जॉनसन की सरकार में विदेश मंत्री रही 47 साल की लिज़ ट्रस ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान लोगों को भरोसा दिलाया है कि वे कॉस्ट ऑफ लिविंग संकट को जल्द से जल्द दूर करने की कोशिश करेंगी. उन्होंने एक हफ्ते के भीतर बढ़ते एनर्जी बिल से निपटने का प्लान पेश करने और फ्यूल सप्लाई सुनिश्चित करने का वादा भी किया है. प्रचार के दौरान उन्होंने लोगों पर टैक्स का बोझ घटाने का संकेत भी दिया है. हालांकि कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इससे महंगाई और बढ़ने का खतरा है.
दरअसल ब्रिटेन में नए प्रधानमंत्री के चुनाव की नौबत इसलिए आई क्योंकि बोरिस जॉनसन अपनी ही पार्टी के सांसदों और मंत्रियों का समर्थन खो बैठे थे, जिसके बाद उन्हें 7 जुलाई को इस्तीफा देने का एलान करना पड़ा था. इसी के बाद सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी को अपने सदस्यों के बीच मतदान के जरिए एक नए नेता के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करनी पड़ी. इस चुनाव के शुरुआती दौर में ऋषि सुनक काफी आगे चल रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव प्रचार आगे बढ़ा, ट्रस ने बढ़त हासिल कर ली. कई जानकारों का मानना है कि सुनक की हार में उनके भारतीय मूल के अलावा उद्योगपति नारायणमूर्ति का दामाद होना भी एक बड़ी वजह रही है.