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New Anti Corona Drug: कोरोना से लड़ाई में उम्मीद की नई किरण, अंतिम दौर में है नई दवा MK-4482 का ह्यूमन ट्रायल

MK-4482 या Molnupiravir एक खाने वाली दवा है, जिस पर अमेरिका और ब्रिटेन के वैज्ञानिक मिलकर काम कर रहे हैं, इस दवा का हैमस्टर पर परीक्षण काफी सफल रहा है.

MK-4482 या Molnupiravir एक खाने वाली दवा है, जिस पर अमेरिका और ब्रिटेन के वैज्ञानिक मिलकर काम कर रहे हैं, इस दवा का हैमस्टर पर परीक्षण काफी सफल रहा है.

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PTI
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New Anti Corona Drug: कोरोना से लड़ाई में उम्मीद की नई किरण, अंतिम दौर में है नई दवा MK-4482 का ह्यूमन ट्रायल

The IIT Kanpur professor noted that the SUTRA model uses three main parameters to predict the course of the pandemic.

Covid-19 Treatment: कोरोना के कहर से परेशान लोगों को जल्द ही बड़ी राहत मिलने की उम्मीद नजर आ रही है. अमेरिका और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों की साझा कोशिशों से जल्द ही एक ऐसी दवा दुनिया को मिलने के आसार हैं, जो कोविड-19 के इंफेक्शन के खिलाफ काफी असरदार साबित हो सकती है. इस खाने वाली दवा का ह्यूमन ट्रायल अपने अंतिम चरण में है. इससे पहले इस दवा का परीक्षण हैमस्टर पर किया जा चुका है, जो काफी सफल रहा है. हैमस्टर पर हुए परीक्षण के दौरान यह दवा कोविड-19 वायरस पर काबू पाने में काफी हद तक कामयाब रही है.

MK-4482 या मॉलन्यूपिराविर है नई दवा का नाम

कोरोना की इस संभावित दवा का प्रायोगिक नाम MK-4482 है, जिसे मॉलन्यूपिराविर (Molnupiravir) भी कहा जा रहा है. अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) और ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ प्लाइमाउथ के वैज्ञानिक इस दवा पर मिलकर काम कर रहे हैं. अब तक के प्रयोग में पाया गया है कि यह दवा कोविड-19 इंफेक्शन के खिलाफ काफी असरदार है. खासतौर पर इंफेक्शन लगने के बाद अगले 12 घंटों तक इसका प्रभाव काफी अच्छा रहा है. इतना ही नहीं, अब तक परीक्षण में यह बात भी सामने आ रही है कि यह दवा खाने के बाद अगले 12 घंटे तक कोविड-19 इंफेक्शन से बचाने का काम भी करती है.

परीक्षण के दौरान फेफड़ों को बचाने में काफी सफल रही है नई दवा

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इस दवा का हैमस्टर पर परीक्षण कर चुके वैज्ञानिकों के मुताबिक कोविड-19 इंफेक्शन की वजह से फेफड़ों को जो नुकसान होता है, उसे कम करने में MK-4482 काफी असरदार रही है. प्रतिष्ठित साइंस जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस के ताजा अंक में प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक MK-4482 कोरोना संक्रमण के इलाज के साथ ही साथ हाई रिस्क एरिया में काम करने वालों को इंफेक्शन से बचाने में भी उपयोगी साबित हो सकती है. इस दवा को अकेले या दूसरी दवाओं के साथ कंबिनेशन के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

इंफेक्शन की रोकथाम में भी प्रभावी है नई दवा

शोधकर्ताओं का कहना है कि वैक्सीन के अलावा फिलहाल ऐसी कोई दवा उपलब्ध नहीं है, जो इंफेक्शन के हाई रिस्क का सामना कर रहे लोगों को संक्रमण से बचाने की क्षमता रखती हो. ऐसे में अगर यह दवा इस रूप में प्रभावशाली साबित हुई तो फ्रंटलाइन वर्कर्स समेत बहुत से हाई रिस्क वाले लोगों को महामारी की चपेट में आने से बचाया जा सकेगा.

कोविड-19 मरीजों पर अंतिम चरण में है नई दवा का परीक्षण

इस महत्वपूर्ण रिसर्च में NIH की तरफ से शामिल वैज्ञानिक माइकल जारविस के मुताबिक कोविड-19 वायरस के इंफेक्शन को कंट्रोल करने के मामले में भी डॉक्टरों के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं. ऐसे में MK-4482 अगर कोरोना के खिलाफ एक प्रभावी एंटी वायरल के तौर पर अपना असर साबित कर देती है तो यह काफी उत्साहजनक रिज़ल्ट होगा. जारविस के मुताबिक फिलहाल कोविड-19 वायरस से संक्रमित मरीजों पर इस दवा का परीक्षण अपने अंतिम चरण में है. अगर ह्यूमन ट्रायल का डेटा भी हैमस्टर पर हुए परीक्षण जैसा ही रहा, तो इसे कोरोना के मरीजों के लिए उसी तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा, जैसे इंफ्लुएंजा के मामलों में टैमीफ्लू (Tamiflu) को किया जाता है.

नई दवा ने हैमस्टर के फेफड़ों में वायरस की मात्रा 100 गुना तक कम कर दी

रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन हैमस्टर को इंफेक्शन के पहले और संक्रमण के बाद तीन दिनों तक, हर 12 घंटे में एक बार MK-4482 दवा दी गई, उनके फेफड़ों में वायरस की मात्रा, बिना दवा के रखे गए हैमस्टर्स की तुलना में 100 गुना तक कम थी. दवा लेने वाले हैमस्टर के फेफड़ों से टीश्यूज़ को नुकसान भी काफी कम हुआ था. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह दवा कोविड-19 के अलावा सार्स (SARS) और मर्स (MERS) जैसे मिलते-जुलते इंफेक्शन के मामलों में भी काफी प्रभावशाली साबित हो चुकी है. यह दवा वायरस को मल्टीप्लाई होने यानी बढ़ने से रोकती है. अच्छी बात यह है कि अब तक के रिसर्च के मुताबिक इस दवा में अब तक सेल टॉक्सीसिटी यानी स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाला साइड इफेक्ट भी काफी कम दिखाई दिया है.

इंजेक्शन के जरिए नहीं देनी पड़ेगी नई दवा

हालांकि अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने रेमडेसिविर को भी इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दी हुई है, लेकिन उसे इंजेक्शन के जरिए ही दिया जा सकता है. साथ ही रेमडेसिविर का इस्तेमाल सिर्फ अस्पताल में भर्ती मरीजों के मामले में या बीमारी के बढ़ जाने के बाद ही किया जा सकता है. लेकिन नई दवा खाने वाली है और इसे बीमारी से पहले या इंफेक्शन के शुरुआती दौर में भी दिया जा सकता है. ऐसे में परीक्षण से जुड़े वैज्ञानिक माइकल जारविस इस नई दवा से काफी उम्मीद कर रहे हैं. उनका मानना है कि कोविड-19 के इंफेक्शन ने जिस तरह सारी दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा है, उसे देखते हुए MK-4482 की सफलता कोरोना से लड़ाई में उम्मीद की एक नई किरण साबित हो सकती है.

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