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अरामको प्लांट पर ड्रोन हमले के बाद दुनिया में तेल की सप्लाई करीब 6 फीसदी घट गई है. (Reuters)
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सऊदी अरब की कंपनी अरामको के दो प्लांट पर ड्रोन हमलों के बाद कच्चे तेल (Crude) की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखी गई. सोमवार को तेल की कीमतों में 10 फीसदी से ज्यादा की तेजी दर्ज की गई. एक्सपर्ट मान रहे हैं कि क्रूड की कीमतों में तेजी का सीधा असर भारतीय बाजार में तेल कीमतों पर दिखाई पड़ सकता है. खासकर, क्रूड के कीमतों में तेजी जारी रही तो भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम करीब 8-10 फीसदी तक बढ़ सकते हैं.
दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक अरामको की उत्पादन करीब आधा हो गया है. एशियाई बाजार में शुरुआत में ब्रेंट क्रूड 11.77 फीसदी की तेजी के साथ 67.31 डॉलर प्रति बैरल और वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) 10.68 फीसदी चढ़कर 60.71 डॉलर पहुंच गया. भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है और सऊदी अरब उसका प्रमुख आयातक देश है. अरामको के प्लांट पर ड्रोन हमले की जिम्मेदारी तेहरान समर्थक यमन के हुथी विद्रोहियों ने ली है. इस हमले के बाद दुनिया में तेल की सप्लाई करीब 6 फीसदी घट गई है.
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस हिंदी ऑनलाइन को बताया कि अरामको प्लांट पर ड्रोन हमले के बाद ब्रेंट क्रूड की कीमतों में सोमवार को करीब 10 फीसदी की एकदिनी तेजी आई. ब्रेंट क्रूड के भाव करीब 70 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गए. वहीं, भारतीय रुपये में भी गिरावट है. एक डॉलर का भाव 71 रुपये के पार चला गया है. इसका सीधा असर भारतीय तेल बाजार पर दिखाई दे सकता है. यदि क्रूड की कीमतें आगे भी बढ़ती हैं और रुपये में कमजोरी रहती है तो भारतीय बाजार में पेट्रोल-डीजल अगले 10 से 15 दिन में 5 से 7 रुपये प्रति लीटर महंगा हो सकता है.
केडिया का कहना है कि सऊदी अरब ने सप्लाई कटौती की अभी तक कोई बात नहीं की है लेकिन सऊदी की तरफ से यह भी सुनिश्चित नहीं है भविष्य में इस तरह के हमले नहीं होंगे. ऐसे में एक तरह की अनिश्चितता है. ऐसे में आने वाले दिनों में क्रूड में तेजी दिखाई पड़ सकती है. साल के आखिर में सर्दियां शुरू होते ही यूरोप और अमेरिका तेल की खपत भी बढ़ जाएगी. ऐसे में आगे भी क्रूड की कीमतों को सपोट मिलता दिख रहा है.
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटी ने एक रिसर्च नोट में कहा है कि सऊदी अरब की अरामको की रिफाइनरी पर ड्रोन हमलों के बाद ग्लोबल क्रूड कीमतों में तेजी का असर भारत की तेल मार्केटिंग कंपनियों इंडियन ऑयल, एचपीसीएल और बीपीसीएल की पेट्रोल-डीजल की मार्केटिंग मार्जिन पर पड़ सकता है. यदि ग्लोबल क्रूड की कीमतों में 10 डॉलर प्रति बैरल की तेजी आती है तो तेल मार्केटिंग कंपनियों के लिए अगले 15 दिन में डीजल और पेट्रोल की कीमतों में 5-6 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है.
महंगा हो सकता है पेट्रोल-डीजल: HPCL चेयरमैन
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) के चेयरमैन एमके सुराना ने सोमवार को रॉयटर्स को बताया कि यदि क्रूड की कीमतों 10 फीसदी बढ़ती हैं तो फ्यूल आउटलेट पर (पेट्रोल-डीजल) प्रोडक्ट की कीमतों पर भी पड़ सकता है. हालांकि, सुराना का कहना है कि क्रूड की कीमतों में लगातार तेजी की उम्मीद नहीं है.
ऐसे में यदि मौजूदा स्तर से यदि क्रूड और उछलता है तो भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ना तय है. तेल मार्केटिंग कंपनियां मिडिल ईस्ट में पेट्रोल और डीजल की पिछले 15 दिन के बेंचमार्क कीमत के औसत के आधार पर भारतीय बाजार में पेट्रोलयम पदार्थों के खुदरा भाव तय करती हैं.
बाजार को भरोसे में करने में जुटा सऊदी
सऊदी अरब की कंपनी अरामको प्लांट पर ड्रोन हमले के बाद बाजार में फैली घबराहट दूर करने की कोशिशें कर रही है. कंपनी के सीईओ अमिन नसीर ने बाजार को आश्वस्त करने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘उत्पादन क्षमता को पुन: पुराने स्तर पर लाने के लिये काम चल रहा है.’’ ब्लूमबर्ग न्यूज ने भी खबर दी है कि अरामको को कुछ ही दिनों में अधिकांश ऑपरेशन दोबारा शुरू कर लेने की उम्मीद है.
अरामको के प्लांट पर यह ड्रोन हमला ऐसे समय हुआ है जब कंपनी 100 अरब डॉलर की कैपिटल जुटाने के लिये आईपीओ लाने की तैयारी में है. विश्लेषकों का मानना है कि इस हमले से शायद ही आईपीओ की योजना टले लेकिन कंपनी के मूल्यांकन पर इसका असर देखने को मिल सकता है.
सउदी इंक किताब के लेखक एलेन वाल्ड ने कहा, ‘‘सउदी अरब के पास प्रचूर मात्रा में तेल का भंडार है जिससे उपभोक्ताओं की मांग को पूरा किया जा सकता है। मुझे नहीं लगता कि इस कारण अरामको को किसी तरह का आर्थिक नुकसान होने वाला है.’’
57 लाख बैरल रोजाना क्रूड उत्पादन ठप
ड्रोन हमलों से प्रभावित प्रोसेसिंग प्लांट्स में 57 लाख बैरल रोजाना क्रूड का उत्पादन ठप पड़ गया है, जो सऊदी अरब के कुल उत्पादन का लगभग आधा और ग्लोबल क्रूड सप्लाई के 6 फीसदी के बराबर है. इसके चलते भारत सहित दुनियाभर में सप्लाई घटने और दाम बढ़ने का जोखिम बढ़ गया है. पिछले वित्त वर्ष में भारत की जरूरत का लगभग 16 फीसदी हिस्सा क्रूड सऊदी अरब से मंगाया था.