/financial-express-hindi/media/post_banners/ipytByFKPUfyPdrTnUuD.jpg)
फ्रांस में अथॉरिटीज ने भारत को 36 राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट की बिक्री में भ्रष्टाचार के आरोपों की न्यायिक जांच शुरू की है.
फ्रांस में अथॉरिटीज ने भारत को 36 राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट की बिक्री में भ्रष्टाचार के आरोपों की न्यायिक जांच शुरू की है. यह जानकारी फ्रांस की वेबसाइट मीडियापार्ट के मुताबिक मिली है. मीडियापार्ट ने शुक्रवार को बताया कि इस बेहद संवेदनशील न्यायिक जांच के लिए एक जज की नियुक्ति की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक डील में भ्रष्टाचार और पक्षपात का आरोप लगाया जा रहा है.
मीडियापार्ट के मुताबिक, 2016 में भारत को 7.8 अरब यूरो के 36 राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट के मामले में संदेहास्पद भ्रष्टाचार में न्यायिक जांच शुरू की गई है.
2016 में हुई थी डील
इसमें कहा गया है कि सराकरों के बीच 2016 में सरकारों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जो 14 जून को खुली थी. मीडियापोर्ट ने कहा कि नेशनल प्रोसिक्यूटर्स ऑफिस (PNF) द्वारा जांच शुरू की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, PNF ने शुरुआत में बिक्री की जांच से इनकार कर दिया था और मीडियापार्ट ने उसे जांच को दबाने का आरोप लगाया है.
मीडियापार्ट ने कहा कि फ्रांस के एंटी-करप्शन NGO शेरपा ने पेरिस ट्रिब्यूनल के साथ शिकायत दर्ज की है, जिसमें डील को लेकर भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग, पक्षपात का आरोप लगाया है. उसने कहा कि फ्रेंच प्रोसिक्यूशन सर्विसेज की फाइनेंशियल क्राइम्स ब्रांच PNF ने मीडियापार्ट को शुक्रवार को कन्फर्म किया कि यह शुरू की गई जांच अपराध के सभी पहलुओं पर केंद्रित होगी.
मीडियापोर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, 14 जून को शुरू की गई आराधिक पड़ताल की अगुवाई एक स्वतंत्र मजिस्ट्रेट, एक स्वतंत्र जज कर रहे हैं. और इसमें पूर्व फ्रांस के राष्ट्रपति François Hollande का कामों को लेकर सवालों की जांच की जाएगी, जो तब पद संभाल रहे थे, जिस समय राफेल डील पर हस्ताक्षर किए गए थे. और मौजूदा राष्ट्रपति Emmanuel Macron उनकी सरकार में अर्थव्यवस्था और वित्त मंत्री थे.
फरवरी 2019 में, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2015 के चौथे हफ्ते में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फ्रांस से राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट की खरीद का एलान करने से एक दिन पहले, कारोबारी अनिल अंबानी फ्रांस के रक्षा मंत्री Jean-Yves Le Drian से उनके दफ्तर में मिले थे और उनके शीर्ष सलाहाकारों के साथ बैठक की थी. बैठक में Le Drian के खास सलाहाकार Jean-Claude Mallet, उनके उद्योग सलाहाकार Christophe Salomon और औद्योगिक मामलों के लिए उनके तकनीकी सलाहाकार Geoffrey Bouquot शामिल हुए थे.