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One of the primary reasons why India could not join RCEP (Regional Comprehensive Economic Partnership) pact was that some of the members do not "really" have democratic transparent trading systems, the minister said.
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि अमेरिका की कंपनियां भारत को निवेश का अगला डेस्टिनेशन समझें. उन्होंने इंडिया चैंबर ऑफ कॉमर्स के की ओर से वैश्विक वित्त एवं निवेश नेतृत्व विषय पर आयोजित अमेरिकी शिखर सम्मेलन को बुधवार को संबोधित करते हुए कहा कि अगले पांच साल में दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य हासिल किए जाने योग्य है.
रेड टेप से रेड कॉपरेट की ओर
उन्होंने कहा, ‘‘हम लाल फीताशाही (रेड टेप) से लाल कालीन (रेड कारपेट) की ओर बढ़ रहे हैं. हम अतीत की जंजीरों से बाहर निकल रहे हैं और विदेशी निवेश के लिये खुले व उदार गंतव्य में तब्दील हो रहे हैं.’’ दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 2017 में 126 अरब डॉलर था, जो बढ़कर 2019 में 145 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
वाणिज्य मंत्री ने अमेरिका के निवेशकों को आकर्षित करते हुए कहा कि भारत लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करने के लिये इस क्षेत्र में सुधार के साथ ही कई कर सुधार की दिशा में बढ़ रहा है. गोयल ने कहा, ‘‘हमारे पास इन्सॉल्वेंसी कानून हैं. भारत का कॉरपोरेट टैक्स दुनिया में सबसे कम है. मेरा अपना मंत्रालय 'प्लग एंड प्ले' और क्लस्टर डेवलपमेंट पर काम कर रहा है.’’
'2 + 2' डायलॉग 26 अक्टूबर से
उन्होंने कहा, “हम एक वास्तविक सिंगल-विंडो सिस्टम पर गौर कर रहे हैं, जो कंपनियों और व्यवसायों के लिये भारत में काम करना आसान बनाता है. हम तेजी से पंजीकरण, बुनियादी ढांचे की आसान उपलब्धता का वादा करते हैं.’’ गोयल ने इसके अलावा बताया कि तीसरा ‘भारत-अमेरिका 2 + 2 संवाद’ 26 और 27 अक्टूबर को होने की उम्मीद है.