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The team found that the patient's virus levels fell progressively during his first course of remdesivir, corresponding with the improvement in his symptoms.
WHO/Remdesivir: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के ट्रॉयल में Gilead Sciences की रेमडेसिवीर (Remdesivir) को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. इसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में रेमडेसिवीर बहुत कम असरदार है. इससे न तो किसी मरीज में संक्रमण के दिनों में कमी आ रही है और न ही गंभीर मरीजों की जान बचाने में यह कारगर साबित हुआ है. बता दें कि इसी दवा का हाल ही में यूएस के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इलाज में इस्तेमाल किया गया था, जब वह कोरोना संक्रमित थे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के सॉलिडैरिटी ट्रॉयल में यह बात सामने आई थी. इस ट्रॉयल में 4 ऐसे दवाओं का परीक्षण किया गया, जिसमें रेमडेसिवीर के अलावा हाइड्रोजाइक्लोरोक्वीन, एंटी-HIV ड्रग कंबिनेशन लॉपरनावीर/रीटोनावीर और इंटरफेरॉन शामिल थे. यह परीक्षण 30 से ज्यादा देशों में 11266 एडल्ट मरीजों में कोरोना किया गया. फिलहाल कोरोना के इलाज में दवा का इंतजार कर रहे लोगों के लिए यह रिपार्ट निराश करने वाली है. क्योंकि रेमडेसिवीर को लेकर उम्मीद बहुत ज्यादा बढ़ी थी.
ट्रंप को दी गई थी यह दवा
अमेरिकी दवा कंपनी गिलियड साइंसेज द्वारा रेमेडिसविर को इबोला के इलाज के लिए विकसित किया गया था. फिर इसे COVID-19 के इलाज में भी इस्तेमाल किया गया है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब कोरोना संक्रमित हुए थे, तब उनके इलाजल में यह दवा उन्हें दी ई थी. जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय में माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी विभाग में एक एसोसिएट रिसर्च प्रोफेसर जूली फिशर के अनुसार यह निश्चित रूप से निराशाजनक है. एक दवा जो पहले से ही अस्तित्व में है, जो सुरक्षित है और रोगियों में प्रभावी रूप से काम करती है, दुर्भाग्य से, इस मामले में कारगर नहीं हुई.
कंपनी ने जताई चिंता
डब्ल्यूएचओ ने इस बारे में कहा कि परीक्षण के परिणाम की समीक्षा की जा रही है, जिसके बाद एक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित की जा सकती है. रेमडेसीविर को भारत सहित लगभग 50 देशों में COVID-19 के उपचार के लिए रेगुलेशन से मंजूरी मिली थी. हालांकि रिपोर्ट पर रेमडेसीविर बनाने वाली कंपनी गिलियड साइंस ने चिंता जताई है. कंपनी का कहना है कि ओपन लेबल ग्लोबल ट्रायल के डेटा की सही समीक्षा नहीं की गई है. एक ओपन लेबल परीक्षण का मतलब है कि रिसर्चर और पार्टिसिपेंट दोनों को पता है कि पार्टिसिपेंट्स को कौन सी दवा दी जा रही है.
गिलियड ने एक बयान में कहा कि हम जानते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से शुरुआती आंकड़ों को पिसयर रीव्यूड जर्नल में प्रकाशित करने से पहले ही सार्वजनिक किया गया है.