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रूसी कब्जे वाले यूक्रेन के इलाकों में जनमत संग्रह शुरू, पश्चिमी देशों ने कहा-अवैध है रेफरेंडम

रूस पर यूक्रेनी जनता को धमकाकर मतदान कराने के लगे आरोप, पश्चिमी देशों ने कहा, अवैध कब्जे वाले इलाकों को रूस में मिलाने की कोशिश कर रहे हैं पुतिन.

रूस पर यूक्रेनी जनता को धमकाकर मतदान कराने के लगे आरोप, पश्चिमी देशों ने कहा, अवैध कब्जे वाले इलाकों को रूस में मिलाने की कोशिश कर रहे हैं पुतिन.

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FE Hindi Desk
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referendum begins in Russia

दोनेत्स्क में कथित रेफरेंडम के तहत बनाए गए एक पोलिंग बूथ पर पहरा देता सैनिक. बैनर पर लिखा है"डिस्ट्रिक्ट कमीशन ऑफ रेफरेंडम नंबर 17008." (Photo : REUTERS/Alexander Ermochenko)

रूस ने यूक्रेन के उन इलाकों में जनमत संग्रह शुरू कर दिया है, जहां उसका कब्जा है. यूक्रेन और पश्चिमी देशों का कहना है कि रूस इस रेफरेंडम के जरिए न सिर्फ यूक्रेन के बड़े इलाके पर अपने जबरन और अवैध कब्जे को जायज ठहराना चाहता है, बल्कि सारी दुनिया को यह भी दिखाना चाहता है कि कब्जे वाले इलाकों की जनता दरअसल उसके साथ है. रूस पर अपने कब्जे वाले इलाके की यूक्रेनी जनता को इस रेफरेंडम में हिस्सा लेने के लिए मजबूर करने और अपने सैनिकों के जरिए उन पर दबाव डालने के आरोप भी लग रहे हैं. ये रेफरेंडम यूक्रेन के लुहांस्क, जापोरिज्जिया और दोनेत्स्क क्षेत्रों में कराया जा रहा है. पूरी तरह रूस के कब्जे वाले इलाके खेरसॉन में भी शुक्रवार सुबह से कथित जनमत संग्रह कराए जाने की खबर है.

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रूस ने रेफरेंडम वाले इलाकों में 3 लाख सैनिक तैनात किए

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रूस का दावा है कि उसके रेफरेंडम का मकसद यह पता लगाना है कि इन इलाकों के लोग रूस में शामिल होने के पक्ष में हैं या नहीं. लेकिन पश्चिमी देश इस जनमत संग्रह को यूक्रेन के एक बड़े हिस्से को रूस में मिला देने की राष्ट्रपति पुतिन की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं. उनका मानना है कि जिस तरह रूसी सेना के साये में रेफरेंडम कराया जा रहा है, उसमें मतदान की प्रक्रिया या उसके नतीजों के निष्पक्ष रहने की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है. जाहिर है कि इन हालात में इस कथित रेफरेंडम के नतीजे वैसे ही बताए जाएंगे, जैसे रूस चाहेगा. उनका मानना है कि रूस यह सब सिर्फ इसलिए कर रहा है ताकि वह कब्जे वाले इलाकों पर अपना दावा कर सके और उसके बाद इन इलाकों को वापस हासिल करने की यूक्रेनी सेना की कोशिशों को रूस पर हमला बता सके. इस कथित रेफरेंडम से पहले मतदान वाले इलाके में रूस के 3 लाख आरक्षित सैनिकों की तैनाती के व्लादिमीर पुतिन के एलान को भी इसी कोशिश का हिस्सा माना जा रहा है.

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यूक्रेनी जनता को मतदान के लिए मजबूर करने का आरोप

लुहान्स्क क्षेत्र (Luhansk region) के यूक्रेनी गवर्नर (Ukrainian governor) सेरही गदाई (Serhiy Gaidai) ने कहा कि रूस के कब्जे वाले शहर बिलोवोडस्क (Bilovodsk) में एक कंपनी के प्रमुख ने अपने कर्मचारियों से कहा कि उनके लिए जनमत संग्रह में शामिल होना जरूरी है. जो भी कर्मचारी इस रेफरेंडम में वोट नहीं डालेगा उसे न सिर्फ नौकरी से निकाल दिया जाएगा, बल्कि उनके नाम रूसी सुरक्षा बलों को भी सौंप दिए जाएंगे. गवर्नर का कहना है कि रूसी अधिकारियों ने स्टारोबिल्स्क (Starobilsk) में रहने वाल लोगों के मंगलवार तक शहर छोड़ने पर पाबंदी भी लगा दी है. इतना ही नहीं, लोगों के घरों में तलाशी के लिए सैनिक भेजे जा रहे हैं. इससे साफ जाहिर है कि यूक्रेनी जनता को जनमत संग्रह में भाग लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

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