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वैश्विक स्तर पर वित्तीय लेन-देन सिस्टम के लिए स्विफ्ट बैकबोन का काम करता है. (Image- Reuters)
Russia- Ukraine Conflict: यूक्रेन पर हमले के चलते रूस को जल्द ही कठोर आर्थिक चोट का सामना करना पड़ सकता है. ब्रिटिश सरकार रूस को वैश्विक स्विफ्ट नेटवर्क से बाहर करने के लिए जोर लगा रही है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने जर्मनी और हंगरी से अनुरोध किया है कि रूस को स्विफ्ट से अलग करने में सपोर्ट करें. वहीं यूरो जोन सेंट्रल बैंकर का कहना है कि स्विफ्ट नेटवर्क में रूस अब महज कुछ ही दिनों का मेहमान है.
रूस की सेना यूक्रेन में लगातार आगे बढ़ रही है और रक्षा मंत्री के मुताबिक यूक्रेन की राजधानी कियीव से रूस की सेना अब महज 30 किमी ही दूर हैं. हालांकि यूक्रेन की सेना रूस को रोकने की लगातार कोशिश कर रही है. वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति ने अमेरिकी प्रस्ताव को ठुकराते हुए देश छोड़ने से इनकार कर दिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक यूक्रेन के करीब 1 लाख लोग बॉर्डर पार कर पोलेंड में प्रवेश कर चुके हैं. युद्ध को रोकने के लिए लगातार कोशिशें जारी हैं और ब्रिटेन समेत कुछ देश स्विफ्ट नेटवर्क से रूस को काटने की तैयारी कर रहे हैं. आइए जानते हैं कि यह नेटवर्क क्या है और इससे कटने पर रूस पर क्या असर पड़ सकता है.
दुनिया भर में पैसों के लेन-देन का नेटवर्क है SWIFT
स्विफ्ट (सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्यूनिकेशन) एक नेटवर्क है जिसे पैसों के लेन-देन और अन्य प्रकार के ट्रांजैक्शंस के लिए सुरक्षित तरीके से संदेशों को भेजने के लिए बैंक इस्तेमाल करते हैं. दुनिया भर के भारत समेत करीब 200 देशों के 11 हजार से अधिक वित्तीय संस्थान इसका इस्तेमाल करते हैं यानी कि एक तरह से यह वैश्विक स्तर पर वित्तीय लेन-देन सिस्टम के लिए बैकबोन का काम करता है. यह साल भर में 500 करोड़ से अधिक वित्तीय संदेशों को ट्रांसमिट करती है.
यह कैसे करता है काम
स्विफ्ट के पास इंटरनेशनल बैंक अकाउंट नंबर (IBAN) और बीआईसी (बिजनेस आइडेंटिफायर कोड) को रिकॉर्ड करने की अथॉरिटी है और यह दुनिया भर के 11 हजार से अधिक वित्तीय संस्थानों को आपस में जोड़ती हैं. जब कोई क्लाइंट ट्रांजैक्शन करता है तो यह बैंकों को आपस में जोड़ती है और अगर दो ऑर्गेनाइजेशंस पार्टनर नहीं हैं तो स्विफ्ट उन्हें एक इंटरमीडियरी ऑर्गेनाइजेशन के जरिए आपस में जोड़ती है.
किसका है मालिकाना हक
स्विफ्ट बेल्जियम कानून के तहत एक कोऑपरेटिव कंपनी है. इसकी वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इस पर इसके दुनिया भर के करीब 3500 वित्तीय संस्थानों (शेयरधारकों) का स्वामित्व है और वे इसे नियंत्रित करते हैं. इस सिस्टम की निगरानी G-10 देशों के केंद्रीय बैंक, यूरोपीय सेंट्रल बैंक करती है. इन सबके ऊपर इसकी निगरानी बेल्जियम का नेशनल बैंक भी इसका निगरानी करता है. G10 में बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, नीदरलैंड, स्वीडन, स्विटजरलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका हैं.
स्विफ्ट से कटने पर क्या होगा रूस पर असर?
रसियन नेशनल स्विफ्ट एसोसिएशन के मुताबिक अमेरिका के बाद रूस इसका दूसरा सबसे बड़ा यूजर है और इस सिस्टम से रूस के करीब 300 वित्तीय संस्थान जुड़े हुए हैं. रूस के आधे से अधिक वित्तीय संस्थान स्विफ्ट के सदस्य हैं. इसका मतलब हुआ कि अगर रूस इस सिस्टम से अलग हुआ तो यह अन्य देशों से लेन-देन नहीं कर सकेगा. जैसे कि अगर रूस से किसी देश ने गैस की खरीदारी की तो वह इस सिस्टम के जरिए आमतौर पर स्विफ्ट सिस्टम के जरिए भुगतान करेगा और अगर इस सिस्टम से कट गया तो रूस यह पेमेंट नहीं प्राप्त कर सकेगा.
(Input: Reuters, PTI, SWIFT)