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IT पेशेवरों को झटका! ट्रम्प सरकार H-1B वीजाधारकों को नौकरी देने से रोकेगी

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फेडरल एजेंसियों की ओर से H-1B वीजाधारकों को नौकरी देने से रोकने संबंधी सरकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फेडरल एजेंसियों की ओर से H-1B वीजाधारकों को नौकरी देने से रोकने संबंधी सरकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.

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PTI
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US President Trump signs executive order against hiring H-1B visa holders for federal contracts

H-1B वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों में काफी लोकप्रिय है. यह एक नॉन इमिग्रेशन वीजा है.

US President Trump signs executive order against hiring H-1B visa holders for federal contracts H-1B वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों में काफी लोकप्रिय है. यह एक नॉन इमिग्रेशन वीजा है.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फेडरल एजेंसियों की ओर से H-1B वीजाधारकों को नौकरी देने से रोकने संबंधी सरकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. यह अमेरिका में नौकरी करने के इच्छुक भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (IT) पेशेवरों के लिए एक बड़ा झटका है. ट्रम्प ने संघीय एजेंसियों को अमेरिकियों को नौकरी देने का निर्देश दिया है. साथ ही राष्ट्रपति ने उनसे विशेष रूप से H-1B वीजा वाले विदेशी पेशेवरों के साथ अनुबंध या उप-अनुबंध करने से बचने को कहा है. इससे पहले ट्रम्प प्रशासन ने 23 जून को इस महत्वपूर्ण चुनावी वर्ष में अमेरिकी कर्मचारियों के संरक्षण के लिए H-1B वीजा और अन्य प्रकार के विदेशी कार्य वीजा को 2020 के अंत तक स्थगित कर दिया था.

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H-1B वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों में काफी लोकप्रिय है. यह एक नॉन इमिग्रेशन वीजा है. इसके जरिये अमेरिकी कंपनियां तकनीकी या अन्य विशेषज्ञता वाले पदों पर विदेशी कर्मचारियों की नियुक्ति कर सकती हैं. अमेरिका की प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियां हर साल इस वीजा के आधार पर चीन और भारत से हजारों पेशेवरों की नियुक्ति करती हैं.

ट्रम्प ने सोमवार को व्हाइट हाउस के ओवल कार्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज मैं एक सरकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर रहा हूं. इससे फेडरल सरकार की ओर से अमेरिकियों को नौकरी देने के सरल नियम का अनुपालन सुनिश्चित हो सकेगा.’’ ट्रम्प ने कहा कि हमारा प्रशासन सस्ते विदेशी श्रम के बदले में मेहनती अमेरिकियों को नौकरी से बाहर करने की कार्रवाई को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम H-1B नियमन को अंतिम रूप दे रहे हैं जिससे अब किसी भी अमेरिकी कर्मचारी को बदला नहीं जाएगा. H-1B का इस्तेमाल अमेरिकियों के लिए रोजगार सृजन के लिए होगा. इसका इस्तेमाल शीर्ष ऊंचा वेतन पाने वाली प्रतिभाओं के लिए किया जाएगा. अब इसका इस्तेमाल सस्ते श्रम कार्यक्रमों तथा अमेरिका के लोगों के लिए नौकरियां समाप्त करने के लिए नहीं किया जा सकेगा.’’

इस मौके पर ट्रंप के साथ नौकरियों की आउटसोर्सिंग के खिलाफ अभियान चलाने वाले कई लोग मौजूद थे. इनमें प्रमुख रूप से फ्लोरिडा के प्रोटेक्ट यूएस वर्कर्स ऑर्गेनाइजेशन की संस्थापक एवं अध्यक्ष सारा ब्लैकवेल, टेनेसी वैली अथॉरिटी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर जोनाथन हिक्स तथा पेंसिल्वेनिया के यूएस टेक वर्कर्स के संस्थापक केविन लिन शामिल हैं. अमेरिका में H-1B वीजा की प्रत्येक वित्त वर्ष में वार्षिक सीमा 65,000 की है. इस सरकारी आदेश के तहत सभी फेडरल एजेंसियों को 120 दिन के अंदर आंतरिक ऑडिट कर यह देखना होगा कि क्या वे सिर्फ अमेरिकी नागरिकों और नागरिकता वाले लोगों को ही प्रतिस्पर्धी सेवाओं में नियुक्ति की जरूरत के नियम का अनुपालन कर रही हैं.

H1 B Visa