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समान नागरिक संहिता पर बोले चिदंबरम, लोगों पर फैसला थोपना ठीक नहीं, बेरोजगारी, महंगाई से ध्यान हटाने के लिए बीजेपी ने बनाया मुद्दा

UCC: शशि थरूर ने कहा, समान नागरिक संहिता लाना सही मानते थे नेहरू, लेकिन जबरन नहीं, सबको साथ लेकर करना चाहिए अमल.

UCC: शशि थरूर ने कहा, समान नागरिक संहिता लाना सही मानते थे नेहरू, लेकिन जबरन नहीं, सबको साथ लेकर करना चाहिए अमल.

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FE Hindi Desk
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UCC: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता का किया था समर्थन. (File)

Uniform Civil Code: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समान नागरिक संहिता (UCC) की पुरजोर वकालत करने के बाद कांग्रेस ने इस अपनी अलग राय सामने रखी है. कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा है कि ‘एजेंडा आधारित बहुसंख्यकवादी सरकार’ इसे लोगों पर थोप नहीं सकती क्योंकि इससे लोगों के बीच ‘विभाजन’ बढ़ेगा. पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने दावा किया कि प्रधानमंत्री बेरोजगारी, महंगाई और घृणा अपराध जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए समान नागरिक संहिता की वकालत कर रहे हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) समान नागरिक संहिता का इस्तेमाल समाज के ध्रुवीकरण के लिए कर रही है. पीएम मोदी ने मंगलवार को भोपाल में दिए भाषण में समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हुए था कि जब एक घर में दो नियम नहीं चल सकते, तो एक देश में दो कानून कैसे चल सकते हैं.

पी चिदंबरम का क्या है कहना?

पी चिदंबरम ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ऐसा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड साधारण प्रक्रिया है. उन्हें पिछले लॉ कमीशन की रिपोर्ट पढ़नी चाहिए जिसमें कहा गया है कि यह इस वक्त सुसंगत नहीं है.’’ पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘भाजपा की कथनी और करनी के कारण देश आज बंटा हुआ है. ऐसे में लोगों पर थोपा गया यूसीसी विभाजन को और बढ़ाएगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘एजेंडा आधारित बहुसंख्यकवादी सरकार इसे लोगों पर थोप नहीं सकती.’’ चिदंबरम ने कहा कि प्रधानमंत्री के यूसीसी के लिए पुरजोर आग्रह का मकसद मंहगाई, बेरोजगारी, घृणा संबंधी अपराध और भेदभाव जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाना है. लोगों को इससे सतर्क रहने की जरूरत है. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सुशासन में नाकाम रही भाजपा अगला चुनाव जीतने के लिए मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए यूसीसी का इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने यूसीसी की वकालत करते हुए एक देश की तुलना एक परिवार के साथ की है. ऊपर-ऊपर से देखने पर ऐसी तुलना सही लग सकती है, लेकिन सच्चाई काफी अलग है."

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भाजपा के तीन बड़े मुद्दों में शामिल है UCC

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आगे कहा, ‘‘एक परिवार में भी विविधताएं होती हैं. भारत का संविधान भारत के लोगों के बीच विविधता तथा बहुलता को मान्यता देता है.’’ गौरतलब है कि समान नागरिक संहिता लंबे समय से भाजपा के तीन प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक रही है, जिसमें जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करना और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शामिल रहा है. लॉ कमीशन ने 14 जून को यूसीसी पर नए सिरे से विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की थी और राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से राय मांगी थी.

पंडित नेहरू भी UCC को अच्छा मानते थे : शशि थरूर

समान नागरिक संहिता पर बोलते हुए शशि थरूर ने कहा, “UCC के बारे में देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू की राय बिलकुल साफ थी. उन्होंने कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लाना अच्छी बात होगी, लेकिन ऐसा सबको साथ लेकर करना चाहिए. यह बात समझनी होगी कि किसी भी समाज में जब पहले से कोई अधिकार मिला होता है, तो उसे वापस लेना आसान नहीं होता, उसका विरोध होता है. अंग्रेजों ने हर समुदाय को अलग-अलग पर्सनल लॉ दे दिए. जिसकी लोगों को आदत पड़ चुकी है. इसलिए उन्हें खत्म करने का विरोध होता है." वहीं तीन तलाक के मुद्दे पर अपना विचार रखते हुए उन्होंने कहा, “जहां तक तीन तलाक की बात है, सरकार के बिल लाने से पहले ही सुप्रीम कोर्ट उसे गैरकानूनी घोषित कर चुका था. सरकार के बिल ने सिर्फ सिविल केस को आपराधिक केस बना दिया. लेकिन इस बारे में तार्किक रूप से सोचने की जरूरत है. हम ये नहीं कह रहे कि तीन तलाक सही है. लेकिन अगर एक धर्म के पति का अपनी पत्नी को छोड़ देना आपराधिक मामला नहीं है, तो दूसरे धर्म के पति का ऐसा ही करना आपराधिक मामला कैसे बना सकते हैं? यह तो एक सिविल ऑफेंस ही होना चाहिए. हम तीन तलाक का समर्थन बिलकुल नहीं कर रहे. यह एक बुरी चीज है, जो महिलाओं के साथ नाइंसाफी है. हम सिर्फ इतना कह रहे हैं कि जो बात एक धर्म के पति के लिए सिविल ऑफेंस है, वो दूसरे धर्म के पति के लिए क्रिमिनल ऑफेंस नहीं होनी चाहिए.”

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