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अमेरिकी कारोबारी और ग्राहक ट्रेड वार की कीमत चुका रहे हैं.
अमेरिकी कारोबारी और ग्राहक ट्रेड वार की कीमत चुका रहे हैं.Trade War: अमेरिका और चीन के बीच पिछले साल से ट्रेड वार जारी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने Trade War की शुरुआत यह कहते हुई की थी कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को फायदा होगा. उनका आरोप है कि चीन और भारत समेत कई देश अमेरिका से फायदा उठाते हैं और अमेरिकी उत्पादों पर गैर-जरूरी टैरिफ लगाते हैं. ट्रम्प ने जवाबी शुल्क वार शुरू किया और इसकी जद में आज अनुमानतः दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को करोड़ों डॉलर का नुकसान हो चुका है. अमेरिकी राष्ट्रपति का दावा है कि उनके फैसले से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को फायदा हुआ है और सभी नुकसान चीन को झेलना पड़ रहा है. हालांकि अर्थशास्त्रियों का ऐसा नहीं मानना है.
अमेरिकी कारोबारी और ग्राहक चुका रहे कीमत
अमेरिकी कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल 10 अप्रैल तक चीन से आयातित उत्पादों पर करीब 1.07 लाख करोड़ रुपये का ड्यूटी लगाया गया है. हालांकि वास्तविक आंकड़े रिफंड जैसे अन्य फैक्टर्स की वजह से कम हो सकते हैं. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ये आंकड़े गुमराह करने वाले हैं क्योंकि जितनी ड्यूटी लगी है, उसके लिए अमेरिकी आयातक जिम्मेदार हैं और अंततः अमेरिकी कारोबारियों और उपभोक्ताओं पर ही अधिक कीमत का भार पड़ेगा. ट्रम्प को पछाड़ दूसरे सबसे पसंदीदा नेता बने मोदी
टैरिफ रेवेन्यू से महंगे आयात की भरपाई मुश्किल
न्यूयॉर्क के फेडरल रिजर्व बैंक, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्रियों ने मार्च महीने में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इसमें कहा गया कि अमेरिका टैरिफ बढ़ाकर जितना रेवेन्यू के मोर्चे पर फायदा पा रहा है, वह ग्राहकों द्वारा महंगे आयात के कारण होने वाले नुकसान की तुलना में बहुत कम है.
किसानों और छोटे कामगारों पर पड़ रहा असर
मार्च में ही कुछ और प्रमुख अर्थशास्त्रियों, विश्व बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री पाइनलोपी गोल्डबर्ग, यूसीएलए के पाब्ले फागेलबौम, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के पैट्रिक कैनेडी, कोलंबिया बिजनेस स्कूल के अमित खंडेलवाल ने एक पेपर प्रकाशित किया. इसमें कहा गया था कि ट्रम्प की ओर से शुरू किए गए टैरिफ वार का सबसे अधिक भार ग्राहकों और अमेरिकी कंपनियों पर पड़ा है. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि टैरिफ वार के कारण उन किसानों और ब्लू-कॉलर कामगारों पर भी बुरा असर पड़ा है जिन्होंने 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ट्रम्प का समर्थन किया था.
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