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चीन को चुनौती! अमेरिका ने विवादित दक्षिणी चीन सागर में उतारा जंगी जहाज, बढ़ा तनाव

अमेरिका और चीन के बीच एक बार फिर से तनातनी शुरू हो सकती है. इसकी मुख्य वजह दक्षिणी चीन सागर है.

अमेरिका और चीन के बीच एक बार फिर से तनातनी शुरू हो सकती है. इसकी मुख्य वजह दक्षिणी चीन सागर है.

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Bloomberg
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अमेरिकी नेवी शिप (Image-Bloomberg)

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अमेरिका और चीन के बीच एक बार फिर से तनातनी शुरू हो सकती है. इसकी मुख्य वजह दक्षिणी चीन सागर है. अमेरिका ने पहली बार दक्षिणी चीन सागर में स्थित विवादित स्कारबोरो शोल पर ड्रिल के लिए लड़ाकू विमानों से लदा हुआ एक वारशिप भेजा है. इस विवादित क्षेत्र पर पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, रिपब्लिक ऑफ चाइना और फिलीपींस अपने स्वामित्व का दावा करते हैं. अमेरिका ने इस क्षेत्र में पहली बार जमीन और पानी दोनों जगहों से मार करने में सक्षम जहाज को अभ्यास के लिए भेजा. इस पर F-35B जेट तैनात हैं.

अमेरिकी रक्षा अधिकारियों का कहना है कि उसके जहाज शोल के 25 नॉटिकल मील (46.3 किमी) के भीतर प्रवेश नहीं किए है जबकि चीन ने इस बात के लिए आलोचना की है कि अमेरिका ने विवादित जगह के 12 नॉटिकल मील (22.2 किमी) के भीतर आकर इंटरनेशनल सेलिंग राइट्स का उल्लंघन किया है. चीन के विदेश मंत्रालय प्रवक्ता लु कांग ने ब्रीफिंग में कहा, उन्हें आशा है कि बाहरी शक्तियां दक्षिणी चीन सागर में तनाव बढ़ाने की कोशिश नहीं करेंगी.

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फिलीपींस के साथ जारी है सैन्य अभ्यास

फिलीपींस के मिलिट्री चीफ जनरल बेंजामिन मैड्रिगल ने इस अभ्यास के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि फिलीपींस के 7000 हजार सैनिकों से साथ अमेरिका अभ्यास में हिस्सा ले रहा है.

दक्षिणी चीन सागर के अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र और स्यूबिक बे में फिलीपींस के नेवी शिप्स के साथ सैन्य अभ्यास चल रहा है. यह अभ्यास मैरिटाइम सिक्योरिटी और जमीन व पानी से लड़ाई करने की क्षमता का अभ्यास हो रहा है. इसके अलावा सैन्य अदला-बदली के जरिए सैन्य सहयोग का भी अभ्यास जारी है.

अमेरिका इकलौता सैन्य सहयोगीः फिलीपींस के विदेश सचिव

फिलीपींस के विदेश सचिव टीओडोरो लाक्सिन जूनियर ने कहा कि अमेरिका इकलौती वैश्विक शक्ति है जो लोकतंत्र और मानवाधिकारों का समर्थक है और वह फिलीपींस का इकलौते सैन्य सहयोग बना रहेगा. इससे पहले 2016 में रोड्रिगो दुतेर्ते के राष्ट्रपति बनने के बाद फिलीपींस का अमेरिका की बजाय चीन की तरफ झुकाव बढ़ गया था. हालांकि इसके बाद इस साल मार्च में अमेरिकी राज्य सचिव माइक पोंपेओ ने फिलीपींस को भरोसा दिया कि अगर विवादित क्षेत्र में कब्जा करता है तो अमेरिकी फिलीपींस का साथ देगा. लाक्सिन ने कहा कि फिलीपींस को अमेरिका के अलावा अन्य किसी सैन्य सहयोगी की जरूरत नहीं है.