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अमेरिकी चुनाव में भारतीय मूल के लोगों को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है.
US Election 2020: अमेरिकी चुनाव में भारतीय मूल के लोगों को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. इंडियन-अमेरिकन डेमोक्रेटिक लॉमेकर्स डॉ एमी बेरा, प्रमिला जायपाल, रो खन्ना और राजा कृष्णमूर्ति को यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के लिए दोबारा चुन लिया गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास में पहली बार भारतीय-अमेरिकी समाज की भूमिका इतनी महत्त्वपूर्ण रही है. डेमोक्रेट और रिपब्लिकन, दोनों पार्टियों ने इस कम्युनिटी के करीब 18 लाख लोगों को अपने पाले में करने के लिए कोशिश की. इंडियन-अमेरिकन कम्युनिटी फ्लोरिडा, जॉर्जिया, मिशीगन, नॉर्थ कैरोलिना, पेनिसिल्वानिया और टैक्सास बहुत महत्वपूर्ण भूमिका में हैं.
गिनती शुरू होने के बाद पहली जीत कृष्णमूर्ति को
मतदान की गणना शुरू होने के बाद सबसे पहले जिस भारतीय मूल उम्मीदवार को जीत हासिल किया, वे राजा कृष्णमूर्ति हैं. 47 वर्षीय राजा कृष्णामूर्ति ने अपने प्रतिद्वंद्वी लिबर्टेरियन पार्टी के उम्मीदवार प्रेस्टन नेल्सन को आसानी से हराया. उन्हें कुल गिनती हुए कुल मतों का 74 फीसदी हासिल हो चुका है. उनका जन्म एक तमिलभाषी परिवार में नई दिल्ली में हुआ था. जब वह तीन महीने के थे, तभी उनका परिवार बुफैलो, न्यूयॉर्क में बस गया ताकि उनके पिता ग्रेजुएट स्कूल अटेंड कर सकें. हार्वर्ड से ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने लॉ क्लर्क के तौर पर काम किया और 2000 के चुनाव कैंपेन में बराक ओबामा के लिए काम किया. उनका पॉलिसी प्लेटफॉर्म मुख्य तौर पर मिडिल क्लास को मजबूत करने के लिए काम करता है.
भारतीय-अमेरिकी प्रतिद्वंद्वी को हराकर जीते खन्ना
रो खन्ना ने भी अपने प्रतिद्वंद्वी को आसानी से हराया. 44 वर्षीय खन्ना के खिलाफ भी एक भारतीय-अमेरिकी उम्मीदवार थे. उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी के 48 वर्षीय रितेश टंडन को 50 फीसदी से भी अधिक अंतर से हराया. यह उनकी 17वीं कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट ऑफ कैलिफोर्निया से लगातार तीसरी जीत है. खन्ना के माता-पिता 70 के दशक में बेहतर अवसर की तलाश में अमेरिका चले गए थे. उनके दादा भारत की स्वतंत्रता संग्राम में लाला लाजपत राय के साथ काम किया था. कांग्रेस में आने से पहले वह स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स, सांता क्लारा यूनिवर्सिटी में लॉ और सैन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी में अमेरिकन ज्यूरिस्प्रूडेंस पढ़ाते थे. खन्ना पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन में भी कार्यरत थे.
लगातार पांचवीं बार जीते एमी बेरा
डॉ एमी बेरा ने आसान जीत हासिल की. 55 वर्षीय बेरा ने लगातार पांचवी बार सेवेन्थ कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट ऑफ कैलिफोर्निया से जीत हासिल किया. खबर लिखे जाने तक उन्होंने अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी बज पैटरसन के खिलाफ 25 फीसदी से अधिक की अपराजेय बढ़त बना ली. अमेरिका में पैदा हुए फर्स्ट जेनेरेशन अमेरिकी बेरा ने अपने चिकित्सकीय पेशे से मिले अनुभव का प्रयोग राजनीति में किया. उनका मुख्य ध्यान लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने पर है. वह कांग्रेस में सबसे लंबे समय तक काम करने वाले भारतीय-अमेरिकी हैं.
चेन्नई में जन्मीं प्रमिला 70 फीसदी मतों से जीती
अमेरिकी कांग्रेस की सदस्य प्रमिला जायपाल लगातार तीसरी बार निर्वाचित हुई हैं. चेन्नई में जन्मीं 55 वर्षीय जायपाल डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार थीं और उन्होंने वाशिंगटन राज्य के सातवें कांग्रेस निर्वाचन क्षेत्र से रिपब्लिक पार्टी के क्रेग केल्लर को 70 प्रतिशत मतों से मात दी है. वह भारत की जम्मू-कश्मीर पर नीति और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) की आलोचक रही हैं. 2016 में वह भारतीय मूल की पहली महिला थीं जो हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के लिए निर्वाचित हुईं.