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US President Donald Trump has recently said that WHO was acting as 'PR agency for China' (Photo: Reuters)
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कोरोनावायरस (Coronavirus) ने पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था को बेहद ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. लॉकडाउन के कारण कामकाज ठप होने से कई राष्ट्रों की आर्थिक वृद्धि दर निगेटिव जोन में जाने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि कुछ जगहों पर कामकाज धीरे-धीरे शुरू किया जा रहा है. इसके लिए कुछ देश इम्युनिटी पासपोर्ट (Immunity Passport) के आइडिया पर विचार कर रहे हैं. इम्युनिटी पासपोर्ट या रिस्क फ्री सर्टिफिकेट (Risk Free Certificate) उन लोगों को जारी किए जाने की योजना है, जो कोरोनावायरस से जीतकर ठीक हो चुके हैं. उन्हें ये इस आधार पर जारी किए जाने का प्लान है कि ठीक हो चुके लोगों में एंटीबॉडीज पर्याप्त मात्रा में विकसित हो चुके हैं और वे रीइन्फेक्शन से सुरक्षित हैं. लिहाजा वे ट्रैवल करने या काम पर वापस लौटने में सक्षम हैं.
WHO ने दी चेतावनी
लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि सरकारों को कथित "इम्युनिटी पासपोर्ट" या "रिस्क फ्री सर्टिफिकेट" पर इतना भरोसा नहीं करना चाहिए. WHO ने कहा है कि इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि जिन लोगों में संक्रमण से ठीक होने के बाद एंटीबॉडी विकसित हो गए हैं, उन्हें दोबारा संक्रमण नहीं होगा और वे कोविड-19 से सुरक्षित हैं. संगठन ने चेताया है कि इस तरह के कदम वायरस के संक्रमण को बढ़ाने वाले होंगे. जिन लोगों को लगेगा कि वे इम्यून हो गए हैं यानी रीइन्फेक्शन से सुरक्षित हैं, वे एहतियात बरतना बंद कर देंगे.
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एंटीबॉडीज को लेकर क्या कहती है स्टडी
WHO ने एक संक्षिप्त नोट में कहा है कि ज्यादातर अध्ययन यह बताते हैं कि जो लोग कोरोना के संक्रमण से एक बार ठीक हो चुके हैं, उनके खून में एंटीबॉडीज मौजूद हैं और अच्छी मात्रा में हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनमें एंटीबॉडीज का स्तर कम है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक शुक्रवार तक ऐसा कोई अध्ययन नहीं हुआ है, जो इस बात की पुष्टि करता हो कि शरीर में एंटीबॉडीज की मौजूदगी आगे रीइन्फेक्शन को रोकने में प्रभावी है यानी व्यक्ति को दोबारा संक्रमण नहीं होगा. लिहाजा इम्युनिटी पासपोर्ट से लोग एहतियात के प्रति लापरवाह हो सकते हैं और संक्रमण फैलना जारी रहने का जोखिम बढ़ सकता है.
SARS के वक्त भी हुआ था रीइन्फेक्शन
WHO का कहना है कि सार्स (SARS) के मरीजों के दोबारा बीमार होने के कई मामले सामने आए थे. सार्स के मरीजों के शरीर में एंटीबॉडीज बनीं तो, लेकिन कई मरीजों में ये एक वक्त के बाद बेअसर हो गईं. अब इस मामले में कोविड-19 के नतीजे आने बाकी हैं.