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कोविड-19: बाजार में कब आएगी पहली कोरोना वैक्सीन, रूस के वैज्ञानिकों ने दिया संकेत

रूसी कोरोना वायरस वैक्सीन ने हाल ही में क्लीनिकल ट्रायल के पहले चरण को पार किया है.

रूसी कोरोना वायरस वैक्सीन ने हाल ही में क्लीनिकल ट्रायल के पहले चरण को पार किया है.

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when will first coronavirus vaccine come in market russian scientists say this

रूसी कोरोना वायरस वैक्सीन ने हाल ही में क्लीनिकल ट्रायल के पहले चरण को पार किया है.

when will first coronavirus vaccine come in market russian scientists say this रूसी कोरोना वायरस वैक्सीन ने हाल ही में क्लीनिकल ट्रायल के पहले चरण को पार किया है.

रूस में मॉस्को के Gamaleya नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने एक कोरोना वायरस वैक्सीन कैंडिडेट को विकसित किया है, जो आम लोगों के लिए क्लिनिकल ट्रायल के तीसरे फेज में आ सकता है. यह ध्यान देने वाली बात है कि रूसी कोरोना वायरस की वैक्सीन ने हाल ही में क्लीनिकल ट्रायल के पहले चरण को पार किया है जो 18 जून को शुरू हुआ था और दूसरे चरण में दाखिल हो चुका है.

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Sputnik न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी स्वास्थ्य मंत्री Mikhail Murashko ने कहा कि वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण के पूरे होने से पहले, इसे इसे बाजार में उपलब्ध करा दिया जाएगा.

एक अतिरिक्त क्लीनिकल रिसर्च होगी

Murashko के मुताबिक, मंजूर क गई वैक्सीन पर एक और अतिरिक्त क्लीनिकल रिसर्च होगी जिसे भी इसके साथ में संचालित किया जाएगा. उनके मुताबिक, इस नए दृष्टिकोण से वैक्सीन की सुरक्षा ओर क्षमता के नए फॉर्मेट को टेस्ट किए जाने की उम्मीद है. सरकार इससे आगे भी नए दृष्टिकोण को बढ़ाने की योजना बना रही है जिसमें जिन मरीजों को वैक्सीन दिया गया, उनका कुछ डेटा हो. इससे मरीजों में इम्युनिटी के स्टेटस के बारे में साफ तस्वीर पता चलेगी.

इस बीच वैक्सीन को ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका में रिसर्चर्स द्वारा विकसित कोविड-19 टेक्नोलॉजी पर आधारित बताया जा रहा है. Sputnik की ओर से दूसरी रिपोर्ट में कहा गया है कि दो दिन पहले यूके नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेंटर ने इसी बात के लिए रूस के वैक्सीन विकसित करने वालों की आलोचना की है. हालांकि, Gamaleya इंस्टीट्यूट के हेड Alexander Gintsburg ने कहा है कि रूस में विकसित हुई वैक्सीन पेटेंट है और यह पश्चिमी के मुकाबले ज्यादा एडवांस भी है.

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तकनीक पर 25 साल से चल रहा था काम

रिपोर्ट में कहा गया है कि रूसी डेवलपर्स का मानना है कि इम्युनिजेशन स्कीम को बहुत से पश्चिमी भी उधार लेंगी क्योंकि उनकी वैक्सीन अनोखी है. Gintsburg ने आगे कहा कि वे उनकी वैक्सीन से संबंधित डेटा को विदेशी सहकर्मियों के साथ साझा करने के लिए तैयार हैं क्योंकि यह ऐसी तकनीक है जिसे रूसी पिछले 25 सालों से बहुत से कोरोना वायरस के लिए विकसित कर रहे हैं.

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