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The drop is already dealing a heavy blow to families and entire economies in the developing world.
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विश्वबैंक ने कोरोना वायरस महामारी की वजह से उत्पन्न आर्थिक संकट के बारे में कहा है कि आकलनों से इसके 2007-09 की आर्थिक मंदी से गंभीर होने की आशंकाएं लग रही हैं. विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ सालाना ग्रीष्मकालीन बैठक के दौरान कहा कि कोरोना वायरस की वजह से सामने आए आर्थिक संकट को पूरी दुनिया में महसूस किया जा रहा है, लेकिन गरीब देशों तथा वहां के लोगों पर इसका ज्यादा असर देखने को मिलेगा.
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) से मदद के पात्र देशों में दुनिया की सर्वाधिक गरीब आबादी का दो-तिहाई हिस्सा रहता है. इनके ऊपर इस संकट का सबसे ज्यादा असर होगा. आईडीए विश्व बैंक का एक हिस्सा है और यह गरीब देशों की मदद करता है.
बड़ी वैश्विक आर्थिक मंदी का अनुमान
विश्व बैंक के अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी का स्वास्थ्य और चिकित्सा पर पड़ने वाले असर के अलावा वे बड़ी वैश्विक आर्थिक मंदी का अनुमान लगा रहे हैं. उत्पादन, निवेश, रोजगार और व्यापार में गिरावट को देखते हुए हमारे आकलन से लगता है कि यह 2007-09 की आर्थिक मंदी से भयानक होगा.
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अब तक 64 विकासशील देशों की मदद
उन्होंने कहा कि हमने अभी तक 64 विकासशील देशों की मदद की है और उन्हें अप्रैल के आखिर तक 100 देशों की मदद करने का अनुमान है. विश्व बैंक अगले 15 महीने में 160 अरब डॉलर की मदद करने में सक्षम है. इसमें आईडीए सस्ती दरों पर 50 अरब डॉलर की मदद उपलब्ध कराएगा.
मालपास ने कहा कि कोविड-19 मदद कार्यक्रम गरीब परिवारों को बचाने, कंपनियों को सुरक्षा प्रदान करने और नौकरियां बचाने के तीन सिद्धांतों पर आधारित है. उन्होंने कहा कि ऋण सुविधा गरीब देशों की मदद करने का सबसे असरदार तरीका है. इससे पहले आईएमएफ भी यह आशंका व्यक्त कर चुका है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण जो आर्थिक संकट उत्पन्न हो रहा है, यह 1930 के दशक की महान आर्थिक मंदी के बाद का सबसे गंभीर वैश्विक आर्थिक संकट हो सकता है.