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वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को नोबेल शांति पुरस्कार, दुनिया भर में भूखमरी के खिलाफ लड़ाई का इनाम

नोबेल शांति पुरस्कार 2020 शुक्रवार को वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को देने का एलान हुआ है.

नोबेल शांति पुरस्कार 2020 शुक्रवार को वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को देने का एलान हुआ है.

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world food program gets nobel peace prize 2020 for fight against hunger

नोबेल शांति पुरस्कार 2020 शुक्रवार को वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को देने का एलान हुआ है.

नोबेल शांति पुरस्कार 2020 शुक्रवार को वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को देने का एलान हुआ है. ऐसा दुनिया भर में भूखमरी और खाने को लेकर असुरक्षा से लड़ने के लिए दिया गया है. यह एलान Oslo में नोबेल कमेटी के चेयर Berit Reiss-Andersen ने किया है. Andersen ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि इस साल कमेटी दुनिया की नजर उन लोगों पर करना चाहती है जो भूखमरी से पीड़ित या उसके खतरे का सामना कर रहे हैं.

सयुंक्त राष्ट्र का हिस्सा है WFP

उन्होंने कहा कि वर्ल्ड फूड प्रोग्राम खाद्य सुरक्षा को शांति का एक साधन बनाने में बहुपक्षीय सहयोग में मुख्य भूमिका निभाता है. एलान पर प्रतिक्रिया देते हुए UN WFP के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह गर्व का पल था और किसी मुकाम से कम नहीं है. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम सयुंक्त राष्ट्र की खाद्य सहायता ब्रांच है और दुनिया की सबसे बड़ी मानवीय संस्था है जो भूखमरी से निपटने और खाद्य सुरक्षा का प्रचार कर रही है. वेबसाइट के मुताबिक, WFP के कोशिश इमरजेंसी सहयोग, राहत और पुनर्वास और खास ऑपरेशंस है.

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बड़ी प्रतिष्ठा के साथ इनाम में 10 मिलियन krona (1.1 मिलियन डॉलर) कैश अवॉर्ड और गोल्ड मेडल नॉर्वे के Oslo में 10 दिसंबर को होने वाली एक सेरामनी में दिया जाएगा. इस दिन पुरस्कार के फाउंडर Alfred Nobel की मृत्यु की सालगिरह पर दिया जाएगा.

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डोनाल्ड ट्रंप के नाम को लेकर भी था अनुमान

इस इनाम के लिए इस साल 318 कैंडिडेट, 211 व्यक्तियों और 107 संगठनों का नामांकन किया गया है. जहां Norwegian नोबेल कमेटी पूरी तरह गोपनीयता बनाए रखता है कि वह किसे दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित इनाम देता है, इसने एलान से पहले कभी भी अनुमान नहीं रुकते हैं.

जिन नामों को लेकर अनुमान लगाया गया, उनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, स्वीडन की क्लाइमेट एक्टिविस्ट Greta Thunberg, रूस के Alexei Navalny और विश्व स्वास्थ्य संगठन शामिल था. इस साल के नामांकन के लिए डेडलाइन 1 फरवरी थी जिसका मतलब है कि जो कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में शामिल हैं, वे भाग नहीं ले सकते क्योंकि महामारी का एलान मार्च में हुआ था.

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