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10 आम बैंक ट्रांजेक्शन जो आपके सेविंग अकाउंट को आयकर विभाग के रडार पर ला सकते हैं. (Image: FE File)
आपका सैलरी वाला बैंक अकाउंट, जिसमें महीने भर के खर्च जैसे सैलरी, बिल, ईएमआई या कभी-कभार पैसे भेजना-पाना लगता है बिलकुल आम बात, अब आयकर विभाग की नजर में है. जी हाँ, सिर्फ बड़े बिजनेस वाले या अमीर लोग ही नहीं, बल्कि आम बैंक अकाउंट रखने वाले भी अब SFT यानी स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन के तहत निगरानी में हैं.
आयकर विभाग ने पिछले कुछ सालों में अपने डिजिटल डेटा एनालिटिक्स सिस्टम को काफी मजबूत कर लिया है. अब बैंक, म्यूचुअल फंड हाउस, पोस्ट ऑफिस और रजिस्ट्री विभाग हर साल SFT रिपोर्ट भेजते हैं, जिसमें असामान्य या बड़े लेन-देन की जानकारी होती है. इसका मकसद टैक्स चोरी और अनजान लेन-देन को पकड़ना है.
10 आम बैंक ट्रांजेक्शन जो आपके सेविंग अकाउंट को आयकर विभाग के रडार पर ला सकते हैं
एक साल में दस लाख रुपये या उससे ज्यादा नकद जमा
चाहे रकम एक साथ जमा की गई हो या अलग-अलग तारीखों पर, इसे बैंक आयकर विभाग को रिपोर्ट करता है. अगर इसे अपने ITR में नहीं दिखाया, तो नोटिस मिल सकता है.
बड़े क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान
अगर आपकी आय कम है लेकिन आप बड़े क्रेडिट कार्ड बिल चुका रहे हैं, तो विभाग मान सकता है कि आपकी असल आय बताई गई आय से ज्यादा है.
बार-बार बड़े नकद जमा या निकासी
अक्सर व्यापार या शादी जैसी जरूरतों के लिए बड़ी रकम निकालना या जमा करना सामान्य है, लेकिन अगर यह लगातार और बिना वजह हो, तो इसे “संदिग्ध गतिविधि” माना जाता है.
बड़ी संपत्ति की खरीद या बिक्री
तीस लाख रुपये या उससे ज्यादा की संपत्ति की डील अपने आप विभाग तक पहुंच जाती है. अचानक बड़े ट्रांजैक्शन से अधिकारी जांच कर सकते हैं.
विदेश से जुड़ी लेन-देन या विदेशी मुद्रा खर्च
विदेश यात्रा, पढ़ाई या फॉरेक्स कार्ड पर दस लाख रुपये से ज्यादा खर्च विभाग की निगरानी में आता है.
सुस्त पड़े अकाउंट में अचानक बड़ी लेन-देन
पुराने अकाउंट में अचानक बड़ी रकम जमा या ट्रांसफर होना संदिग्ध माना जा सकता है.
ब्याज या डिविडेंड की जानकारी में अंतर
म्यूचुअल फंड से मिलने वाला ब्याज या डिविडेंड अगर ITR में नहीं दिखाया गया, तो विभाग इसे अपने ऑटोमैटिक मैचिंग सिस्टम से पकड़ता है.
कई बैंक अकाउंट और छुपाया गया ब्याज
कई अकाउंट होने पर ब्याज या लेन-देन छुपाने की कोशिश भी अब पैन और आधार लिंकिंग के जरिए विभाग तक पहुंचती है.
अघोषित या अनजान स्रोत से पैसा
दोस्तों से उधार, घर की बचत या गिफ्ट के रूप में बड़ी रकम जमा होने पर अगर कोई दस्तावेज नहीं है, तो इसे अघोषित आय माना जा सकता है.
किसी और के लिए लेन-देन
अगर कोई तीसरा आपका अकाउंट इस्तेमाल कर रहा है, तो इसे मनी लॉन्ड्रिंग या बेनामी लेन-देन माना जा सकता है.
यह सब कैसे पकड़ा जाता है?
लगभग सभी बैंक और वित्तीय संस्थान हर साल SFT रिपोर्ट आयकर विभाग को भेजते हैं. इसमें नकद लेन-देन, बड़े निवेश, रियल एस्टेट डील और क्रेडिट कार्ड खर्च की जानकारी होती है. विभाग इसे पैन और आधार नंबर से जोड़कर यह पता लगाता है कि जिम्मेदार कौन है.