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होम लोन लेना एक लंबे समय की वित्तीय जिम्मेदारी है.
Home Loan: अपना घर हर किसी का सपना होता है. इसके लिए लोग लंबे समय तक पूंजी इकट्ठा करते हैं और कुछ लोग बैंकों से होम लोन लेकर अपना सपना पूरा करते हैं. होम लोन लेना एक लंबे समय की वित्तीय जिम्मेदारी है. ऐसे में होम लोन को लेकर लिए गए फैसले में कोई गलती होती है तो यह न सिर्फ अधिकतम होम लोन पाने के अवसर कम करता है बल्कि यह भविष्य के रीपेमेंट्स को भी प्रभावित करता है. इस प्रकार की किसी भी परिस्थितियों से बचने के लिए लोन आवेदन से पहले जरूरी तैयारी कर लेनी चाहिए. यहां ऐसी पांच गलतियों के बारे में जानकारी दी जा रही है जिससे होम लोन आवेदकों को बचना चाहिए.
Home Loan के आवेदन में बचें इन पांच गलितयों से
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- डाउनपेमेंट की कम राशि: आरबीआई गाइडलाइंस के मुताबिक लेंडर्स होम लोन राशि के आधार पर किसी प्रॉप्रटी की वैल्यू के 75-90 फीसदी तक की राशि फाइनेंस कर सकते हैं. इस पर अंतिम फैसला लोन आवेदक के क्रेडिट रिस्क आकलन के आधार पर लिया जाता है. शेष राशि को कर्ज लेने वाले को अन्य स्रोत से जुटाकर डाउनपेमेंट या मार्जिन कांट्रिब्यूशन के रूप में चुकानी होती है. होम लोन आवेदकों को प्रॉपर्टी की वैल्यू का कम से कम 10-25 फीसदी जुटाकर लोन मंजूर होने की संभावना को बढ़ाना चाहिए. डाउनपेमेंट जितना अधिक होगा, लेंडर्स के लिए क्रेडिट रिस्क उतना ही कम होगा और लोन आवेदन मंजूर होने की संभावना उतनी अधिक बढ़ेगी. इसके अलावा ब्यजा दरों में भी कुछ राहत मिल सकती है. हालांकि डाउनपेमेंट राशि बढ़ाने के लिए इमरजेंसी फंड या वित्तीय लक्ष्यों के लिए किए गए निवेश से छेड़खानी नहीं करनी चाहिए.
- क्रेडिट स्कोर का रिव्यू न करना: लोन एप्लीकेशन का आकलन करते समय लेंडर्स क्रेडिट स्कोर पर भी गौर करते हैं. जिन आवेदकों का क्रेडिट स्कोर 750 से अधिक है, उनके होम लोन आवेदन के मंजूर होने की संभावना अधिक होती है और ब्याज दरों में भी राहत मिल सकती है. ऐसे में आवेदन करने से पहले ही नियमित समय अंतराल पर लोन आवेदकों को अपना क्रेडिट स्कोर चेक करते रहना चाहिए, इससे उन्हें अपने क्रेडिट स्कोर को सुधारने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा.
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- कई लेंडर्स के होम लोन ऑफर की तुलना न करना: लोन आवेदक की क्रेडिट प्रोफाइल के मुताबिक होम लोन की ब्याज दर, प्रोसेसिंग चार्जे, रीपेमेंट टेन्योर, लोन अमाउंट और एलटीवी रेशियो हर लेंडर्स के आधार पर अलग हो सकती है. ऐसे में लोन के लिए आवेदन करने से पहले अधिक से अधिक लेंडर्स द्वारा ऑफर किए जाने वाले होम लोन ऑफर्स की तुलना कर लेनी चाहिए. आवेदक को उस वित्तीय संस्थान से संपर्क करना चाहिए जिसके वे वर्तमान ग्राहक है. इसके बाद ऑनलाइन फाइनेंसियल मार्केटप्लेस पर जाकर कई लेंडर्स द्वारा ऑफर किए जाने वाले इंटेरेस्ट रेट और लोन फीचर्स की तुलना कर लें. जो लेंडर्स पर्याप्त लोन राशि और ऑप्टिमल लोन टेन्योर के लिए कम से कम दरों पर दरों पर ब्याज ले रहा, उसके पास लोन आवेदन सबमिट करें.
- EMI अफोर्डेबिलिटी न देखना: किसी आवेदक के लोन आवेदन की जांच करते समय लेंडर्स उनकी रीपेमेंट कैपेसिटी को भी ध्यान में रखता है. लेंडर्स उन्हें लोन देना प्रिफर करता है जिनकी कुल ईएमआई देनदारी (नए लोन की मिलाकर, जिसके लिए आवेदन किया गया है) मासिक आय की 50-60 फीसदी हो. मासिक आय के 60 फीसदी से अधिक ईएमआई देनदारी होने पर होम लोन आवेदन मंजूर होने की संभावना कम हो जाती है. ऐसे में होम लोन के लिए आवेदन करने से पहले वर्तमान लोन को चुकता कर लेना चाहिए ताकि कुल ईएमआई देनदारी 50-60 फीसदी की सीमा को न पार कर सके. होम लोन आवेदकों को ऑनलाइन होम लोन ईएमआई कैलकुलेटर्स के जरिए ऑप्टिमम ईएमआई को कैलकुलेट करना चाहिए, इससे भविष्य में डिफॉल्ट होने की आशंका कम होती है.
- इमरजेंसी फंड में होम लोन ईएमआई को न रखना: नौकरी चले जाने, बीमारी, विकलांगता इत्यादि कई ऐसे फैक्टर्स हैं जिनके चलते किसी भी समय आय खत्म हो सकती है और यह लोन रीपेमेंट कैपेसिटी को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. होम लोन ईएमआई चुकता न कर पाने की स्थिति में भारी जुर्माना लग सकता है और यह क्रेडिट स्कोर कम कर सकता है. इसके अलावा होम लोन की ईएमआई को अपने वर्तमान निवेश से चुकाने पर भविष्य में वित्तीय सेहत बिगड़ सकती है. ऐसे में इमरजेंसी फंड के तौर पर कम से कम 6 महीने की भी ईएमआई का भी प्रबंध करना चाहिए.
(Article: Ratan Chaudhary, Head of Home Loans, Paisabazaar.com)