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हर कोई अपने सपनों की कार में सवारी करना चाहता है.
Pre-Owned Car Loan: हर कोई अपने सपनों की कार में सवारी करना चाहता है. हालांकि, अगर आप एक नई कार नहीं खरीद सकते, खासकर अपने करियर की शुरुआत में, तो प्री-ओन्ड या यूज्ड कार का विकल्प चुनने में कोई बुराई नहीं है. आप अपने सपने को इस तरह भी पूरा कर सकते हैं. कम अग्रिम लागत के कारण प्री-ओन्ड कार कई पहली बार खरीदारों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प है. हालांकि, पुरानी कार खरीदने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए. जैसे- कार की स्थिति और रजिस्ट्रेशन डॉक्यूमेंट्स की जांच करना बहुत जरूरी है. साथ ही, अगर आप यूज्ड कार लोन लेना चाहते हैं, अपने लिए बेस्ट लोन ऑफर चुनने के लिए सभी ऑफ़र की तुलना करना भी जरूरी है. यहां हम उन पांच जरूरी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें आपको प्री-ओन्ड कार लोन लेते समय ध्यान में रखना चाहिए.
क्रेडिट स्कोर
किसी भी तरह की संपत्ति खरीदने के लिए जब आप लोन लेते हैं तो यहां क्रेडिट स्कोर बेहद अहम होता है. आपका लोन तभी अप्रुव होता है जब आपका क्रेडिट स्कोर बेहतर होता है. क्रेडिट स्कोर बेहतर होने पर आप कम ब्याज दर में लोन हासिल कर सकते हैं. आम तौर पर 750 से ऊपर वाले क्रेडिट स्कोर को बेहतर माना जाता है. पूनावाला फिनकॉर्प लिमिटेड के अध्यक्ष और चीफ ऑफ स्टाफ मनीष चौधरी कहते हैं, “इसलिए, एक पुरानी कार के खरीदार के रूप में किसी लोन के लिए अप्लाई करने से पहले क्रेडिट स्कोर की जांच जरूर करें. क्रेडिट रिपोर्ट में किसी भी विसंगति को तुरंत क्रेडिट ब्यूरो या लेंडर के साथ संबोधित किया जाना चाहिए, जिनके साथ खरीदार के नाम पर कोई पिछला या मौजूदा ऋण है."
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एक्स्ट्रा जार्च
मंजूर लोन अमाउंट के अलावा किसी भी शुल्क के भुगतान से बचने के लिए एडिशनल चार्ज को समझना जरूरी है. प्रोसेसिंग फीस, स्टांप ड्यूटी और फोर क्लोजर चार्ज जैसे चार्ज के लिए बॉरोअर को एक्स्ट्रा फीस देना पड़ सकता है. किसी भी लेंडर को लोन के लिए आवेदन करने से पहले प्रोडक्ट फीचर पर थोड़ा रिसर्च करना जरूरी है.
ब्याज का प्रकार
बाजार में किसी भी अन्य रिटेल लोन की तरह, प्री-ओन्ड कार लोन भी 2 प्रकार की ब्याज दरों के साथ आते हैं - 'फिक्स्ड' या 'फ्लोटिंग'. अपनी जरूरत के हिसाब से बॉरोअर के लिए यह समझना जरूरी है कि इन दोनों में से कौन सा इंटरेस्ट रेट उसके लिए बेस्ट है. कार खरीदने के उत्साह में किसी भी तरह की जल्दबाजी से मुश्किल हो सकता है और आपको लोन चुकाने में दिक्कत आ सकती है.
व्हीकल इंश्योरेंस
कानून के मुताबिक, भारत में सभी व्हीकल का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कवर के तहत बीमा होना जरूरी है. यह चेक करना भी जरूरी है कि पिछले व्हीकल ओनर पर बेचे जा रहे वाहन के कारण कोई वित्तीय देनदारी नहीं है. चौधरी कहते हैं, “पिछले मालिक से तीसरे पक्ष को हुए नुकसान के भुगतान के लिए बिना किसी दायित्व के एक निर्बाध खरीद सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है.”
लोन टू वैल्यू (एलटीवी)
जैसा कि शब्द से पता चलता है, एलटीवी लोन की वह राशि है जो वाहन के मूल्य के अनुपात के रूप में योग्य होगी. लोन टू वैल्यू या एलटीवी रेशियो निकालने के लिए एक खास फॉर्मूले का प्रयोग किया जाता है, (उधार लिया गया अमाउंट / प्रॉपर्टी की वैल्यू) X 100 = LTV रेश्यो . इसमें कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थान यह तय करते हैं कि लोन अमाउंट के हिसाब से प्रॉपर्टी की वैल्यू क्या है. प्री-ओन्ड कार फाइनेंस मार्केट में, लेंडर आमतौर पर बॉरोअर को 100% लोन अमाउंट की पेशकश नहीं करते हैं. पुरानी कारों के लिए, एलटीवी रेश्यो आमतौर पर कार के मूल्य के 80% और 90% के बीच होता है. यह आवेदक के क्रेडिट स्कोर पर भी निर्भर करता है और भिन्न भी हो सकता है. यदि खरीदार का क्रेडिट स्कोर अच्छा है, तो उसे उन लेंडर की तलाश करनी चाहिए जिनका एलटीवी कंपोनेंट अधिक है, इस तरह आपको आसानी से और जल्दी लोन मिल सकता है.
(Article: Sanjeev Sinha)