/financial-express-hindi/media/post_banners/hQqxQGnqJml43Aff6nqU.jpg)
पीपीएफ, यूलिप और ईएलएसएस जैसे अन्य विकल्पों में निवेश के साथ टैक्स भी बचा सकते हैं.
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने पिछले साल 31 अगस्त 2021 की तारीख में एक अधिसूचना जारी की थी कि अब प्रोविडेंट फंड में 2.5 लाख रुपये से अधिक कांट्रिब्यूशन पर जो ब्याज मिलेगा, उस पर टैक्स देनदारी बनेगी. यह प्रावधान अगले वित्त वर्ष 2022-23 में 1 अप्रैल 2022 से वहां लागू होना है, जहां एंप्लाई के साथ-साथ एंप्लॉयर भी कांट्रिब्यूशन करते हैं. जीपीएफ के लिए यह लिमिट 5लाख रुपये है, जहां सिर्फ कर्मी ही पीएफ कांट्रिब्यूशन करते हैं लेकिन इसमें ब्याज दर 7.1 फीसदी है.
अब इस साल कुछ दिन पहले एंप्लाईज प्रोविडेंट फंड के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज ने ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए पीएफ डिपॉजिट्स पर ब्याज दर 8.1 फीसदी तय किया जो 1978 के बाद सबसे निचला स्तर है. इससे उन हाई सैलरी वाले कर्मियों को दोहरा झटका लगा है जो अपने वेतन के एक हिस्से को टैक्सफ्री करने के लिए कांट्रिब्यूशन करते हैं. हालांकि ऐसे कर्मी पीपीएफ, यूलिप और ईएलएसएस जैसे अन्य विकल्पों पर गौर कर सकते हैं, जिसमें निवेश के साथ टैक्स भी बचा सकते हैं.
पीपीएफ
थ्रेसहोल्ड लिमिट विभिन्न पीएफ योजनाओं के लिए अलग-अलग लागू होते है और विभिन्न योजनाओं को मिलाकर नहीं देखा जाता है. ऐसे में ऐसे कर्मी 1.5 लाख रुपये तक का योगतान पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) में कर सकते हैं ताकि ईपीएफ/सीपीएफ/जीपीएफ में एक सीमा से अधिक कांट्रिब्यूशन घटा सकें जिस पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स देनदारी बनती.
यूलिप
एक सीमा से अधिक पीएफ कांट्रिब्यूशन का विकल्प देख रहे कर्मियों के लिए यूलिप भी बेहतर विकल्प हो सकता है. यूलिप (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान) को बीमा कंपनियां ऑफर करती है.
ईएलएसएस
लंबे समय में टैक्स बचाने के लिए इक्विटी लिंक्ड-सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. ईएलएसएस न सिर्फ टैक्स बचाने के लिए बल्कि शानदार रिटर्न भी दिला सकता है क्योंकि यह इक्विटी से जुड़ा हुआ
(आर्टिकल: अमिताव चक्रवर्ती)