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रविवार यानी 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया है. इल दिन सोने को खरीदना शुभ माना जाता है. ऐसे में अगर आप भी इस अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने की खरीदने की सोच रहे हैं, तो उसे खरीदते समय कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है, जिससे आपके साथ किसी तरह की धोखाधड़ी नहीं हो. अगर सोना खरीदने में आप लापरवाही करते हैं, तो आपके साथ फ्रॉड हो सकता है. इसलिए आज हम आपको बता रहे हैं कि सोने के सिक्के और ज्वैलरी खरदते समय आपको किन बातों का ध्यान रखना है.
सोने की शुद्धता
सोने की ज्वैलरी, सिक्का, बार आदि खरीदते समय उसकी शुद्धता पर जरूर ध्यान दें. शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है. हालांकि आपको ज्वैलरी 100 फीसदी शुद्ध सोने में नहीं मिलती है. इसकी वजह है कि सोना बहुत लचीला और कोमल होता है. इसके चलते 24 कैरेट की ज्वैलरी नहीं बन पाती है. ज्वैलरी में 22 कैरेट या 18 कैरेट गोल्ड का इस्तेमाल होता है. लेकिन गोल्ड बार या सिक्का प्योर गोल्ड में खरीदा जा सकता है. कैरेट के अलावा फाइननेस के जरिए भी प्योरिटी का पता लगाया जा सकता है. फाइननेस के नंबर होते हैं जैसे 916, इसका मतलब है कि कॉइन 999.9 फीसदी प्योर है.
कैरेट के मुताबिक कीमत
सोना जितने ज्यादा कैरेट का होता है, उसकी कीमत भी उसके मुताबिक बढ़ती है. 22 कैरेट सोना 24 कैरेट के सोने से सस्ता होता है. क्योंकि ज्वैलरी 22 कैरेट गोल्ड की होती है, इसलिए इसकी कीमत 24 कैरेट गोल्ड के मुताबिक नहीं होगी. इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि शुद्ध सोने की ज्वैलरी बताकर 22 कैरेट ज्वैलरी के लिए 24 कैरेट के हिसाब से कीमत नहीं लगाई जाए. इसके अलावा बिल बनवाते समय ज्वैलर से सोने की शुद्धता और कीमत को बिल पर जरूर लिखवाएं.
ज्वैलरी का मेकिंग चार्ज
सोने की ज्वैलरी बनवाते समय उस पर किए गए काम के हिसाब से मेकिंग चार्ज लिया जाता है. ज्वैलरी जितने ज्यादा काम वाली होती है, उसका मेकिंग चार्ज ज्यादा रहता है. त्योहारों के समय मांग ज्यादा रहती है, जिसका फायदा उठाते हुए कुछ जालसाज ज्वैलर्स छोटी सी ज्वैलरी पर भी हैवी ज्वैलरी के मुताबिक चार्ज लगा देते हैं. ज्यादातर ग्राहकों के पास समय कम होता है और उन्हें ज्वैलरी चाहिए होती है, इसलिए वह बहुत ज्यादा मोल-तोल किए बिना ज्वैलर का बताया हुआ मेकिंग चार्ज देने के लिए तैयार हो जाते हैं. लेकिन मेकिंग चार्ज को लेकर आप जितना मोल-भाव कर सकते हैं, उतना जरूर करें.
सोने के सिक्के की पैकेजिंग
सोने के सिक्के की पैकेजिंग टेंपर प्रूफ होती है. टेंपर प्रूफ पैकेजिंग से सोने की शुद्धता बरकरार रहती है. इसलिए सोने के सिक्के को खरीदते समय यह ध्यान रखें कि वह टेंपर प्रूफ पैकेजिंग वाला ही हो. अगर आप आगे चलकर इसे बेचना चाहते हैं तो आपको भी इसकी यही पैकेजिंग बनाए रखनी होगी.
स्टडेड ज्वैलरी
स्टडेड गोल्ड ज्वैलरी में नग की कीमत भी शामिल होती है. ऐसी ज्वैलरी को खरीदते समय आप स्टोन्स या जेम्स की शुद्धता का सर्टिफिकेट जरूर लें. उनकी कीमत और वजन भी बिल में शामिल करें. एक ज्वैलर के मुताबिक, वैसे तो ग्राहकों को स्टडेड चीजों की कीमत और वजन भी बिल पर अलग से दिया जाता है. लेकिन कुछ ज्वैलर्स स्टडेड ज्वैलरी में लगे स्टोन्स और जेम्स को भी सोने की कीमत में लगाते हैं और उनका वजन अलग से नहीं करते हैं.
बाद में जब कभी ग्राहक उस ज्वैलरी को बेचता है तो नगों का दाम अलग रहता है और सोने का अलग. 1 या 2 छोटे स्टोन्स होने पर फर्क नहीं पड़ता लेकिन हैवी वर्क होने पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है. ऐसे में अगर स्टोन्स, सोने से सस्ते हैं तो ग्राहक को नुकसान हो सकता है. इसलिए बिल पर स्टडेड चीजों के दाम और वजन अलग से दिया होने पर आप धोखे से बच जाएंगे. शुद्धता का सर्टिफिकेट आपको नकली जेम्स व स्टोन्स की असली के हिसाब से कीमत देने से बचाएगा.
अक्षय तृतीया: शुद्ध सोना कैसे खरीदें? जानें 24, 22, 18 और 14 कैरेट का मतलब
हॉलमार्क
बीआईएस हॉलमार्क सोने की शुद्धता की गांरटी होता है. इसलिए बिना हॉलमार्क वाली ज्वैलरी को नहीं खरीदें. सोने का सिक्का लेते समय यह जांच लें कि वह BIS सर्टिफाइड हो. किसी भी सोने की चीज पर पांच चीजें मार्क होती हैं- BIS लोगो, प्योरिटी या फाइननेस दर्शाने वाला नंबर जैसे 22 कैरेट या 916, एसेइंग या हॉलमार्किंग सेंटर का लोगो, मार्किंग का साल और ज्वैलर्स आइडेंटिफिकेशन नंबर.
बिल
सोने की खरीदारी करते समय पक्का बिल लेना नहीं भूलें. कई लोग जान-पहचान की दुकान से खरीदारी करते समय बिल को अहमियत नहीं देते, जो गलत है. सोना चाहे जहां से खरीदें लेकिन उसका पक्का बिल लेना बिल्कुल नहीं भूलें. इस बात का भी ध्यान रखें कि उसमें खरीदी गई ज्वैलरी, मेकिंग चार्ज और दुकानदार आदि की पूरी जानकारी शामिल की गई है.